रविवार, 29 जुलाई 2012

" इंतज़ार.........."


खबर जब से हुई,
आने की उनकी ,
खलबली सी मची क्यूँ है |
ऐसा तो पहले कभी न था ,
एक अच्छी सी बयार चली क्यूँ हैं |
वो आयें ख्वाहिश उनकी ,
दीदार हो जाएँ हसरत अपनी,
पर सबमें बेचैनी इतनी बढ़ी क्यूँ हैं |
चाहने वाले हज़ारों उनको,
फेहरिस्त में भी उनकी,
किस्से हज़ारों |
कतार में उनकी,
मैं सबसे पीछे,
फिर मुझमें इतनी,
खलिश सी क्यूँ हैं |
ये ख्याल था उनका,
जो मीठी सी फुहार पड़ी यूँ है |

15 टिप्‍पणियां:

  1. by god!!! one sided ?????
    एक तरफ़ा इश्क........एक सजा है.
    :-)

    सादर
    अनु

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  2. मैं सबसे पीछे,
    फिर मुझमें इतनी,
    खलिश सी क्यूँ हैं |

    बहुत सुंदर ....

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  3. वाह,
    हम क्यों अपना ध्येय बिसारें,
    सहते, यदि वे नहीं निहारें।

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  4. मीठी सी फुहार सा खूबसूरत ख्याल... बहुत सुन्दर

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  5. wah nikal gai ,rachna padhte hi .aise hi likhte rahiye -shubh -kamnaye
    pls vsit myblog--purvaai.blogspot.com

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  6. क्या बात है ...beautiful..
    खूबसूरत मंजर खींचा है.

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