एक अपील
प्रचंड गर्मी का मौसम है । हाल बेहाल है । ऐसे में बिजली का संकट भी घोर चल रहा है । बिजली के अभाव में छोटे छोटे घरों में रहने वाले ,तंग गलियों में ,जहां हवा भी मयस्सर नहीं ,क्या बच्चे क्या वृद्ध सभी लोग गर्मी के कारण बीमार हो चले हैं । बिजली नहीं आती तो पानी भी नहीं आता , कुआँ / हैडपंप का अभाव है , कैसे लोग स्वस्थ रह कर जीवित रहेंगे चिंता का विषय है । अस्पतालों में मरीजों की बुरी हालत है । समय पर आपरेशन नहीं हो पा रहे हैं । सभी चिकित्सीय उपकरण बिजली से ही चलते हैं ,बिजली के अभाव में हम फिर हजारों साल पहले की दुनिया में पहुँच जाते हैं ।
यह सच है कि सरकार का / बिजली विभाग का दायित्व है कि वे सुनिश्चित करें कि उपभोक्ताओं को अच्छी गुणवत्ता की बिजली सुचारू रूप से बिना बाधा के मिलती रहे। जहाँ बिजली आने का समय सारिणी अनुसार है वहां बिजली सारिणी के अनुसार आनी चाहिए । यह कडवा सच है कि विभाग और सरकार इस काम को उपभोक्ताओं की अपेक्षा के अनुसार नहीं कर पा रही है ।
कारण बहुत सरल और स्पष्ट है : जिस गति से बिजली के तंत्र से दिन प्रतिदिन बिकने वाले बिजली के उपकरण जुड़ते चले जा रहे हैं उसके अनुपात में बिजली विभाग का ढांचा मजबूत नहीं हो पा रहा है । यह सच है कि विभाग को समय रहते यह सब 'होम वर्क' कर लेना चाहिए परन्तु ऐसा हो नहीं पाता।
यह भी सच है कि (अधिकतर) कोई भी व्यक्ति ईमानदारी से बिजली का बिल जमा नहीं करना चाहता और न जमा करता है । अभी अभियान चला कर बिजली के मीटरों की जांच की गई तब बड़े चौकाने वाले परिणाम सामने आये । ९० प्रतिशत मीटरों में चोरी किये जाने के प्रमाण मिले । प्रजातांत्रिक सेट अप में बहुत अधिक सख्ती किया जाना संभव भी नहीं होता ,जब क़ानून भी सख्त न हो । ले देकर गलती बिजली वालों की ही बताई जाती है ।
जहां सामग्री और कार्य की कुशलता की गुणवत्ता की बात आती है ,वहां भी बिजली विभाग के लोगों को जिम्मेदार ठहराया जाता है । जबकि बड़े बड़े ठेकेदार और सप्लायर इस कदर ऊंचे राजनैतिक कद के हैं कि उनके आगे अधिकारी बौने साबित होते हैं ।बिजली की समस्या इतना विकराल रूप धारण कर लेने वाली है सोच कर घबराहट सी होती है । कोई शंका नहीं कि किसी दिन इस संकट को लेकर विभाग के लोगों के साथ पब्लिक का दुरव्यवहार इस कदर न हो जाए कि उन्हें अपनी जान बचाने के लाले पड़ जाएँ ।
इस संकट और युद्ध जैसी स्थति में बस एक अपील : बिजली का उपयोग अत्यंत सावधानी और मितव्ययता के साथ करें और ईमानदारी से उपभोग की गई बिजली का शुल्क जमा कर दें ।
सरकार की 'मंशा' और 'विल पावर' जिस दिन स्पष्ट और मजबूत हो जायेगी २४ घंटों में स्थिति में सुधार आ सकता है ,बस मंशा तो साफ़ हो । बिजली विभाग के निजीकरण से फौरी तौर पर तो परिणाम अच्छे नज़र आयेंगे पर इतना भी तय अवश्य है कि बिजली महँगी बहुत हो जायेगी । लोग तब अत्यंत मितव्ययता से इसे इस्तेमाल करेंगे , स्थिति में अपने आप सुधार आ जाएगा और लोग कहेंगे ,देखो निजीकरण से स्थिति में सुधार आ गया।
"जिनके पास अधिकार हैं ,वे उत्तरदायी नहीं और जो उत्तरदायी हैं उनके पास अधिकार नहीं "।