चाय एक अत्यंत साधारण पेय है परन्तु उसे पीने पिलाने का अंदाज़ आपके और उनके बारे में बहुत कुछ कह देता है ।अमूमन सभी के दिन की शुरुआत एक प्याली चाय के साथ ही होती है या किसी के आने पर या किसी के यहाँ जाने पर चाय ऑफर करना न्यूनतम शिष्टाचार में आता है,परन्तु चाय किस प्रकार से दी गई है ,कप-सासर में या मग ( बिना प्लेट का कप ) में, और कौन उसे किस प्रकार से पी रहा है ,उन सबके मायने अलग अलग होते हैं यथा :
1. सवेरे सवेरे आप सो रहे हों और आपकी पत्नी चाय बना कर ले आयें और बेड के पास चाय रखते हुए प्यार से आपको स्पर्श कर बोले ,उठिए चाय रखी है और अगर यह चाय कप-प्लेट में दी गई है तब यह सर्वोत्तम प्रकार की चाय भी होगी और पिलाने का अंदाज़ भी उच्च कोटि की श्रेणी में रखा जाएगा ।
2.अगर यही चाय बगैर प्लेट के केवल कप में दी गई है तब थोड़ा सा सलीके में कमी दिखती है या इसका मतलब श्रीमती जी जल्दी से चाय पिला कर स्वयं फिर से सोना चाहती है ।
3.अगर चाय बनाने जाने से पहले ही आपको पुकार दिया गया हो कि उठ जाइए ,चाय बनाने जा रही हूँ ,इसका अर्थ हुआ कि आज उनका मूड कुछ गड़बड़ है । जब चाय बनकर आये ,उससे पहले ही आप बिस्तर पर उठे मिलें नहीं तो चाय के साथ कुछ शोर भी आपके कानों में पड़ सकता है , जो एक दिन की शुरुआत के लिए अच्छा नहीं साबित होगा । ( इसका समाधान यह है कि चाय हाथ में लेते ही कहना शुरू कर दीजिये ,वाह ! क्या चाय है ,बस वो देख न पांए कि बगैर पिए ही आपने तारीफ़ झोंक दी है ) ।
4.किसी के यहाँ जाने पर अगर चाय आपको आपके हाथ में दी जा रही है तब यह आत्मीयता का संकेत है और अगर बीच में मेज़ पर रख दी गई है ,इसका मतलब आपकी उनके यहाँ पुनः उपस्थिति तनिक कम वांछित है ।
5.चाय अगर ऊपर तक लबालब भर दी गई हो तब आपको निश्चित तौर पर अनौपचारिक तौर पर लिया जा रहा है । ऐसी जगह पर आप आराम से इन्फार्मल और कैजुअल हो सकते हैं ।
6.अगर चाय पीने वाले व्यक्ति के हाथ में कप-प्लेट जरा सा भी खड खड़ा जाए ,समझिये पीने वाला व्यक्ति पिलाने वाले के सामने सहज नहीं हो पा रहा है ।
7.चाय पीते समय पीने वाले ने अगर प्लेट मेज पर छोड़ दी और केवल कप उठाकर पी रहा हो तो इसका अर्थ हुआ कि ऐसे व्यक्ति को जीवन में माया मोह कम होगा और वह संचयी प्रकृति का नहीं होगा ।
8.पीते समय प्लेट पकडे हुए हाथ और बांह के बीच का कोण 90 अंश या उससे अधिक होना चाहिए । उससे कम होने पर साबित होता है कि पीने वाला जोखिम उठाने में घबराता है और अपना जीवन सदैव सेफ मोड़ में ही चलाना चाहता है । ऐसे लोगों में इंटरप्रेन्योरशिप लगभग न के बराबर होती है ।
9.कप को जितनी मजबूती और प्यार से पकड़ा जाए ,चाय पिलाने वाले के लिए उसी अनुपात में प्यार और सम्मान दर्शित होता है ।
10.कोई अगर चाय बहुत धीरे धीरे पीता है ,इसका अर्थ यह हुआ कि वह चाय पिलाने वाले के साथ समय ज्यादा बिताना चाहता है और अपरोक्ष रूप से अपना लगाव प्रदर्शित कर रहा है ।
11.इसके विपरीत अगर चाय जल्दी जल्दी पी जा रही है तब अर्थ हुआ कि पीने वालो को, न पिलाने वाले में और न चाय में कोई दिलचस्पी है ।
वैसे बहुत प्यार हो दो लोगों के बीच में अगर ,तो वे एक ही कप में चाय पी लेते हैं और फिर उसमें शकर भी नहीं डालनी पड़ती । आखिर उसमे होठों की मिठास जो शामिल हो जाती है ।
एक जोक : एक बार एक साहब अपने किसी मित्र के घर गए और वहां उन्होंने चाय पीने की इच्छा जताई । इस पर उनके मित्र ने लम्बी सांस लेते हुए कहा ," क्या बताएं यार, शकर है नहीं, चाय की पत्ती होती तो दूध पड़ोस से मांग लेते और चाय बन जाती ।"