थोड़ी देर बाद गर्म चाय आएगी , मुझे कई बार फब्तियां सुनने को मिलेंगी , रात भर नेट पर करते क्या रहते हैं , अरे ब्लॉग व्लाग तो हम भी लिखते हैं , दिन में एक दो घंटे नेट पर बैठे ,हो गया , आप रात भर क्या करते हैं | 'फेस बुक' पर सबको घूम घूम कर 'लाइक' करते रहेंगे बस | अरे कभी हिसाब लगाया , कितने 'लाइक' आपने किये और कितनों ने आपको किया | ( मै मन ही मन सोचता हूँ , चाहने में भी गणित और हिसाब किताब , यह मुझसे नहीं होने वाला ) | मैं चुप चाप चाय उठाउंगा , जो ( चाय ) अब तक मलाई के नीचे अपना यौवन छुपा चुकी होगी , उसके यौवन को उद्घाटित करता हुआ एक ही घूँट में निपटा दूँगा | अब काम तो सारे दिनचर्या वाले करने ही होते हैं, पर वो सारे काम डाँट डपट के बैक ग्राउंड म्युज़िक के साथ ही होंगे |
बारिश के मौसम में बिजली कुछ ज्यादा ही आती जाती रहती है , उस पर कमेन्ट मिलते हैं कि जब सारी रात नेट पर रहेंगे, फिर तो आफिस में सोते होंगे | काम धाम वहां कुछ करते नहीं होंगे, तब बिजली क्या ख़ाक आएगी | अब कौन समझाए, बिजली का आना जाना हमारे काम करने या न करने से बिलकुल जुदा है | अरे ! बिजली की अपनी मर्जी , आये न आये | ( बिजली जितनी देर बंद रहती है , विभाग को फायदा ही होता है , दस रुपये का माल हम लोग तीन रुपये में बेचते हैं , उसमे से भी ६० प्रतिशत चोरी में जाती है , अरे न रहे बिजली न हो चोरी ) |
रात भर नेट पर रहने से बाइलोजिकल क्लाक तो डिस्टर्ब होती है , वह एक अलग बात है, पर असल बात यह है कि आपकी क्लाक आपकी घर वाली से १८० डिग्री फेज़ डिफ़रेंस में आ जाती है | वही घातक है | दो चार दिन संयम बरत कर वह अंतर कम कर भी लें पर लत तो लत हैं न , कहाँ छूटती है , फिर चिपक लिए नेट से रात भर तो फिर हो गया "नेट लैग" और यह "नेट लैग " ख़त्म करने का उपाय केवल इतना ही है कि " कभी वो भी जगें रात भर " और यह होने वाला नहीं है |
"नेट लैग " ...यह "जेट लैग" का बाप है .......|
जवाब देंहटाएंये तो उसी तरह का बयान है जैसे कोई कवि कहे कविता लिखना प्रसव वेदना से गुजरने के समान है। अरे जब अभी तक जेट लैग झेला नहीं तो उसको नेट लैग का बच्चा कैसे बता रहे हो!
लाइक करने का तो जैसा बताया कि-कुछ लोग फ़ेसबुक पर अपने दोस्तों के स्टेटस इतनी तेजी से ’लाइक’ करते हैं मानों बिजली वाले रैकेट से पटापट मच्छर मार रहे हों। :)
बाकी ये अलग-अलग जागना ये क्या लफ़ड़ा है भाई! :)
भावनाओं को समझिये | 'भावना' स्त्रीलिंग होती है , उसका सम्मान करना चाहिए , पर आप तो ठहरे पुराने बलात्कारी ..|
हटाएंसही बात है, जब कभी भी कार्यालय में थोड़ी सुस्ती छाती है तो बस यही लगता है कि रात को सोये कब थे..
जवाब देंहटाएंपूरा हक़ है उन्हें फब्तियाँ कसने का....
जवाब देंहटाएं(यहाँ तो 'लोग' लाइक के हिसाब भी सुनाते हैं :-))
सादर
अनु
यानी हम अकेले नहीं है | वाह , जान कर हम खुश हुए |
हटाएंवाकई बीमारी है , जरा हिसाब लगाइए ब्लोगिंग के बाद में वजन में बढ़ोतरी कितनी हुई !
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
वजन तो नहीं बढ़ा | हाँ ! 'जन' बढ़ गए | ( मित्र जन )
हटाएंइस मज़े (मज़ा ही तो है रात भर जागना) का आनंद मैं भी खूब उठा चूका हूँ... मज़ा आता है.. है न... :-)
जवाब देंहटाएंशुक्रिया ज़िन्दगी.....
जवाब देंहटाएंमैं चुप चाप चाय उठाउंगा , जो ( चाय ) अब तक मलाई के नीचे अपना यौवन छुपा चुकी होगी , उसके यौवन को उद्घाटित करता हुआ एक ही घूँट में निपटा दूँगा.
जवाब देंहटाएंओए होए क्या गज़ब का बिम्ब..
और ये नेट लेग के चक्कर में डाँट का बैक ग्राउंड म्यूजिक तो हर ब्लोगर की किस्मत में है.
bahut badhiya........
जवाब देंहटाएंसच है ---नेट लैग , जेट लैग का बाप है !
जवाब देंहटाएंमैं चुप चाप चाय उठाउंगा , जो ( चाय ) अब तक मलाई के नीचे अपना यौवन छुपा चुकी होगी , उसके यौवन को उद्घाटित करता हुआ एक ही घूँट में निपटा दूँगा.
जवाब देंहटाएंइस नैट लैग से काफी लोग ग्रसित हैं ... :):)
बस कोशिश रहती है इससे जुड़े भी रहें और बचे भी रहें ..... :)
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत रचना, नेट-जेट लेग के मजे ही मजे हैं। आभार
जवाब देंहटाएंकल 13/07/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
खुश कीत्ता
जवाब देंहटाएंmast post...liked it :)
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया पोस्ट ...पढ़कर मज़ा आ गया !
जवाब देंहटाएंनेट लैग " ...यह "जेट लैग" का बढ़िया चिंतन ...मनन
जवाब देंहटाएंयही अगर उल्टा हो तो...??? :))
जवाब देंहटाएंsorry! यही scene..अगर उल्टा हो तो...???
जवाब देंहटाएंउनका दिल करता होगा आप जल्दी से कंप्यूटर से हटें और मन की इबारतें उनके दिल पर उकेर दें |
हटाएंक्या अंदाज है...!!! मलाई के नीचे अपना यौवन छुपा चुकी चाय.... वाह!! अलग ही उपमा... मस्त लेखन...
जवाब देंहटाएंसादर।
बेहद सुन्दर आलेख...अगले दिन सुबह नींद से बोझिल आँखें और सुस्ती का आलम..
जवाब देंहटाएंमन फिर भी नहीं मानता ...सार्थक लेख सबके मन की बात शुभ कामनाएं !!!