गुरुवार, 10 अक्टूबर 2013

" चर्चा रोटी की ........"

                                                                                   ( यह रोटियाँ अर्चना चाव जी की हैं )

इधर कुछ दिनों पहले निवेदिता की तबियत ठीक न थी ,तब मैंने (केवल) एक दिन रोटी बनाने का सफल प्रयास किया । उसी दौरान ,लोई पर लगाए जाने वाले सूखे आटे को 'परेथन' क्यों कहते हैं , यह प्रश्न उत्पन्न हुआ । फेसबुक पर चर्चा के दौरान ज्ञात हुआ ,परेथन का सही शब्द 'परिस्तरण' हैं ।

बात आगे चल निकली ,अर्चना चाव जी ने रोटी को उचित तरीके से फुलाने के विषय में प्रश्न किया । बहुत सारे गणितीय उत्तर प्राप्त हुए ,पर कोई उत्तर उचित नहीं ठहराया गया । रोटी के आकार ,प्रकार ,गोलाई ,मोटाई के बारे में भी चर्चा हुई परन्तु कोई संतोषजनक निष्कर्ष न निकला ।

थोड़ा अनुसंधान फिर मैंने भी किया । रोटी का आकार आटे की लोई पर निर्भर करता है और लोई का आकार बनाने वाले की हथेली पर निर्भर करता है। लोई बस इतनी बड़ी हो कि हथेली के गड्ढे नुमा आकार में बैठ जाए । फिर उसे दोनों हथेलियों के बीच धीरे धीरे गोल गोल घुमाते हुए लोई को 'उड़नतश्तरी' के आकार का बना लें । अब उसके दोनों ओर सूखा आट़ा लगाए । चकले पर उस लोई को धर कर उँगलियों से हौले से दबाएँ । अब बारी आती है बेलन की , बेलन लंबा और पतला होना चाहिए । अगर बेलन की लम्बाई रोटी के व्यास से कम है तब रोटी बेलते समय कहीं मोटी और कहीं पतली हो जायेगी । चकला भी छोटा होने पर रोटी की शक्ल बिगाड़ सकता है । चकला इतना बड़ा हो कि रोटी बेल जाने के बाद भी उसकी परिधि के चारो ओर थोड़ी जगह छूटी हो । रोटी पर बहुत अधिक परेथन नहीं लगा होना चाहिए ,अन्यथा परेथन गर्म तवे के संपर्क में आते ही जल उठता है और रोटी पर काले काले दाग पड़ सकते हैं । तवे पर रोटी डालने के बाद उसे उलटते पलटते रहे ,जब चित्ती सी पड़ जाए तब उसे तवे से उतार कर गैस के बर्नर पर धीरे से सेंके । देखते ही देखते रोटी फूल कर कुप्पा हो जायेगी । जल्दी जल्दी 'दस्तपनाह' से उसे अलट पलट कर गुब्बारा ऐसा फुला लें और फिर उसे कैसेरौल में एल्युमीनियम फॉयल लगा कर रखते जाएँ । बन गई फूली फूली रोटी ।

इसमें कोई गणित ,कोई विज्ञान काम नहीं करता । बस बनाने वाले का मन होना चाहिए ,रोटियाँ बनाने का । अगर बनाने वाले ने रोटियाँ बनाते समय मुंह फुला लिया तब उस दशा में रोटियां नहीं फूलेंगी अर्थात या तो मुंह फूलेगा या रोटियाँ ।

गरीब आदमी चोकर या 'चूनी' की भी रोटी पाथ लेता है ।  महीन चाला हुआ आटा 'मैदा' कहा जाता है । चावल के आटे की रोटी 'खिरौरा' ,गेंहू की मीठी रोटी 'खबौनी' ,हाथ से पाथी रोटी 'हथपई',भौरी या उपलों की आग में पकाई रोटी 'लिट्टी','बाटी','भभरी' या 'मधुकरी' कही जाती है । घी या तेल में पकाई 'पूड़ी' ,'पूरी' ,'लचुई' या 'सोहारी' कहलाती है ।  ,बहुत मामूली घी में पकाई रोटी 'पराठा' ,'परोठा' या 'पल्टा' कहलाता है । दाल अगर अन्दर भर दी जाए तब उस को , 'दलही' या 'बेनिया' कहते हैं । पानी लगे हाथ से बिना परेथन या खुश्की के बनाई गई रोटी 'पनपथी' या 'चंदिया' कहलाती है । बेलकर तैयार की गई पतली रोटी 'फुलका' ,बिना बेले तैयार की गई पतली रोटी 'चपाती' कहलाती है । पकी रोटी को तोड़कर उसे घी में भून कर 'चूरमा' बनाते हैं ।

