किसी भी संख्या (कितनी भी बड़ी क्यों ना हो ) के वर्गमूल के वर्गमूल की उत्तरोत्तर गणना करते जाने पर अंत में ०१ की संख्या प्राप्त होती है |
आश्चर्य की बात है ,किसी भी संख्या के प्रयोग करने पर अंत में मूल ०१ की संख्या ही प्राप्त होती है | भले ही प्रारम्भ में वह संख्या कितनी भी आकर्षक रही हो ,जैसे सभी अंक समान हो ,सभी अंक चढ़ते क्रम में हो या उतरते क्रम में हो ,सम हो ,विषम हो ,सभी के वर्गमूल के वर्गमूल करते जाने पर अंत में ०१ की ही संख्या प्राप्त होती है | चूँकि यह अंको की विशेषता है , अतः सिद्ध हो जाता है कि सभी अंकों का मूल एक समान है और ०१ ही है |
इतनी छोटी सी बात हम सहजता से नहीं समझ पाते कि , यही बात तो मनुष्य जीवन पर भी लागू होती है | किसी का जीवन कितना ही आकर्षक क्यों ना हो ,या अनाकर्षक हो ,व्यक्ति किसी भी जाति , धर्म , समुदाय ,वर्ग या स्तर का हो ,सभी के मूल में उसकी आत्मा ही होती है ,जो सभी की एक समान होती है |
सम्मान ,प्यार एवं महत्त्व उसी आत्मा स्वरूप जीवन को दिया जाना चाहिए | किसी से सम्बन्ध रखते समय यदि हम उसकी आत्मा को ध्यान में रखकर उससे व्यवहार करें ,तभी हम उसके मूल तक पहुँच सकते हैं|वो मूल सभी में एक समान है और वही ईश्वर है |
"सबका वर्गमूल एक है या सभी वर्गों का मूल एक है या शायद वही ईश्वर है |"