मंगलवार, 23 अक्टूबर 2012

" कच्ची रसीद........."


तुम,
'हाँ' नहीं कहते ,
यह सच है ,
'ना' भी नहीं कहते , 
यह और भी सच है ,
लबों से बोलकर ,
पक्की रसीद न दो न सही ,
आँखों ही आँखों में ,
कच्ची रसीद ही जारी कर दो |

गर हुआ मिलना कभी ,
दुनिया के किसी मोड़ पर ,
रसीद दिखा तुम्हें ,
अपनी चाहत रसीद कर दूँगा |
अपनी चाहत वसूल कर लूँगा |

17 टिप्‍पणियां:

  1. Rasid ka yah naya prayog pahali baar dekha,abhi tak to 'jhapad rasid' ki aavaajen suni thi!

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    1. " रसीद करना " अर्थात इस प्रकार कुछ देना किसी को , कि उसकी पावती भी सुनिश्चित हो जाए | झापड़ रसीद करने से अभिप्राय है कि गाल पर निशाँ भी पड़ जाए ताकि सनद रहे और गाहे बगाहे काम आये | प्यार और चाहत रसीद करने का अर्थ हुआ कि इस कदर चाहत दिखाई कि जिसे चाहा वह भी आखिर न न करते प्यार कर ही बैठा |

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  2. रसीद तो रसीद होती है चाहे कच्ची हो या पक्की... बहुत सुन्दर रचना

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  3. रसीद तो होनी ही चाहिए.बढ़िया है प्रयोग कविता में.

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  4. बहुत ग़ज़ब , कुछ तो प्रमाण हो, या व्यर्थ रहा श्रम?

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  5. बेहतरीन अंदाज़..... सुन्दर
    अभिव्यक्ति......

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  6. बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति सटीक !
    बधाई !

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  7. आओ फिर दिल बहलाएँ ... आज फिर रावण जलाएं - ब्लॉग बुलेटिन पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से आप सब को दशहरा और विजयादशमी की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें ! आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  8. चाहत वसूल कर लूँगा!!
    ये कच्ची रसीद बड़ी रिस्की है :)
    रसीद का नवीन प्रयोग कविता में अच्छा है !

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  9. रसीद की तीन चार फोटो कापी भी करके धर लो। :)

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