कतर रहा था,
समय को इक रोज़,
कतरे कतरे पर,
नाम तुम्हारा लिखा मिला,
वो लम्हें ,
जो बीते साथ तेरे,
सितारे से टंके हैं ,
इस जीवन में,
यूं ही गुज़र जाएगी ,
ज़िन्दगी एक रोज़,
क्यों ना लगाते चले गांठ,
प्यार की आपस में,
फ़िर एक पोटली सी हो,
लम्हों की प्यार भरी,
बस इतनी ही पूंजी बहुत,
जीवन खर्च के लिए ।
क्यों ना लगाते चले गांठ,
जवाब देंहटाएंप्यार की आपस में,
समय के कतरों की....
बेहतरीन प्रस्तुति ।
.
फ़िर एक पोटली सी हो,
जवाब देंहटाएंलम्हों की प्यार भरी,
बस इतनी ही पूंजी बहुत,
जीवन के खर्च के लिए ।
बस इसके बाद और क्या चाहिये………सुन्दर प्रस्तुति।
... bahut khoob ... kyaa kahane !!
जवाब देंहटाएंvery nice. thanks. happy new year sir.
जवाब देंहटाएंनिशब्द कर दिया आपने , बहुत ही उम्दा रचना लगी ।
जवाब देंहटाएंसच में...प्यार भरे कुछ लम्हे काफी होते हैं जीवन जीने के लिए .सुन्दर रचना .
जवाब देंहटाएंbas itni hi poonki bahut ...
जवाब देंहटाएंbahut pyari rachna !