आज मेरी रूह,
पूछ बैठी मेरे जिस्म से,
क्या हासिल होता है तुम्हें,
दूसरों की ही सोच कर,
या विचार कर उनकी खुशी,
लोगों की नोच-खरोच दिखती है,
तुम्हारे जिस्म पर,
फ़िर भी तुम रखते हो,
ख्याल उनकी ही उंगलियों का,
आगे कहा उसने,
जिस्म तू थक जाएगा,
ना उकताएंगे वे तेरी तकलीफ़ों से,
इतनी अनदेखी ना कर,
अपनी रूह की,
जिस्म मेरा बोला,
बड़ी ही सादगी से,
तुम्हें तो एक दिन अलग,
होना ही है मुझसे,
जब तक हूं मै तेरे साथ,
प्यार कर लेने दो मुझे सभी से,
बदले में क्या मिलेगा,
कभी सोचा नही,
और सच तो यह है रूह मेरी,
कि फ़ना तो जिस्म ही होता है,
तभी यादगार रूह बनती है।
पूछ बैठी मेरे जिस्म से,
क्या हासिल होता है तुम्हें,
दूसरों की ही सोच कर,
या विचार कर उनकी खुशी,
लोगों की नोच-खरोच दिखती है,
तुम्हारे जिस्म पर,
फ़िर भी तुम रखते हो,
ख्याल उनकी ही उंगलियों का,
आगे कहा उसने,
जिस्म तू थक जाएगा,
ना उकताएंगे वे तेरी तकलीफ़ों से,
इतनी अनदेखी ना कर,
अपनी रूह की,
जिस्म मेरा बोला,
बड़ी ही सादगी से,
तुम्हें तो एक दिन अलग,
होना ही है मुझसे,
जब तक हूं मै तेरे साथ,
प्यार कर लेने दो मुझे सभी से,
बदले में क्या मिलेगा,
कभी सोचा नही,
और सच तो यह है रूह मेरी,
कि फ़ना तो जिस्म ही होता है,
तभी यादगार रूह बनती है।
ये विचार बहुत कम के मिले ,
जवाब देंहटाएंजब भी मिले आप के ही मिले!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन पोस्ट लेखन के लिए बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से, आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है - पधारें - विजय दिवस पर विशेष - सोच बदलने से मिलेगी सफलता,चीन भारत के लिये कितना अपनापन रखता है इस विषय पर ब्लाग जगत मौन रहा - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा
badiya post ..
जवाब देंहटाएंmere blog par bhi kabhi aaiye waqt nikal kar..
Lyrics Mantra
wah .....bahut sundar
जवाब देंहटाएंnice post.....really touching
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