रविवार, 16 अप्रैल 2023

सामीप्य

 "तुम्हारे पास आता हूँ तो साँसें भीग जाती हैं,

मुहब्बत इतनी मिलती है कि आँखें भीग जाती हैं,

तबस्सुम इत्र जैसा है हँसी बरसात जैसी है,

तुम जब भी बात करती हो तो बातें भीग जाती हैं"

शुक्रवार, 14 अप्रैल 2023

एक वो रात।

 रातें रेशमी चादर सी होती हैं और तुम्हारी बातें सितारों सी । 

तुम बातें करती हो न तब मैं तुम्हारे लफ़्ज़ों को अपनी हथेलियों पर सहेजता रहता हूँ और तुम्हारे सो जाने के बाद एक एक कर उन लफ़्ज़ों को टांक देता हूँ , इस रेशमी चादर पे । 

फिर इन सितारों की झिलमिलाहट में बड़ी सुकून भरी नींद आ जाती है मुझे । 

बीती रात न बातें थीं न सितारे और न सुकून । उस रेशमी चादर का एक हिस्सा कोरा रह गया जो दिन के उजाले में एक अलिखित कहानी बयां कर रहा ।