शीर्षक देखकर लोग सोचेंगे शायद स्वर्ण मुद्राओं की बात हो रही है | परन्तु ऐसा नहीं है | आज अचानक यूँ ही ख्याल आया कि, लोग सोते समय विभिन्न प्रकार के आकार ग्रहण करते हैं और उनके सोने की मुद्रा से उनके व्यक्तित्व का सम्बन्ध अवश्य होता होगा | पूरे देश के विभिन्न धर्म संप्रदाय के १०० लोगों की सोने की मुद्रा देखकर उन पर अनुसंधान करने के बाद जो परिणाम आये वे आपके समक्ष हैं :
१.बिस्तर पर पीठ के बल और बिलकुल सीधे ,दोनों हाथ अगल बगल आराम से रखे हुए : ऐसे व्यक्ति का राज घर में चलता है | यह अपने मन की करता है | अपनी इच्छा का स्वामी | भावनात्मक बहुत कम होता है |
२.बिस्तर पर पेट के बल और बिलकुल सीधे , दोनों हाथ अगल बगल आराम से रखे हुए : ऐसा व्यक्ति भावुक अधिक होता है और प्रायः अपनी भावनाओं को लोगों के सामने प्रकट नहीं होने देता | अपने दुःख दर्द किसी से शेयर नहीं करता |
३.दायें करवट सोने वाला : ऐसा व्यक्ति अपने दिल की बात अधिक सुनता है | मस्तिष्क द्वारा दिए गए संकेत को अनसुना कर दिल की सुन लेता है और प्रायः पश्चाताप करना पड़ता है |
४.बायीं ओर करवट ले कर सोने वाला : ऐसा व्यक्ति अधिकतर बुद्धिजीवी होता है और चिंतन मनन अधिक करने वाला और प्रायः सोने से पहले कुछ नया सोचने वाला होता है |
५.लाईट बुझाकर सोने वाला :ऐसे व्यक्ति को अपने परिवार से स्नेह कम होता है |
६.इसके विपरीत लाईट जली हो या बंद हो ,इसकी परवाह किये बगैर सोने वाला :ऐसे व्यक्ति को अपने परिवार से स्नेह अधिक होता है |
७.किसी भी दशा में घुटने मोड़कर सोने वाला : ऐसा व्यक्ति आत्मकेंद्रित होता है | दूसरे लोगों से सामंजस्य स्थापित करने में कठिनाई होती है |
८.पूरी तरह चादर ओढ़ कर सोने वाला : ऐसा व्यक्ति सबके सामने तो बलशाली प्रतीत हो सकता है परन्तु अन्दर से वह आत्म विश्वास से लबरेज़ नहीं होता |
९.बिस्तर पर ही सवेरे की चाय अर्थात बेड टी की आदत वाला :ऐसे व्यक्ति अच्छे स्वास्थ्य के कम होते हैं |
१०.बगल में तकिया दबा के सोने वाला :ऐसे व्यक्ति कल्पना प्रधान होते हैं और प्रायः कवि,लेखक या ब्लॉगर ही होते हैं क्योंकि इतनी देर तक कम्प्यूटर पर रहते हैं ,फिर तो तकिया ही हाथ आनी है न |
स्वर्ण की मुद्रा कहकर ललचाते हो और आने पर निद्रा की मुद्रा बताते हो, बहूSSSSत नाइंसाफ़ी है।
जवाब देंहटाएंयह सोना उस सोने से बहुत कीमती है साहब |
हटाएंहमारे ऊपर नंबर दो , पांच और छह लागू होता है.. और दसवें में कवि लेखक तो ठीक है.. पर ब्लॉगर कुछ जमा नहीं.. क्यूंकि ब्लॉग्गिंग कोई क्रिएटिवनेस तो नहीं है.. और ब्लॉगर एक टेक्नीकल क्रियेशन है.. और लिटरेट.. लोगों की चीज़ है.. अनपढ़ भी कवि लेखक बन सकता है... लेकिन ब्लॉगर नहीं.. ब्लॉगर कवि...लेखक नहीं बन सकता..
जवाब देंहटाएं2,5 & 8 मानियेगा... हिंदी में गिनती वैसे भी नहीं आती है..
जवाब देंहटाएंहमारे ऊपर नंबर दो , पांच और 8 लागू होता है.. और दसवें में कवि लेखक तो ठीक है.. पर ब्लॉगर कुछ जमा नहीं.. क्यूंकि ब्लॉग्गिंग कोई क्रिएटिवनेस तो नहीं है.. और ब्लॉगर एक टेक्नीकल क्रियेशन है.. और लिटरेट.. लोगों की चीज़ है.. अनपढ़ भी कवि लेखक बन सकता है... लेकिन ब्लॉगर नहीं.. ब्लॉगर कवि...लेखक नहीं बन सकता..
जवाब देंहटाएं'कन्फ्यूज़' कर दिया 'महफूज़' ( सा'ब) आपने....!
