ख़यालों में तुम्हारे ,
कुछ बेखयाल यूँ थे ,
कि सुर्ख़ियाँ तुम्हारी ,
हम संजोया किए थे ,
वो अक्स था तुम्हारा ,
कि था वह तसव्वुर ,
पलकों को पलकों से ,
यूँ मूंदा किये थे ,
आहट जब हुई ,
ख़ामोशी की तुम्हारी ,
सिहर से गए हम ,
चढ गई थी खुमारी ,
और झांका तुमने जब ,
अंधेरों को रोशनी मिल गई ,
गुमशुदा बैठे थे तन्हा,
लम्हों को ताज़गी मिल गई |
वाह......
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !!!
उम्मीद है और पढने मिलेंगी.....शिखा का फरमाइशी प्रोग्राम जारी रहे :-)
अनु
"और झांका तुमने जब ,
जवाब देंहटाएंअंधेरों को रोशनी मिल गई ,
गुमशुदा बैठे थे तन्हा,
लम्हों को ताज़गी मिल गई | "
भाई साहब ... आप की रचनाओं पर भी अब बिजली विभाग हावी होने लगा है ... ऐसा लगा जैसे किसी पवार कट के बाद का जिक्र कर दिया हो आपने ;)
गुस्ताखी माफ ... हो सरकार ... हमारी फितरत से आप बखूबी वकिफ है |
हटाएंअहा, सुबह की हवा के झोंके सा।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब .....सुंदर से भाव....
जवाब देंहटाएंऔर झांका तुमने जब ,
जवाब देंहटाएंअंधेरों को रोशनी मिल गई ,
गुमशुदा बैठे थे तन्हा,
लम्हों को ताज़गी मिल गई |
बहुत सुंदर.
नई पोस्ट : सिनेमा,सांप और भ्रांतियां
बहुत ही सुन्दर...
जवाब देंहटाएं:-)
लम्हों को ताजगी मिलेगी ही ............. :) आखिरी इत्ती प्यारी सी कविता जो है :)
जवाब देंहटाएंKhayalon mein bekhayal....bahut khoob sir:-)
जवाब देंहटाएंसुपर से बहुत ऊपर ! वाह क्या बात है.......
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब ... :)
जवाब देंहटाएं~सादर
अह हा .. मीठी मीठी ..
जवाब देंहटाएंताजगी आ गई ,बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंलेटेस्ट पोस्ट कुछ मुक्तक !
अच्छी रचना , बढ़िया अमित भाई , धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंलोकल एरिया नेटवर्क क्या है ? - { What is a local area network ( L.A.N ) ? }
प्यार और इंतजार----
जवाब देंहटाएंएक ऐसी अनुभूति----जो जीने की बयार है.
सुंदर
बढ़िया और भावपूर्ण रचना।
जवाब देंहटाएंसुन्दर तसव्वुरात की रचना :
जवाब देंहटाएंऔर झांका तुमने जब ,
अंधेरों को रोशनी मिल गई ,
गुमशुदा बैठे थे तन्हा,
लम्हों को ताज़गी मिल गई |
हूँ...वाह!
जवाब देंहटाएंपहरन-ओ-सरो-पा चहदीवारी ये तिरा दर..,
जवाब देंहटाएंशायद फिर लम्हे को सदियों का है इन्तजार......