बड़े मन से आम खा रहा था | बहुत ही मीठा आम था | स्वाद इतना अच्छा था कि, उसे छोड़ने का मन ही नहीं कर रहा था , फिर गुठली पे लगे बचे खुचे रस को भी उदरस्थ कर लिया | बची गुठली बेमतलब की थी | गलती से भी उसे काट कर खा लूँ, तो मुंह का स्वाद कसैला हो जाता है | पर गुठली ही पूरे आम को बांधे रखती है ,स्वयं में बे-स्वाद होते हुए भी दूसरों को मधुर स्वाद का पान कराती है | फल कोई भी हो ,सभी में गुठली अवश्य होती है ,जो चारों और से मधुर रस से परिपूर्ण होती है | परन्तु गुठली से छेड़छाड़ करने से कुछ भी हासिल नहीं होता ,सिवाय कसैलेपन के |
कुछ इसी तरह से मानवीय रिश्ते भी होते हैं ,शायद | रिश्ते चाहे पति-पत्नी के हों,माँ-बाप और उनके बच्चों के बीच के हो ,भाई भाई के हो ,दोस्तों के मध्य हो ,या किन्ही भी दो लोगों के बीच के हो ,इन रिश्तों के पनपने के लिए शुरुआत में एक बीज ही होता है ,धीरे धीरे रिश्ते प्रगाढ़ होते जाते हैं और स्वभाविक तौर पर उनके मध्य प्रेम और पारस्परिक सम्मान का रस बढ़ने लगता है | परन्तु साथ ही साथ रिश्ते की नीव ,वह बीज बड़ा होते होते एक गुठली का आकार ले चुका होता है | किसी भी रिश्ते में प्रेम का रस तभी तक प्रवाहित होता रहता है , जब तक रिश्ते के दोनों सिरे के लोग संबंधों के रस को बना रहने देते हैं और उसे एकदम निचोड़ कर 'गुठली' से छेड़छाड़ नहीं प्रारम्भ कर देते हैं | गुठली से छेडछाड की नहीं कि, मन तो फिर कसैला होना ही है |
समझने वाली बात केवल इतनी सी है कि जिस "कारण" से कोई रिश्ता बनता है ,वही "कारण" तो बड़ा होकर "गुठली" का आकार लेता है ,उससे छेड़छाड़ का सीधा मतलब "गुठली" पर आघात होता है और फिर मन और रिश्ते दोनों का खट्टा होना तय हो जाता है |
"बस इतनी सी बात है कि "रिश्ते" बने क्यों हैं ,उस पर आघात ना करते हुए बस उन पर पनपते रस का आनंद लेते रहें क्योंकि "गुठली" को चोट पहुंचाने से रस कभी नहीं निकलने वाला |"
बहुत ही सुन्दरता से गहरी बात कह दी।
जवाब देंहटाएंbaat to khari hai , per .... ?
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचा है
जवाब देंहटाएंकुछ इसी तरह से मानवीय रिश्ते भी होते हैं ,शायद | रिश्ते चाहे पति-पत्नी के हों,माँ-बाप और उनके बच्चों के बीच के हो ,भाई भाई के हो ,दोस्तों के मध्य हो ,या किन्ही भी दो लोगों के बीच के हो ,इन रिश्तों के पनपने के लिए शुरुआत में एक बीज ही होता है
जवाब देंहटाएंबड़े ही अच्छे विषय पर् आपने लिखा है !
जो लोग घर साधने में पूरा जीवन निकाल देते हैं, वे बहुत कुछ गुठली जैसे ही होते हैं।
जवाब देंहटाएंसमझने वाली बात केवल इतनी सी है कि जिस "कारण" से कोई रिश्ता बनता है ,वही "कारण" तो बड़ा होकर "गुठली" का आकार लेता है ,उससे छेड़छाड़ का सीधा मतलब "गुठली" पर आघात होता है और फिर मन और रिश्ते दोनों का खट्टा होना तय हो जाता है |
जवाब देंहटाएंक्या बात कह दी है आपने.....
अच्छी पोस्ट...
सही बात कही है सर ।
जवाब देंहटाएंसादर
सच है.... रिश्तों से जुडी गहरी बात ....
जवाब देंहटाएं"बस इतनी सी बात है कि "रिश्ते" बने क्यों हैं ,उस पर आघात ना करते हुए बस उन पर पनपते रस का आनंद लेते रहें क्योंकि "गुठली" को चोट पहुंचाने से रस कभी नहीं निकलने वाला |"
जवाब देंहटाएंआपने तो रिश्तो की संवेदनशीलता को गुठली के माध्यम से सहजता से समझता दिया है. सार्थक आलेख .
अमित जी क्या इतेफाक है ...जब आपका ये लेख पढ़ रही थी तो साथ साथ आम ही खा रही थी...
जवाब देंहटाएंरिश्तो को ...गुठली के साथ संबोधन दे कर आपने रिश्तो की गरिमा बड़ा दी ...
बहुत सार्थक लेख ..........आभार
--
anu
रिश्ते पर आपने एक विचारोत्तेजक प्रस्तुति कर दी है।
जवाब देंहटाएं"रिश्तों" में भी "गुठली" .....गहन अनुभूतियों से परिपूर्ण इस सार्थक लेख के लिए बधाई।
जवाब देंहटाएंरिश्तो से जुडी भावनावो को दर्शाती रचना...
जवाब देंहटाएंजन्मदिन की बहुत बहुत शुभकामनाएँ सर।
जवाब देंहटाएं-----------------
कल 01/08/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
कल 02/08/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
माफ कीजयेगा पिछले कमेन्ट मे तारीख गलत हो गयी थी
जन्मदिन पर बहुत शुभकामनाये.
जवाब देंहटाएंAam ka aam guthli ka shi daam laga diya aapne
जवाब देंहटाएंकल 03/08/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
Beautiful presentation of thoughts on relationships. Nice way to keep them alive . Great corollary !
जवाब देंहटाएंohh !!! kitni gahri baat kah di aapne....
जवाब देंहटाएंबहुत गहन बात ... यह तो वही बात हुई आम के आम गुठलियों के दाम ...आम भी खाया और इतनी खरी बात कह कर इतनी अच्छी पोस्ट भी लिख दी ...
जवाब देंहटाएंसार्थक विचार
aam se jyada guthhli ke dam sathai post rishton ka achha vardan , abhar
जवाब देंहटाएंक्या बात कह दी है आपने बहुत गहन.....सार्थक विचार
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया पोस्ट, मैंने आपकी कई पोस्ट देखी, आपके ब्लाग से अब तक नाता न हो पाया था.
जवाब देंहटाएंआज ही जुड़ रहा हूँ ,अब संवाद कायम रहेगा.
बहुत ही सुन्दर रचा है
जवाब देंहटाएंbahut kam ki baat bataye hain.......
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छा उदाहरण चुना आपने एक सार्थक संदेश के लिए। आभार
जवाब देंहटाएंtarkik post...........baaton me dum hai prabhu :)
जवाब देंहटाएं