तुम,
'हाँ' नहीं कहते ,
यह सच है ,
'ना' भी नहीं कहते ,
यह और भी सच है ,
लबों से बोलकर ,
पक्की रसीद न दो न सही ,
आँखों ही आँखों में ,
कच्ची रसीद ही जारी कर दो |
गर हुआ मिलना कभी ,
दुनिया के किसी मोड़ पर ,
रसीद दिखा तुम्हें ,
अपनी चाहत रसीद कर दूँगा |
अपनी चाहत वसूल कर लूँगा |
हम्म्म्म.......
जवाब देंहटाएंरसीद की कीमत तो है...
अनु
Rasid ka yah naya prayog pahali baar dekha,abhi tak to 'jhapad rasid' ki aavaajen suni thi!
जवाब देंहटाएं" रसीद करना " अर्थात इस प्रकार कुछ देना किसी को , कि उसकी पावती भी सुनिश्चित हो जाए | झापड़ रसीद करने से अभिप्राय है कि गाल पर निशाँ भी पड़ जाए ताकि सनद रहे और गाहे बगाहे काम आये | प्यार और चाहत रसीद करने का अर्थ हुआ कि इस कदर चाहत दिखाई कि जिसे चाहा वह भी आखिर न न करते प्यार कर ही बैठा |
हटाएंपक्की रसीद होनी चाहिये हमेशा ।
जवाब देंहटाएंरसीद तो रसीद होती है चाहे कच्ची हो या पक्की... बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंरसीद तो होनी ही चाहिए.बढ़िया है प्रयोग कविता में.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ..... कच्ची रसीद भी कुछ कम नहीं ...
जवाब देंहटाएंबहुत ग़ज़ब , कुछ तो प्रमाण हो, या व्यर्थ रहा श्रम?
जवाब देंहटाएंNow it is okay :-)Carries right message with intended intensity!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अंदाज़..... सुन्दर
जवाब देंहटाएंअभिव्यक्ति......
बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति सटीक !
जवाब देंहटाएंबधाई !
नया बिम्ब नया प्रयोग . अच्छा लगा
जवाब देंहटाएंआओ फिर दिल बहलाएँ ... आज फिर रावण जलाएं - ब्लॉग बुलेटिन पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से आप सब को दशहरा और विजयादशमी की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें ! आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंचाहत वसूल कर लूँगा!!
जवाब देंहटाएंये कच्ची रसीद बड़ी रिस्की है :)
रसीद का नवीन प्रयोग कविता में अच्छा है !
खूबसूरत मन के भाव
जवाब देंहटाएंरसीद की तीन चार फोटो कापी भी करके धर लो। :)
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