"बस यूँ ही " .......अमित

"शब्द भीतर रहते हैं तो सालते रहते हैं, मुक्त होते हैं तो साहित्य बनते हैं"। मन की बाते लिखना पुराना स्वेटर उधेड़ना जैसा है,उधेड़ना तो अच्छा भी लगता है और आसान भी, पर उधेड़े हुए मन को दुबारा बुनना बहुत मुश्किल शायद...।

मंगलवार, 14 जनवरी 2025

खिचड़ी।

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यूँ तो खाने के 56 प्रकार के व्यंजन होते हैं ,जिन्हें बनाने के लिए विभिन्न प्रकार की सामग्रियों की आवश्यकता होती है। परंतु ये व्यंजन सभी वर्ग...
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मंगलवार, 17 दिसंबर 2024

ऊन के गोले

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 बेटा इधर आना जरा, आवाज़ दी बगल वाली चाची ने। स्कूल जाने के लिये घर से निकला ही था, बस्ता कंधे पर टांगे हुये। यह बात होगी जब हम छठी या सातवीं...
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शुक्रवार, 13 दिसंबर 2024

मुख़्तसर सी बात

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 मुख्तसर सी बात थी मगर इसी बात में तो बात है भीड़ भरी ज़िन्दगी में चंद लम्हों की मुलाकात थी उन लम्हों में बसी साँसे तेरी हर एक साँस थी धड़कन मे...
मंगलवार, 10 दिसंबर 2024

"आटा पिसाई"

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सायकिल स्टैंड पर चढ़ा कर खड़ी करने के बाद उस पर 30 या 35 किलो का झोला गेंहू से भरा हुआ  कैरियर पर रखकर एक हाथ से हैंडल और दूसरे हाथ से झोले को...
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गुरुवार, 19 सितंबर 2024

नक्षत्र ने कहा।

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तुम एक पहाड़ हो मेरे लिए। जिसकी पीठ से लिपट मुझे थोड़ी देर सिसकना था। इन सिसकियों में कुछ ठण्डी आहें शामिल थी जिन्हें आंसुओं से गर्म करना था त...
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तोहफा शब्दों का।

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मैं यह तो नहीं कह सकती कि वो भविष्य दृष्टा हैं, मगर वह कालबोध से मुक्त ज़रूर हैं।  इसलिए उनकी बातों में एक चैतन्यता हमेशा विद्यमान रहती है। उ...
शनिवार, 7 सितंबर 2024

गूगल मैप और रास्ता

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आजकल कहीं जाना हो और रास्ता न पता हो पहले से तो लोग गूगल मैप के सहारे गंतव्य तक पहुंच जाते हैं। हम व्यक्तिगत रूप से इसका इस्तेमाल लगभग नही ह...
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