शुक्रवार, 3 दिसंबर 2010

"खुशबू" उनकी

आंखें यूं खोली आहिस्ता से उन्होंने,
जैसे डिबिया खुली हो इत्र के फ़ाहों की,
और खुशबू फ़ैल गई।
हौले से बाल यूं लहरा दिये उन्होंने  जैसे,
केसर बिखर गए हों हवा में,
और खुशबू फ़ैल गई।
इशारों में कुछ कहने की कोशिश में,
बोल तो ना निकले पर सांसे घुली हवा में,
और खुशबू फ़ैल गई।
हवा जो चली हल्की सी,
थोड़ा पल्लू बहक गया,
और खुशबू फ़ैल गई।
मैने कैद करना चाहा उन्हें,
अपनी बांहो में,
मगर वो तो खुशबू थीं,
और खुशबू फ़ैल गई।

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