यह माना कि प्यार,
किया था बहुत तुमने मगर,
कम हम भी ना तड़पे थे उस रोज़,
जब मांगा था तुमने हिसाब आंसुओं का।
चार-छेः आंसू बहा कर,
दर्ज कर लिया बही मे तुमने उन्हें,
और चाहते हो अब कि,
जीवन भर डूबा रहूं,
कर्ज में उन्हीं आंसुओं के।
सच तो यह था कि,
जब जब बहे आंसू तुम्हारे,
भिंचती रही मुठ्ठियां मेरी,
और समाता रहा उनमें,
बांध मेरे आंसुओं का।
पर आज खोल बैठा हूं,
मुठ्ठियां अकेले में,
और जार जार बह रहे आंसू।
शायद इस तरह,
लौटा रहा हूं उधार,
तुम्हारे आंसुओं का ।
बहुत ही प्यारी रचना.......हिसाब आँसूओं की....क्या बात है।
जवाब देंहटाएं... bahut sundar ...prasanshaneey rachanaa !!!
जवाब देंहटाएं्जो प्यार तूने मुझको दिया था
जवाब देंहटाएंवो प्यार तेरा मै लौटा रहा हूँ
ये गीत याद आ गया आपकी रचना पढकर्।
और समाता रहा उनमें,
जवाब देंहटाएंबांध मेरे आंसुओं का।
अतिसुन्दर भावाव्यक्ति , बधाई
सुन्दर अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंइस तरह लौटा रहा हूँ उधार तुम्हरे आंसुओं का ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति! ...
बैक ग्राउंड का कला रंग आँखों को चुभता है !
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना कल मंगलवार 28 -12 -2010
जवाब देंहटाएंको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.uchcharan.com/
आप सभी से इतना स्नेह एवं आशीर्वाद मिलने से मन पुलकित हो उठता है, बहुत बहुत आभार।
जवाब देंहटाएंवाणी गीत जी आपके मत से सहमत होते हुए मैने "काला" रंग हटा लिया है।
और चाहते हो अब कि,
जवाब देंहटाएंजीवन भर डूबा रहूं,
कर्ज में उन्हीं आंसुओं के।
hmm.amit ji..bahut achii rchnaa lgii mujhe......
aapko.spriwaar nav varsh ki shubhkaamnaayen
ज़ोया जी आभार ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन.......................
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया सर!
जवाब देंहटाएंसादर
बेहतरीन काव्य प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंऔर समाता रहा उनमें,
जवाब देंहटाएंबांध मेरे आंसुओं का।
पर आज खोल बैठा हूं,
मुठ्ठियां अकेले में,
और जार जार बह रहे आंसू।
भावमय करते शब्द ।
बेहतरीन
जवाब देंहटाएंप्यार में ..यह हिसाब-किताब मुझे समझ नहीं आया .
जवाब देंहटाएंइस रचना में आँसुओं में घुलता प्यार साफ़ नज़र आ रहा है ।प्यार अक्सर दर्द देता है और आँसू उस दर्द पर मरहम ।बहुत सुन्दर .. आँसुओं का उधार आँसू ही अदा करते हैं ।
जवाब देंहटाएंइस रचना में आँसुओं में घुलता प्यार साफ़ नज़र आ रहा है ।प्यार अक्सर दर्द देता है और आँसू उस दर्द पर मरहम ।बहुत सुन्दर .. आँसुओं का उधार आँसू ही अदा करते हैं ।
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