सभी देवी ,देवताओं में सबसे पॉपुलर भगवान 'श्री गणेश' जी हैं । विशेषकर बच्चों को तो वह बहुत ही फ्रेंडली और आकर्षक लगते हैं । उनसे भी अधिक लोकप्रिय इस जगत में है ,उनकी सवारी 'चूहा' । बचपन में सबसे पहले बच्चे कहानियों में चूहे के बारे में ही अक्सर सुनते हैं । खाना खिलाते समय प्रायः उनकी माएं चूहे का वर्णन अवश्य करती हैं । बचपन में दांत टूटने पर शत प्रतिशत सभी बच्चों से लोग यही पूछते हैं ,क्या हुआ ,तुम्हारा दांत चूहा ले गया ! खिलौनों में भी चूहे सदैव कौतूहल ही पैदा करते हैं ।
'४ अप्रैल' को चूहा दिवस घोषित किया गया है । इसी से सिद्ध होता है कि चूहे का हमारे जीवन में क्या महत्त्व है । पुराने ज़माने में तो चूहों का घर में पाया जाना समृद्धि का प्रतीक माना जाता था ।
जब चूहों को पता चला कि आज ४ अप्रैल को 'चूहा दिवस' मनाया जा रहा है ,तब चूहों ने आपस में तय कर इस तिथि को अपना 'वैलेंटाइन दिवस' मान कर सेलिब्रेट करना तय कर लिया ।
बस चूहों के इस वैलेंटाइन दिवस पर प्रस्तुत है 'चूहा-चुहिया' के एक जोड़े के बीच हुए 'प्रेम-संवाद' की एक झलक :
चूहा : 'बिल' दे के देखो ।
चुहिया : हम 'बिल' दे चुके सनम ।
चूहा : 'बिल' दीवाना बिन सजना के माने न ।
चुहिया : हम आपके 'बिल' में रहते हैं ।
चूहा : हमारा 'बिल' आपके पास है ।
चुहिया : 'बिल' है कि मानता नहीं ।
यह संवाद चल ही रहा था कि चुहिया ने चूहे से एक गाने की फरमाइश कर दी । इस पर चूहे ने गाना सुनाया " वो 'बिल' कहाँ से लाऊं ,तेरी याद जो भुला दे ...."। इस पर चुहिया ने लजाते हुए चूहे से कहा ," सच सच बताओ तुम्हारे 'बिल' में मेरे अलावा और कोई तो नहीं रहता "। चूहे ने कहा ," कहो तो 'बिल' चीर कर दिखा दूं " । चुहिया सेंटी हो गई और अपने चूहे के मुंह पर उंगली रखती हुई बोली ,नहीं फिर ऐसी बात मरने वाली मत करना । मैं तुम्हारे बगैर ज़िंदा नहीं रह पाऊँगी ।
यह सिलसिला कुछ और आगे बढ़ता तभी अचानक मेरी श्रीमती जी ने मुझे झिंझोड़ते हुए उठाया ,क्या बात है ! नींद में क्या बिल विल लगा रखा है । अरे मैंने ब्राडबैंड का बिल कल ही जमा कर दिया है । नेट का कनेक्शन नहीं कटेगा । नींद में भी आपको नेट के बिल की ही चिंता रहती है कि कहीं कट न जाए और फेसबुक / ब्लॉग बंद हो जाए आपका ।
अब उनको कौन समझाए कि नींद में भी मैं उनको ही अपने बिल ,अरे नहीं ,दिल में संजोये हुये था