चाय कैसी बनी है ,सवेरे का पहला सवाल ? मेरा सच भरा जवाब , थोड़ी मीठी ज्यादा है । उधर से आवाज़ आई , चीनी तो रोज़ ही इतनी डालती हूँ ,आज ज्यादा मीठी क्यों लग रही है ! क्या कहूँ ,रोज़ झूठ बोल देता था , आज सच बोल दिया ।
अच्छी चाय पीनी है तो बनालो अपने आप और मुझे भी पिलाओ और सिखाओ अच्छी चाय कैसे बनती है , तमतमाया हुआ डायलाग था यह, उधर से । हो गई मेरे दिन की शुरुआत 'एक कप सच' के साथ ।
फूल लेकर उतर रहा था ,सीढियों से नीचे कि , आवाज़ सुनाई पड़ी ,हाथ तो धो लिए थे ,फूल तोड़ने से पहले ? मैंने सच कह दिया , नहीं ,हाथ तो नहीं धोये थे क्योंकि हाथ तो मेरे गंदे हुए ही नहीं अभी सवेरे से, सो हाथों को क्यों धोना । ठीक है फिर फूलों को भगवान् के पास मत रखियेगा ,मै दूसरे तोड़ लाऊँगी ,आप के बस का कुछ नहीं । वही अगर रोज़ की तरह झूठ बोलकर 'हाँ' बोल दिया होता तो सब ठीक होता । परन्तु मेरी तो आज मति मारी गई थी जो सच बोलने का संकल्प ले रखा था।
आफिस के लिए निकलते निकलते फरमान मिला ,शाम को जल्दी आइयेगा ,रजनी ( उनकी एक सहेली ) के यहाँ चलना हैं ,उनकी बेटी का सेलेक्शन हो गया है एम.बी.ए. के लिए ,सो बधाई देने के लिए । मैंने सच कह दिया ,मैं नहीं आ पाउँगा एक मीटिंग है ( वैसे रोज की तरह कह सकता था कोशिश करूंगा ,यह जानते हुए भी कि आ नहीं सकूँगा ) ,नतीजा बिना हाय बाय के विदाई और गेट का एक जोर की आवाज़ के साथ बंद होना ....भड़ाक ...।
आफिस झुंझलाते हुए पहुंचा ( जब भी मन से 'हाय बाय' नहीं मिलती तब आफिस जाने में रास्ते भर मन खिन्न रहता है ) । वहां तमाम लोग प्रतीक्षा कर रहे थे । किसी को अपने बिजली के बिल के गलत होने की शिकायत थी , कोई बिजली चोरी में पकड़ा गया था ,कोई नया कनेक्शन न मिलने की शिकायत कर रहा था । सभी को सुनने के बाद मैंने सच सच बता दिया कि उनका काम तत्काल हो सकने वाला नहीं है और गलत काम में जयादा मदद भी नहीं हो सकती ( अक्सर ऐसे मौकों पर मैं झूठी दिलासा देकर टाल जाता हूँ कि देखेंगे ,कोशिश करेंगे ) ।मेरा जवाब सुनते ही ज्यादातर लोग भड़क गए । कोई किसी माननीय विधायक से बात करने को कहता ,कोई किसी मंत्री जी के हवाले से जोर डालने लगता ,कोई कहता आप तो बिलकुल सुनते ही नहीं किसी की, और साफ़ साफ़ मना कैसे कर देते हैं आप । न करना हो, न करिए परन्तु ऐसे सच में कोई इनकार नहीं करता । अनेक लोगों ने अपने मोबाइल से तमाम सिफारिशी लोगों से बात भी कराई । जब मैंने सच सच बयान करते हुए उनके काम न हो पाने के सही वैधानिक कारण बताये ,तब उधर से उसी फोन पर मुझसे कहा गया ,अरे न हो पाए तो न करना पर इन्हें मना मत करिए । कुछ आश्वासन देकर टाल दीजिये ,यह सब नेता जी के क्षेत्र के आदमी हैं।
इतना सब होते होते २ घंटे व्यतीत हो गए । तभी मेरी एक स्टाफ आई और आते ही बोली ,सारी सर , आज मैं लेट हो गई , असल में बच्चों के स्कूल में पी टी एम थी । मैंने कहा , आप तो रोज लेट आती हैं ( अमूमन मैं चुप रहता हूँ और तुरंत तो कभी नहीं डांटता अपने स्टाफ को ), इतना सुनते ही वह अपना मुंह लटकाए हुए वहां से ऐसे चली गई ,जैसे कोई महिला मेक अप करा कर पार्लर से निकले और आप उससे कह दो ,कुछ दिनों से बीमार चल रही हो क्या !
शाम को बॉस ने पूछा और अमित क्या चल रहा है ,फील्ड में लोग खुश तो हैं मेरी (बास की ) वर्किंग से । मैंने छूटते ही सच कह दिया , नहीं सर , आप थोड़ा हार्श कम हुआ करिए , नहीं तो किसी दिन कोई आफिसर रीटेलियेट कर सकता है ,तब आपकी पोजीशन आकवर्ड हो जाएगी । इतना सुनकर बॉस का चेहरा लाल हो गया और मुझसे बोले ,चलो ठीक है अब घर चला जाए । शायद उन्हें भी मेरा सच जंचा नहीं ।
अभी अभी आवाज़ आ रही है , ब्लागिंग कर रहे हैं क्या ,पहले खाना खा लीजिये ,मैं वेट कर रही हूँ । मैं जोर से झूठ बोल रहा हूँ ,नहीं आफिस की मेल देख रहा हूँ । सच का साथ छोड़ कर झूठ बोलकर अगले दिन की अच्छी शुरूआत करने की तैयारी आज की रात से कर रहा हूँ ।
यह सच है कि सच में सच बोलना सबसे बड़ा झूठ है ।