आँखें मूंद लो अपनी,
तुम्हें निहारना चाहता हूँ,
चेहरा रख दो मेरी हथेलियों पे,
थोड़ा दुलराना चाहता हूँ,
नज़र भी कह रही मेरी,
भर नज़र देख लूं तुमको,
आसमाँ पे मै आज,
सितारे टांकना चाहता हूँ,
ना तुम कुछ कहो आज़,
बोलूँ ना कुछ मै भी आज़,
दिल से ही दिल को सुनना चाहता हूँ,
थोड़ी लाज़ तुम भूलो थोड़ी हिचक मै छोडूँ,
तुम्हारी बाहों में मै आज़ सिमटना चाहता हूँ।
तुम्हें निहारना चाहता हूँ,
चेहरा रख दो मेरी हथेलियों पे,
थोड़ा दुलराना चाहता हूँ,
नज़र भी कह रही मेरी,
भर नज़र देख लूं तुमको,
आसमाँ पे मै आज,
सितारे टांकना चाहता हूँ,
ना तुम कुछ कहो आज़,
बोलूँ ना कुछ मै भी आज़,
दिल से ही दिल को सुनना चाहता हूँ,
थोड़ी लाज़ तुम भूलो थोड़ी हिचक मै छोडूँ,
तुम्हारी बाहों में मै आज़ सिमटना चाहता हूँ।
khoobsurat
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जवाब देंहटाएंबेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है - पधारें - पैसे का प्रलोभन ठुकराना भी सबके वश की बात नहीं है - इस हमले से कैसे बचें ?? - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा
बहुत खुबसूरत इल्तिज़ा...
जवाब देंहटाएंअच्छा है। बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर एहसास के साथ सुंदर कविता....
जवाब देंहटाएंसृजन शिखर पर " हम सबके नाम एक शहीद की कविता "
सदैव की तरह पुनः आप सभी का स्नेह मिला। बहुत बहुत शुक्रिया।आपके स्नेह की अगली किश्त के इन्तज़ार में..
जवाब देंहटाएं... bahut sundar ... shaandaar rachanaa !!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर.......
जवाब देंहटाएंएक शब्द ,ख़ूबसूरत !
जवाब देंहटाएंएक पूरा वर्ष बीत चुका है ,इल्तिजा पर सुनवाई हुई ?
जवाब देंहटाएं:-) सुन्दर
हटाएंसादर
अनु
sundar komal ehsaas ...sundar abhivyakti ...!!
जवाब देंहटाएंthori laaj tum bhulo, thori hichak main chhodun:)
जवाब देंहटाएंlajabab:))