रविवार, 1 जनवरी 2012

" कोशिश रहेगी कि.... ..."

अपने में उनको, 
समेटे रहूँ, 
और उनमे ही,  
अपने को बिखेर दूँ,
ख़्वाब मै ही देखूँ, 
उनके तसव्वुर का,
उनके ख्याल में भी न आऊं,
मैंने तो चाहा दिल-ओ -जान  से, 
फिर यादें उनकी मै क्यूँ न सहेजूँ,
कतरा के निकलते है वो, 
तकलीफ होती तो होगी, 
वादा है कभी न पडूँ सामने,
सुना है मेरे ज़िक्र पे, 
भींच लेते है वो होंठ,
और मै हूँ कि होंठों, 
पे रक्खे उनके ज़िक्र,
कोशिश रहेगी कि.... .,
ख्याल से भी उनके ख्याल में न आऊं,
ऐसा उनका यह नया साल रहे !!!!!!! 

23 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही अच्छा लिखे हैं सर!

    आपको नव वर्ष 2012 की हार्दिक शुभ कामनाएँ।

    सादर

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  2. नया वर्ष प्रभु के आशीर्वचनों से परिपूर्ण हो ...

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  3. बहुत सुन्दर...आप को सपरिवार नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !

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  4. प्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट पर आप आमंत्रित हैं । नव वर्ष की अशेष शुभकामनाएं । धन्यवाद ।

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  5. आप को सपरिवार नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें|

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  6. कोशिश रहेगी कि.... .,
    ख्याल से भी उनके ख्याल में न आऊं,

    bahut sundar...
    kuch khayalon ka awagaman darshaya nahi jaata...magar jaane-anjaane ve aa hi jaate hain...!!!

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  7. सुन्दर कल्पना एवं बेहतरीन रचना।
    काश,सभी की ऐसी होती,जितनी सुन्दर यह अभिलाषा।
    नया वर्ष शुभ आप सभी का,ईश्वर से यह मेरी आशा।।

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  8. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  9. अपने में उनको,
    समेटे रहूँ,
    और उनमे ही,
    अपने को बिखेर दूँ,

    बहुत खूब... नववर्ष की हार्दिक शुभ-कामनाएं...

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  10. आप को सपरिवार नव वर्ष 2012 की ढेरों शुभकामनाएं.

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  11. वर्ष नव, हर्ष नव, उत्कर्ष नव... शुभ 2012...

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  12. सुना है मेरे ज़िक्र पे,
    भींच लेते है वो होंठ,
    और मै हूँ कि होंठों,
    पे रक्खे उनके ज़िक्र,

    क्या बात है... बहुत बढ़िया.... सादर बधाई और नूतन वर्ष की सादर शुभकामनाएं

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  13. सच्ची भावना ऐसे ही प्रतिध्वनित होती है !

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  14. aksar koshishen kamyaab ho jaaya karti hain/..
    bahut badiya rachna..
    Navvarsh kee haardik shubhkamnayen!

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  15. बहुत सुंदर...नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ ।

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  16. namaskar ...happy new year .

    bahut sunder abhivyakti hai . badhai .

    mere blog par aane ke liye shukriya .....swagat hai aapka .dhanyavad

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  17. कतरा के निकलते है वो,
    तकलीफ होती तो होगी,
    वादा है कभी न पडूँ सामने,

    sundar bhavbhivyakti badhai ke sath hi abhar.

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  18. "सुना है मेरे ज़िक्र पे,
    भींच लेते है वो होंठ,
    और मै हूँ कि होंठों,
    पे रक्खे उनके ज़िक्र,"

    बेहद सुंदर ! बहुत ही खूबसूरत रचना ।

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