इधर कई दिनों से देख रहा था कि अचानक ’प्याज़’ का कद एकदम से बढ़कर सेलिब्रिटी माफ़िक हो गया है। उसकी इज़्ज़त,कीमत बहुत ज्यादा बढ़ गई है।हर कोई उसका नाम लेने भर से ही बड़ा फ़ख्र महसूस कर रहा है और अगर कहीं किसी के पास वो आ गई ,फ़िर तो उसको रखने वाला किसी शहंशाह से कम नहीं।
जहां तक प्याज़ का मुझसे वास्ता है, हम बचपन से एक दूसरे के बहुत करीब रहे थे,कभी हम दोनों के बीच कुछ छुपा नहीं था ,उसने मेरी सूखी रोटी को कई कई बार अच्छे ज़ायके में बदला था।मेरी जेब में रहकर मुझे कई बार लू लगने से बचाया था, सो सोचा, ये तो मेरे बचपन की दोस्त है,आज बड़ी सेलेब्रिटी हो गई है तो क्या हुआ, चलो उससे एक बार मिल तो लेते हैं।बस उससे मिलने की ठान ली।
लेकिन सच है किसी बड़े आदमी की तरह ’प्याज़” से मिलना भी आसान ना था ।अव्वल तो उसका ना पता ना ठिकाना, ना ही मेरे पास उसका कोई विज़िटिंग कार्ड था ।लेकिन हम भी कहां मानने वाले थे।मैने अपने एक कॉमन दोस्त ’लहसुन’ को पकड़ा और उससे प्याज़ का ठौर ठिकाना पूछा और कहा एक बार उससे मिलवा दो,घर में भी सब कह रहे हैं कि मै तो उसके बचपन का सुदामा हूं (वैसे कभी किसी बड़े आदमी से जान पहचान का ढॊंग नही करना चाहिये)।बहुत मुश्किल से ’प्याज़’ से मीटिंग फ़िक्स हुई, एक फ़ाइव स्टार होटल के एअर कंडीशंड डाइनिंग रूम में।
मैं बहुत संकोच करते हुए,अपनी सबसे अधिक कॉन्फ़ीडेंस देती पोशाक में सज कर वहां तय समय से पहले ही पहुंच गया।मन ही मन यह सोच रहा था कि बच्चों की जिद के कारण क्या क्या नहीं करना पड़ता, गलती मेरी थी, ना शेखी बघारता ना यह दिन देखना पड़ता।खैर थोड़ी देर बाद वहां ’प्याज़’ सज संवर कर अपनी सहेलियों के साथ मुझसे मिलने आ ही गई,अपने बचपन के दोस्त से इतने दिनों बाद मिलने पर मेरी आंखों में आंसू आ ही पाए थे कि वो मु्झे चिढ़ाने के अंदाज़ में हंसते हुए बोली, तुम अभी भी रहे, वही गंवार के गंवार।अब मुझसे मिल कर कोई रोता नही बल्कि गर्व करता है और अपने को धन्य समझता है।
मैने कहा मैं तो बहुत खुश हूं तुमसे मिलकर ,पर एक बात बताओ,पहले तो तुम हर आमो-खास से बहुत घुली-मिली थी, सबको उपलब्ध थीं,सबकी शादी ब्याह,गाने बजाने मे दिख जाया करती थीं, पर अचानक एक जीते हुए विधायक/सांसद की तरह अपने चुनाव क्षेत्र से गायब क्यों हो गईं।इस पर वो इतराते हुए और उंगलियां नचाते हुए बोली इसमे तुम्हें क्या परेशानी है,तुम्हारा कोई काम कहीं रुका हो तो बताओ, मेरा बहुत बड़े बड़े लोगों के यहां आना जाना लगा रहता है,उन सभी से अच्छी जान पहचान हो गई है, तुम्हारा काम हो जाएगा बस।मैने कहा नही मुझे कोई काम नही है ,मैं तो बस तुमसे मिलने आया था और यह बताना था कि तुम्हारे गायब हो जाने से गरीब आदमी का खाने-पीने का स्वाद बे-मजा हो गया है,एक तुम्हारा ही सहारा था वह भी छिन गया।और अंत में मैने यह भी कह ही दिया (मन की भड़ास निकालने के लिये) कि अमीरों से दोस्ती अच्छी नहीं ,यह किसी के नही होते।तुमसे भी ऊब कर और तुम्हारी पूरी कीमत निकाल कर, एक दिन अचानक तुम्हे सड़ा-गला कर फ़ेंक देंगे, हम गरीबों के ही पास ,जब तुम्हारी कोई कीमत नही बचेगी।
लेकिन मेरे दोस्त,यह मेरा वादा है हम तब भी तुम्हें अपनाने के लिये तैयार खड़े मिलेंगे।