सुनो, उस दिन बिंदी वो वाली लगाना , गीली वाली , अरे, जिसमें खुशबू होती है | मैं हर बार नाम भूल जाता हूँ , पर तुम समझ तो जाती हो न | हाँ ! वो कुमकुम वाली , जो पतली तीली से लगाती हो न माथे पे , वही | अच्छा, मंदिर के लिए गेंदे के फूलों की लड़ी लाऊँगा तब बेले के फूल भी लेता आऊंगा तुम्हारे बालों के लिए | अच्छे लगते हैं |
"आपको तो पूजा / व्रत में आस्था है नहीं , फिर इस बार इतना क्यों याद रख रहे हैं ", पूछा निवेदिता ने | मैंने कहा ," मुझे वो सारे उपक्रम बहुत अच्छे लगते हैं जो तुम पूजा / व्रत की तैयारी में करती हो | पूरा घर सुगन्धित हो उठता है और पूजा के बाद मन भी |
रही बात 'करवा चौथ' के व्रत की , तो वह तुम करो ,न करो ज्यादा फरक नहीं पड़ता | व्रत तो तुमने उसी दिन रख लिया था ,जीवन भर के लिए , जब तुम अपना प्यार भरा मायका छोड़ , एक अनजान परिवार में कल्पनाओं का संसार लिए चली आई थीं | तुम्हारा व्रत तो मुझे रोज़ दिखता है अपनी ज़िन्दगी में | ऑफिस में टिफिन भी खोलता हूँ जब , तब करीने से रखी कटोरियाँ , फ्वाएल में लपेटे अचार और मिठाई में तुम्हारा ही एहसास होता है |
तुमने कई बार कहा है , "मेरे बारे में मत लिखा करिए " | पर मन करता है कभी कभी मन उड़ेलने के लिए | अतः फिर गुस्ताखी कर रहा हूँ | इस बार पूजा में तुम मुझे डाटना मत , जब मैं सामने देखने के बजाय तुम्हारे डिम्पल निहारता मिलूं | मेरा मानना है ,पूजा करते समय ध्यान की अवस्था होनी चाहिए बस, और मैं तो हमेशा तुम्हारे ध्यान की अवस्था में ही रहता हूँ , फिर दोष कैसा |
तुम्हारे जीवन में हमेशा सुगंध भर सकूँ ,बस इतना ही अनुरोध है तुम्हारे उस भगवान् से जिसे तुम ज्यादा मानती हो और मैं तनिक कम |