हटाएंकमाल का रोचक विश्लेषण किए हैं महाराज । अपना एक चार और छ मान के चल रहे हैं आ दसवां तो हईये है :)
जवाब देंहटाएंआप सोते भी चार तरह से हैं | वाह !
हटाएंwaaah amit ji. ama aap bhi kya kya khurafaat sochte rahte hai lekin ab aapne bataya hai to isko jara aazma ke dekhenge
जवाब देंहटाएंआपका एस एम् एस मिला | आप तो पहले से ही बुद्धिजीवी हैं | आप तो बाएं दायें से परे हैं |
हटाएं1 और ४ ही फ़िट होता है अपने पर तो, १० वाँ नहीं होता तब भी हम ब्लॉगर हैं :) अब कोशिश करते हैं ।
जवाब देंहटाएंलकी हैं आप , और क्या कहें |
हटाएं:) रोचक निद्रा की मुद्राएँ ...
जवाब देंहटाएं" निद्रा की मुद्रा " अच्छा लगा यह प्रयोग |
हटाएंrochak nidra ki mudrayen..
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen.
बड़ी मोहक मुद्रायें हैं।
जवाब देंहटाएंमोहक तो अदा होती है ,सर , मुद्रा तो आमंत्रित करती है |
हटाएंसोते समय ध्यान देंगे कि हम कैसे सोते हैं.
जवाब देंहटाएंदिलचस्प
ध्यान तो दूसरा देगा | आप तो सोयेंगे |
हटाएंगनीमत है कि तकिया को लैपटॉप मान कर ही सोयें लेखकगण।
जवाब देंहटाएंसोने के बाद बगल में तकिया हो या लैप टाप या किसी की बाँहें , सब सहारा और अपनापन ही देती हैं |
हटाएंबायें करवट सोने की आदत है, अतः चौथा पॉइंट बहुत भला लगा पढ़कर। लेकिन लाइट ऑफ करके सोने की आदत है , अतः टेंशन में आ गयी ये पढ़कर, की उन्हें परिवार से प्यार कम होता है।
जवाब देंहटाएंटेंशन मत लीजिये | ये स्वामी 'अमितानंद' के अपने विचार हैं |आवश्यक नहीं, लागू हों सब पर |
हटाएंha ha ha...... jabardast agli baar swanmudrao par likhiyega
जवाब देंहटाएंभोज पत्र पर तो लिखा जा सकता है , स्वर्ण-मुद्रा पर नहीं | थोड़ा हँस लीजिये |
हटाएंबहुत रोचक...
जवाब देंहटाएंरोचक विश्लेषण है :)
जवाब देंहटाएंहम तो हर तरीके से सोते हैं?? मतलब हम क्या हुए जी??
जवाब देंहटाएंकुण्डली कमजोर लोग विचरवाते हैं , आप जैसे पहलवान नहीं |
हटाएंहा हा हा..गैंग्स ऑफ वासेपुर वाले पहलवान तो खैर नहीं ही हैं.. :D
हटाएं10वां नंबर सही लगा....
जवाब देंहटाएंदस नम्बरी होने की मौज ही कुछ और है | हम भी आपके हम-नम्बरी ही हैं |
हटाएंएक सुझाव : तकिया बहुत ऊंची नहीं चाहिए |
जवाब देंहटाएंसुझाव तुम्ही ने माँगा था , सो दे दिया |
ha ha ha... :D
जवाब देंहटाएंबहुत खूब.... आपके इस पोस्ट की चर्चा आज 29-6-2012 ब्लॉग बुलेटिन पर प्रकाशित है ..अपने बच्चों के लिए थोडा और बलिदान करें.... .धन्यवाद.... अपनी राय अवश्य दें...
जवाब देंहटाएंinteresting stuff..
जवाब देंहटाएंlast one was so true :P
आकर्षक लेख....!
जवाब देंहटाएंबहुत रोचक विश्लेषण किया है ....
जवाब देंहटाएं:).kya bolu maja aaya padhkar.sath hi sath ye dhyan bhi kar liya ki hum kaise sote hain...
जवाब देंहटाएंरोचक पोस्ट... टीप-प्रतिटीप भी.... वाह!
जवाब देंहटाएंसादर।
बहुत ही रोचक विश्लेषण है..आभार..
जवाब देंहटाएंस्वर्ण-मुद्रा kaha hai ??
जवाब देंहटाएंये तो मिलियन डालर क्वेश्चन है | अन्ना और रामदेव भी यही पूछ रहे हैं |
हटाएंरोचक विश्लेषण है ...
जवाब देंहटाएंअब से मुँह ढाप कर न सोयेंगे.....और १०० वाट का बल्ब भी जला रखेंगे...अपनी संतुष्टि के लिए..
जवाब देंहटाएंसादर
टेंशन मत लीजिये | ये स्वामी 'अमितानंद' के अपने विचार हैं |आवश्यक नहीं, लागू हों सब पर |
हटाएंSecond number hai meri style me
जवाब देंहटाएं