बहुत पहले टी.वी. पर 'बलसारा' कंपनी के विज्ञापन में डा.माया अलग एक विशेष प्रकार से 'ओफ्फ ओ ' बोलती थीं ,जिसमे उनके होंठ एक ओर थोडा सा ऊपर उठ जाया करते थे | वो विज्ञापन बहुत फेमस हो चला था । बस तभी से पता नहीं क्यों मैं तिरछे होंठों का बहुत बड़ा फैन हो गया | (जबकि उस समय मै वयस्क भी नहीं था )।
हँसते हँसते जब किसी के होंठ ज़रा सा ऊपर एक कोने में उठ जाते हैं तब उसकी हँसी में चार चाँद से लग जाते हैं | बात करते करते जब वे रुकने की मुद्रा में आते हैं तब उनके होंठ ठहरते ठहरते एक ओर ऊपर जाकर रुक से जाते हैं |
इस प्रकार के फीचर वाले लोग अत्यंत कम ही होते हैं ।
ऐसा लगता है ,ईश्वर जब खूबसूरत चेहरे बना लेते हैं ,फिर उन्हें जांचते समय उन पर टिक लगाते जाते हैं कि हाँ, ये चेहरे मानक अनुसार खूबसूरत हैं और इस जांच की प्रक्रिया में 'टिक' होंठ पर लग जाता है और वह एक ओर ऊपर उठ जाता है |
वो मुस्कान,
तिरछी सी,
लफ़्ज़ों के मेले,
से लगे थे,
उसके लबों पे,
हर तीसरे लफ्ज़ पर,
उसके लब थिरकते,
लरजते,
और यकायक,
उठ जाते,
एक ओर,
हाँ !
हँसने पर,
लब का कोना एक,
कुछ ज्यादा ही,
उठ जाता था,
एक ओर,
गोया,
ज्वार भाटा सा,
आता हो,
लबों पे उसके,
जी किया ,
ऊपर नीचे होते ,
लबों को,
छू लूँ,
हौले से,
अपनी उँगलियों से,
और रोक दूँ ,
धड़कने ,
उसके लफ़्ज़ों की,
मगर इतना होश कहाँ ,
डूब सा जो ,
गया था मै ,
लबों के,ज्वार भाटे में ।
( रचना का आधार महज कल्पना ,कृपया किसी को ठेस न पहुंचे )
इतना बारीक चित्रण ......बहुत खूबसूरत!
जवाब देंहटाएंआहा हा ..निर्मल तिरछी हंसी सा ही सुन्दर चित्रण.
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात है ... जय हो ...
जवाब देंहटाएंइस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - ब्लॉग बुलेटिन की राय माने और इस मौसम में रखें खास ख्याल बच्चो का
चलो अब वयस्क हो गये और होठ पर टिक लगाने लगे। :)
जवाब देंहटाएंभावों से नाजुक शब्द को बहुत ही सहजता से रचना में रच दिया आपने.........
जवाब देंहटाएंजय हो ....एकदम खालिस है जी
जवाब देंहटाएंबहुत हीं गहम अध्ययन किया है अपने...सुन्दर...
जवाब देंहटाएंbahut sajeev rachnaa
जवाब देंहटाएंतिरछी नज़र के बारे में तो सुना है आपने तिरछे होंटों के बारे में बता कर न्य कीर्तिमान स्थापित किया है...:-) रोचक पोस्ट. बधाई
जवाब देंहटाएंनीरज
सुन्दर भाव लिए..
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना...
तिरछे होंठो का सुन्दर वर्णन...
बेहद खूबसूरत शब्द रचना ...वाह
जवाब देंहटाएंखूबसूरती का सुन्दर सूक्ष्म अवलोकन बहुत अच्छा है। हमेशा की तरह लाजवाब....
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत
जवाब देंहटाएंआखिर वयस्क हो ही गए
मुस्कान का तिरछा होना बहुत कुछ कहता है।
जवाब देंहटाएंक्या गहन अवलोकन है ... :):) रोचक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंHmmm....Interesting!!!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत गहन अवलोकन आपकी बात में हमारी सहमती है इस तरह की मुस्कराहट कम ही मिलती है
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति....गहन विवेचन से परिपूर्ण
जवाब देंहटाएंबुरा क्या है ....??
जवाब देंहटाएंअरे वाह ....सुंदर वर्णन ....!!
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना ...!!
अरे वाह ....सुंदर वर्णन ....!!
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना ...!!
kisi ki ki agar koi baat achhi lagti hai to usme galat lagne jaisi koi baat nahi hai .
जवाब देंहटाएंhain-aapne jis tarah se vivechan kiya hai vo jaroor kabile tarrif hai----
poonam
what an observation....
जवाब देंहटाएं:-)
regards.
good hai sir ji........
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