'फेसबुक' पर यूँ ही मैंने एक 'चुनावी स्टेटस' पर एक हलकी फुलकी टिप्पणी वह भी 'स्माइली' के साथ कर दी थी ,जवाब मिला ,यहाँ गंभीर चिंतन होता है और 'romantic poems are not my cup of tea' . मैं सोचने को विवश हुआ कि कहाँ गलती हो गई मुझसे । मेरा कोई अभिप्राय तो वैसा था ही नहीं । पर 'ब्लॉग' और 'फेसबुक' पर की गई प्रस्तुति से लोग एक 'इमेज' बना लेते हैं उस व्यक्ति के बारे में और शायद मेरी कविताएं या स्टेटस और टिप्पणियों से लोगों को लगता होगा कि मैं रोमांटिक शब्द विन्यास और रोमांस में अधिक रूचि रखता हूँ ।
हाँ , यह सच है कि मैं रोमांटिक हूँ और रोमांस करना मेरी फितरत है । बचपन में मुझे पहला रोमांस अंको के संग हुआ । मैं लकड़ी के बने छोटे छोटे अंको के साथ घंटो खेल करता था । बाद में वही रोमांस गणित के प्रति रूचि में परिवर्तित हो गया । ' 8 ' अंक के 'कर्व' पर तो मैं न जाने कितनी देर अपनी छोटी सी खिलौने वाली कार चलाया करता था । गणित से रोमांस इतना अधिक था कि अन्य कोई विषय पढता ही नहीं था । इस रोमांस की अधिकता के लिए डांट भी बहुत मिली । बाद में ऊंची कक्षा में आते आते यही रोमांस फिजिक्स से हो गया । रोमांस की पराकाष्ठा यह थी कि कभी स्वयं को 'गैलीलियो' समझता था तो कभी 'आइज़क न्यूटन' ।
पूरी तरह युवा होते होते बारिश अच्छी लगने लगी , फिर मिटटी की खुशबू से रोमांस हो गया । नया नया साइकिल चलाना सीखा तो साइकिल से रोमांस हो गया और सपने में भी पैर चलाता रहता था । साइकिल से रोमांस ने तो बहुत चोटें दी हाथ पैरों में पर रोमांस तनिक भी कम न हुआ । ( वैसे रोमांस कोई भी हो चोट अवश्य देता है )
इन्ही रोमांस और रोमांटिक मनोभावों के बीच जीवन आगे बढ़ता गया । नौकरी में आया तो यकीन मानिये कि मुझे अपने काम में इतनी रूचि हो गई कि उसके साथ मेरा रोमांस ही चलता आ रहा है आज तक ।
मैं जब कार चलाता हूँ न तब मैं अपनी कार से भी बात करता हूँ । जब पहिये के नीचे ख़राब सड़क आती है तब उसका दर्द मैं अपने सीने में बखूबी महसूस करता हूँ । अपनी कार का मूड मैं भली भांति जानता हूँ और वह भी मेरा खूब साथ देती है और अपनी कार से मेरा रोमांस आज भी जारी है ।
मोबाइल से रोमांस कौन नहीं करता आजकल । बगैर उसके जीना दुश्वार और भूले से कहीं छूट जाए तो कलेजा मुंह को आ जाता है । अंगुलियां तो उसके शरीर को गुदगुदाती ही रहती हैं ।
जहाँ तक बात रोमांटिक कविताओं और स्टेटस की है ,उसका सच तो यह है कि रोमांटिक भावनाओं को कलम में बांधना सरल नहीं होता । बगैर एहसास किये इन्हे जतलाना बहुत मुश्किल होता है । रोमांस का सीधा सा अर्थ है किसी को बहुत शिद्दत और लगन से चाहना और उसका ख्याल भी रखना ,मगर जतलाना हौले हौले ,बदले में वह चाहे न चाहे उसकी मर्जी । दिल में उमड़ते भावनाओ के ज्वार भाटा को शब्द देने में कभी कभी तकलीफ भी बहुत होती है और ऐसी रचनाएं प्रस्तुत करने के लिए साहस और बेबाकी की जरूरत भी होती है ।
जिन्होंने हमारे देश को स्वतंत्रता दिलाई उन वीर पुरुषों को देश से रोमांस था ,जो हँसते हँसते झूल गए फांसी के तख्ते पर । कुछ कुछ वैसा ही रोमांस शायद अब दिख जाए इस नई सरकार का अपने देश से ,बस इसी आशा के साथ .......... ।