इस सब के अतिरिक्त मुझे तो एक समय की बासी रोटी को दूध में मसल कर खाने में बहुत आनंद और स्वाद मिलता है । 

13 टिप्‍पणियां:

  1. रुमाली रोटी के बारे में कौन बतायेगा :-)
    और छोटी रोटी बना कर तेल में ताल ली जाये तो पूरी(पूड़ी) कहलाती है :-)

    वैसे आपका ये रिसर्च पेपर approve हुआ समझिये !!

    सादर
    अनु

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत अच्छा लगा आपका रोटी प्रकरण। रोटी तो हम भी फुला लेते हैं।

    जवाब देंहटाएं
  3. मैंने कई साल तक रोटी फुलाई है , बेडमी और पलटा भी

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर लगा आपका रोटी प्रकरण.
    नई पोस्ट : मंदारं शिखरं दृष्ट्वा
    नई पोस्ट : प्रिय प्रवासी बिसरा गया
    नवरात्रि की शुभकामनाएँ .

    जवाब देंहटाएं
  5. रसोई सँभालने वाले बीमार न हों तो भी ज्ञान लेने की कोशिश रहे :)..... रोचक पोस्ट

    जवाब देंहटाएं
  6. pata nahi aate ko kitna gunthe, kinta kya kare, par haan kabhi roti ful jati hai, kabhi aise hi rah jati hai.........isliye jab bhi jarurat padi, parantha banana behtar raha......

    waise dudh roti... to bachpan ka priya bhojan hota hi tha, kaun sabji khaye

    जवाब देंहटाएं
  7. काफी शोध किया है रोटी पर .... आशा है निवेदिता अब पूर्ण स्वस्थ होंगी

    जवाब देंहटाएं
  8. मेरी रोटी और मुझको ही ना, वा भई वा !......
    अमित जी के ब्लॉग पर कल से कमेन्ट की कोशिश में लगी हूँ, पर ना ....
    जाने कितनी बार गूगल प्रोफाईल पासवर्ड मांगता है और टाईप करने से पहले ही भाग जाता है

    तो अब यहीं सही -
    "और बाकि रह गया है - बिना बेले पानी में उबालकर फिर उपलों पर सेकना- बाफला ....
    और ज्वार,मक्का,बाजरा के आटे की हाथों पर हथेली से भी बड़े आकार की बनाकर सेकने पर -रोटला....

    और हाँ बासी रोटी के ऊपर मूंगफली के तेल के साथ नमक- मिर्च चुपड़कर खाने का मजा और ही है, या चाय के साथ सिंपल रोल करके, या नहीं तो चूरा बनाके पोहे जैसा बघार लो .......और कुछ चाहिए तो पापड़ की तरह तलकर चाटमसाला बुरक कर खाईए ........

    (यह कमेन्ट अर्चना जी के हैं । वही अर्चना ,जिनकी रोटियों का चित्र हमने संजो लिया है ।)

    जवाब देंहटाएं
  9. अथ: श्री रोटी कथा .... :).
    वैसे मूंह फूला हो तो रोटी नहीं फूलती एकदम सच्ची बात.

    जवाब देंहटाएं
  10. काफी जानकारी के बाद ...रोटी बनाने का ...आपका शोध कार्य पूरा हुआ ....शुक्र है उस प्रभु का ....रोटी बनी या नहीं बनी ...पर ज्ञान जरुर मिला होगा आपको

    जवाब देंहटाएं
  11. क्या बात है भाई आपने तो रोटी पर पूरी रिसर्च कर डाली.

    जवाब देंहटाएं
  12. क्या बात है भाई आपने तो रोटी पर पूरी रिसर्च कर डाली.

    जवाब देंहटाएं