"शब्द भीतर रहते हैं तो सालते रहते हैं, मुक्त होते हैं तो साहित्य बनते हैं"। मन की बाते लिखना पुराना स्वेटर उधेड़ना जैसा है,उधेड़ना तो अच्छा भी लगता है और आसान भी, पर उधेड़े हुए मन को दुबारा बुनना बहुत मुश्किल शायद...।
क्यों ना लगाते चले गांठ,प्यार की आपस में,समय के कतरों की....बेहतरीन प्रस्तुति । .
फ़िर एक पोटली सी हो, लम्हों की प्यार भरी, बस इतनी ही पूंजी बहुत, जीवन के खर्च के लिए । बस इसके बाद और क्या चाहिये………सुन्दर प्रस्तुति।
... bahut khoob ... kyaa kahane !!
very nice. thanks. happy new year sir.
निशब्द कर दिया आपने , बहुत ही उम्दा रचना लगी ।
सच में...प्यार भरे कुछ लम्हे काफी होते हैं जीवन जीने के लिए .सुन्दर रचना .
bas itni hi poonki bahut ...bahut pyari rachna !
क्यों ना लगाते चले गांठ,
जवाब देंहटाएंप्यार की आपस में,
समय के कतरों की....
बेहतरीन प्रस्तुति ।
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फ़िर एक पोटली सी हो,
जवाब देंहटाएंलम्हों की प्यार भरी,
बस इतनी ही पूंजी बहुत,
जीवन के खर्च के लिए ।
बस इसके बाद और क्या चाहिये………सुन्दर प्रस्तुति।
... bahut khoob ... kyaa kahane !!
जवाब देंहटाएंvery nice. thanks. happy new year sir.
जवाब देंहटाएंनिशब्द कर दिया आपने , बहुत ही उम्दा रचना लगी ।
जवाब देंहटाएंसच में...प्यार भरे कुछ लम्हे काफी होते हैं जीवन जीने के लिए .सुन्दर रचना .
जवाब देंहटाएंbas itni hi poonki bahut ...
जवाब देंहटाएंbahut pyari rachna !