साइकिल के आगे पीछे के दोनों पहिये एक सीध में होने के कारण उसे मोड़ पर घुमाने पर कोई समस्या नहीं होती | परन्तु चार पहिये के किसी भी वाहन को जब सीधी दिशा में चलाना हो तब तो सभी पहियों की गति एक समान होती है पर जब मुड़ना होता है तब उसके अगल बगल के पहियों की गति भिन्न हो जाती है | कारण बड़ा सरल और स्पष्ट है कि मोड़ पर मोड़ के भीतरी ओर स्थित पहियों को मोड़ के बाहर की ओर स्थित पहियों से कम दूरी तय करनी पड़ती है | अब अगर दोनों ओर के पहियों की गति समान होगी तब बाहरी पहियों को स्किड करना पड़ेगा, क्योंकि एक ही समय में दोनों पहियों को भिन्न भिन्न दूरी तय करनी पड़ती है और एक ही गति से तय करने पर पहियों का स्किड करना निश्चित है | अब इससे बचने का उपाय यह है कि कोई ऐसी डिवाइस हो जिससे मोड़ पर दोनों अगल बगल के पहियों को भिन्न भिन्न दूरी तय करने पर समान समय लगे अर्थात फिर दोनों पहियों की गति भिन्न भिन्न हो | इसी के लिए डिफरेंशियल का प्रयोग करते हैं | भिन्न भिन्न दूरी को एक समान समय में पूरा करने में डिफरेंशियल मदद करता है और मोड़ पर हम अपनी कार बहुत इत्मीनान से चला पाते हैं | जिन रास्तों पर बहुत खतरनाक मोड़ होते हैं ,यथा पहाड़ी रास्तों पर , वहां आगे पीछे दोनों पहियों में डिफरेंशियल की मदद ली जाती है और उसे ही 'फोर व्हील ड्राइव' कहते हैं | जहां डिफरेंशियल का प्रयोग नहीं करते , वहां 'स्प्लिट शैफ्ट' का प्रयोग करते हैं | जैसे रिक्शे में पीछे के दोनों पहिये को जोड़ने वाली शैफ्ट स्प्लिट अर्थात दो टुकड़ों में बटी होती है , जिससे घुमाव वाले रास्ते पर दोनों पहियों की गति भिन्न हो पाती है |
एक परिवार के न्यूनतम अवयव पति और पत्नी होते हैं | दोनों को बराबर का दर्ज़ा हासिल है , अतः दोनों कभी एक दूसरे के पीछे नहीं चलते ( ब्याह के मंडप को छोड़ कर ) अपितु साथ साथ सदैव अगल बगल चलते हैं | जब तक जीवन के रास्ते सरल और सीधे होते हैं दोनों की गति एक समान होती है और किसी प्रकार की स्किडिंग का ख़तरा नहीं होता | पर आगे आने वाले दिनों में जीवन में अक्सर घुमाव और मुश्किल मोड़ भी आते हैं | इन मोड़ दार रास्तों के केंद्र कभी पति की ओर और कभी पत्नी की ओर होते हैं | ऐसे में एक समान गति से चलते रहने पर परिवार की स्किडिंग तय होती है | ऐसे में दोनों की गति में भिन्नता प्रदान करने अर्थात डिफरेंशियल का कार्य उस दंपत्ति के बच्चे ही करते हैं और उसी डिफरेंशियल की वजह से परिवार उस मोड़ से सफलतापूर्वक बाहर निकल आता है | जहां डिफरेंशियल का अभाव हो वहां जीवन को बिना स्किडिंग के चलाने के लिए दोनों पहियों (पति /पत्नी ) को घुमाव दार रास्तों पर अगल बगल के स्थान पर आगे पीछे हो जाना चाहिए या फिर दोनों के बीच की शैफ्ट स्प्लिट होनी चाहिए , तब वे अगल बगल भी चल सकते हैं । ऐसी परिस्थिति में पति पत्नी के अलावा किसी अन्य का डिफरेंशियल के रूप में होना अत्यंत अनिवार्य है ।
यह सब अनजाने में इतनी सरलता से हो जाता है कि किसी का ध्यान भी इस ओर नहीं जाता और जीवन चलता रहता है उसी 'डिफरेंशियल' के सहारे |
" यह लेखक के नितांत व्यक्तिगत विचार हैं "
आपके व्यक्तिगत विचारों से हम भी सहमत हैं ...
जवाब देंहटाएंबदलाव की लहर सब तरफ हैं
सही लिखा आपने ..
जवाब देंहटाएंयह सब अनजाने में इतनी सरलता से हो जाता है ..
किसी का ध्यान जाए या न जाए आपका तो चला गया इसे समझने में ..
समग्र गत्यात्मक ज्योतिष
डीफ़्रेन्शिअल का कार्य बच्चे करते हैं , सही है आपका आकलन !
जवाब देंहटाएंwhat a mechanical discription of compatibility....and family :-)
जवाब देंहटाएंdifferential बच्चे बन जाते हैं अकसर!!!
अनु
दिमाग खोल दिया आपने..तभी तो कहें कि परिवार की गाड़ी सीधे ही क्यों भागी जा रही है।
जवाब देंहटाएंलेकिन कभी कभी गृहस्थी की गाड़ी में एक पहिया साईकिल का और एक ट्रक का लगा होता है. तब गाड़ी कैसे चलती है?
जवाब देंहटाएंतब क्या चलना और क्या न चलना |
हटाएंबहुत सहजता से समझा दिया .... बढ़िया तार्किक दृष्टिकोण
जवाब देंहटाएंआपके नितांत व्यक्तिगत विचार ही तो लुभाते है और कुछ दे भी जाते हैं..
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