आओ सजनी सजा दूँ तुझे,
हाथों में मेहँदी लगा दूँ तुझे,
उलझी जुल्फें सवांर दूँ,
कान पे लट निकाल दूँ ,
मूँदे रखना ज़रा नयन अपने,
कजरारी पलकें निखार दूँ ,
लगाऊं कुमकुम माथे पर,
सिन्दूर से मांग संवार दूँ ,
ये गाल में बनते गड्ढे तेरे,
डिठौना इन पे वार दूँ ,
आज बन जाऊं मनिहार तेरा,
तू लाज शर्म सब छोड़ दे ,
लचकाऊ तेरी गोरी कलाइयां ,
हरी हरी चूड़ियाँ उनमे डाल दूँ ,
लब थाम ले साँसे रोक ले,
लबों पे लाली तो लगा दूँ ज़रा,
पायल पहनाऊं अपने हाथों से ,
पर बोल उनके निकाल दूँ ,
जब सजा लूँ तुझे ,
फिर जी भर देखूं तुझे ,
और तुझ पे इतराते हुए,
अपने बाहों की माला तुझ पे डाल दूँ ,
फिर झुलाऊं तुझे अपनी बाहों में ,
और यूं ही जीवन तुझ पे वार दूँ ।
"एक सावन ऐसा भी हो "
सुंदर अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सजी संवरी सी रचना...
जवाब देंहटाएंवाह.......
जवाब देंहटाएंएक क्यूँ....हर सावन ऐसा ही हो....
सादर
अनु
मनमोहक रचना .....
जवाब देंहटाएंअहा,
जवाब देंहटाएंसावन तुझे सँवार दूँ, प्रियतम के हरे भरे मन से।
बहुत सुंदर .... यह सब करना तो आपके हाथ में है :)
जवाब देंहटाएंहर सावन ऐसा ही होना चाहिए..मनमोहक सुन्दर सजी धजी सी खुबसूरत रचना...
जवाब देंहटाएंएक शेर याद आ गया ..
जवाब देंहटाएंहजारों ख्वाईशें ऐसी कि हर ख्वाइश पे दम निकले :).
इस धरती पर न ऐसा सावन मिलेगा न ऐसी सजनी !
जवाब देंहटाएंसपनो का सावन तो ऐसा ही हो , कि कभी हकीकत भी हो !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर !
सुंदर भाव।
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बहुत सुन्दर मनभावन सावन..
जवाब देंहटाएंमीत की प्रीत से रंग जाये मोरा मन..
बहुत सुन्दर रचना..
:-)
How romantic :)
जवाब देंहटाएंएक नहीं सब सावन ही ऐसा हो..सुंदर सावन..
जवाब देंहटाएंbhaut hi pyari khubsurat rachna...
जवाब देंहटाएंसावन के मौसम में प्रेयसी का अच्छा श्रिंगार क्या बात हैं ..
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