आहट हुई आने की उनके,
कविता मेरी मचल गई,
पहले उगी फिर खिली फिर संवर गई,
कभी उलझी निगाहों में उनके,
कभी लबों पे ठहर गई,
डूबी कभी ख्यालों में उनके,
कभी साँसों में घुल गई ,
इंतज़ार में रह गया मैं,
आगोश की उनके,
कविता बरबस लिपट गई,
खुशबू उनकी आती है अब,
कविता से यूं ही अक्सर,
कभी भिगो जाती है मन,
बरसा जाती कभी आँखे जमकर,
रह गया मैं तो तसव्वुर में उनके,
कविता मंजर सारा बयाँ कर गई |
बहुत सुन्दर..........
जवाब देंहटाएंखिली रहे सदा...महकती रहे...
सादर
अनु
सारी भावनाए
जवाब देंहटाएंकविता में समा गयी
बहुत सुन्दर मनभावन कविता...
:-)
सचमुच कविता मंजर सारा बयाँ कर गई... खुश्बू से महकती सुन्दर कविता...
जवाब देंहटाएंकविता यूँ ही तड़पा के आती है..
जवाब देंहटाएंpriyatam ko kavitaa me baandh lene kaa ye prayaas bahut khoobsoorat laga
जवाब देंहटाएंaabhaar
बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........
जवाब देंहटाएंकल 06/08/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
बड़ी प्यारी सी कविता है...
जवाब देंहटाएंकविता यूँ ही खिलती रहे, महकती रहे, महकाती रहे...
जवाब देंहटाएं~सादर!!!
मन को छू गई
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंखूबसूरत खयाल ...कविता यूं ही मचलती रहे
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावपूर्ण कविता ...।
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