किसी धनुष से तीर कितनी दूर जायेगा और लक्ष्य को भेदेगा कि नहीं ,यह निर्भर करता है प्रत्यंचा पर | प्रत्यंचा की लम्बाई और कसाव ही धनुष का लोच तय करती है और प्रत्यंचा ही तीर को लक्ष्य अनुसार बल भी प्रदान करती है | प्रत्यंचा के निर्धारण में अथवा प्रत्यंचा चढाने में यदि त्रुटि हो जाए तो धनुष टूट भी सकता है और सारा आरोपित बल व्यर्थ हो जाता है, तब लक्ष्य भेदन तो दूर की बात ,धनुर्धारी सबके उपहास का पात्र भी बन जाता है |
मनुष्य का जीवन भी 'धनुष' की ही भांति होता है | ईश्वर ने प्रत्येक मनुष्य को एक धनुष स्वरूप जीवन प्रदान किया है | सारे लक्ष्य इसी धनुष से ही तो भेदने होते हैं, जीवन काल में | बस मनुष्य को चाहिए कि वह अपने जीवन रुपी धनुष पर "दृढ़ निश्चय" रुपी प्रत्यंचा इस प्रकार चढ़ा ले कि ,प्रत्यंचा का इतना दबाव ना हो कि जीवन रुपी धनुष टूटने अर्थात निराशा की कगार पर आ जाये और ना ही प्रत्यंचा इतनी ढीली हो कि तीर को आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त बल न मिल सके | मनुष्य द्वारा किये जाने वाले 'कर्म' ही धनुष रुपी जीवन के 'तीर' हैं |
'जीवन' के धनुष पर 'दृढ़ निश्चय' रुपी प्रत्यंचा चढ़ा कर बस 'कर्म' रुपी तीर छोड़ने की आवश्यकता है , फिर निश्चित तौर पर जीवन के सभी लक्ष्य सरलता से भेदे जा सकेंगे | बस एक बात और है , जब मनुष्य प्रत्यंचा पर कर्म रुपी तीर चढ़ा ले तब पुनः उन कर्मो का आत्म-अवलोकन कर ले कि ( जैसे की प्रत्यंचा पर तीर चढ़ा कर तनिक तीर पीछे खींच लेते है ,तब छोड़ते हैं) , उन कर्मों से उसका और समाज का क्या हित होगा ,तब संभवतः क्या ,निश्चित रूप से मनुष्य के ’तीर’ रुपी ’कर्म’ अपने लक्ष्य से ना कभी विमुख होंगे ना ही व्यर्थ सिद्ध होंगें |
"विजय दशमी की सभी को हार्दिक बधाईयाँ और शुभकामनायें "
वाह बहुत सुन्दर व्याख्या की है।
जवाब देंहटाएंसच है, कभी कभी अधिक खींच कर हम धनुष तोड़ देते हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक आलेख..विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएं'जीवन' के धनुष पर 'दृढ़ निश्चय' रुपी प्रत्यंचा चढ़ा कर बस 'कर्म' रुपी तीर छोड़ने की आवश्यकता है... bilkul
जवाब देंहटाएंजी हां ,मेरे भी बिलकुल यही विचार हैं...
जवाब देंहटाएंविजयादशमी पर आपको सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएं।
सार्थक चिंतन है.जीवन दर्शन का.
जवाब देंहटाएंसुन्दर व्याख्या .
जवाब देंहटाएंविजयादशमी पर आपको हार्दिक शुभकामनाएं.
प्राण तन में है, तब तक कर्म का तीर चलता ही रहता है :)
जवाब देंहटाएंमेकैनिकल इंजीनियरिंग की दृष्टि से धनुष का बहुत खूब बखान किया है...विजयदशमी की शुभकामनाएं...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिखा है आपने ! बेहतरीन प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंआपको एवं आपके परिवार को दशहरे की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !
सार्थक चिंतन !
जवाब देंहटाएंVERY BEAUTIFUL THOUGHT OF LIFE....
जवाब देंहटाएंसुन्दर व्याख्या...
जवाब देंहटाएंविजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं...
सार्थक चिंतन है जीवन दर्शन का.....सुन्दर व्याख्या...
जवाब देंहटाएंवाह नया चिंतन दिशा देता आलेख ..
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक बात...............
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं..
अनु
बहुत सुन्दर. विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर. विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ.
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