सोमवार, 16 जनवरी 2012

" वाइपर और ज़िन्दगी ...."

           
              हलकी सी भी बारिश अगर लगातार हो रही हो और कार का वाइपर काम न करे ,तो फिर आँख के आगे का पूरा दृश्य धुंधला हो जाता है और आँखे बेमानी हो उठती हैं | कितनी भी ज़ोरों की बारिश हो ,वाइपर चलता रहा बस, फिर बारिश में कार चलाने का लुत्फ़ आ जाता है | देखें तो, महज दो डंडियाँ बस, लगातार पानी पोछती हुई ,कार की कीमत के आगे उन डंडियों की कीमत नगण्य ,पर वे काम न करें तो बारिश में कार बेकार |
              ज़िन्दगी में भी हमारी ऐसे अक्सर बारिश होती रहती है ,कभी खुशियों की ,कभी दुखों की ,कभी धन दौलत की, अवसरों की ,कभी अभावों की | हम इन बारिशों में अक्सर अपनी ऑंखें धुंधली कर लेते हैं | हमें साफ़ साफ़ कुछ दिखाई नहीं पड़ता है और परिणाम स्वरूप  कभी हर्ष के अतिरेक में और कभी विषाद के साए में अपने लक्ष्य और पथ से भ्रम-वश भटक जाते हैं और इसका भान तब होता है, जब बारिश थमती है पर तब तक बहुत देर हो चुकी होती है |
              ज़िन्दगी की गाड़ी चलाने का लुत्फ़ तभी आ सकता है, जब आपकी जिंदगी रुपी गाड़ी में 'विवेक' रुपी वाइपर लगा हो, जो बारिश चाहे जैसी हो बस उसे साफ़ कर आगे का रास्ता स्पष्ट करता चले | और अगर ऐसा है तो फिर खराब वाइपर वाली 'होंडा सिटी' को अच्छे वाइपर वाली मारुती '८००' भी जीवन की दौड़ में पछाड़ सकती है |
              बस आवश्यकता है एक जोडी वाइपर की ,जिसमे से एक वाइपर आपका और दूसरा आपके जीवन साथी का हो | हाँ ! दोनों एक ही कला में चलने भी चाहिए नही तो उनमे आपस में टकराने का खतरा हो जाएगा और वे आपस में उलझ कर अपना कार्य करना बंद कर देंगे | फिर तो अच्छे वाइपर होते हुए भी आगे कुछ दिखाई नहीं पडेगा |
             
                "बात तो मामूली सी है,पर है समझ से परे "

19 टिप्‍पणियां:

  1. काश कोई ऐसी बरसातें साफ करता हुआ चले,
    बड़ा ही तार्किक आलेख..

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  2. सार्थक ...विचारनीय ...बहुत सुंदर सोच परिलक्षित करता हुआ सुंदर आलेख ....!!शुभकामनायें ...

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  3. बहुत सुन्दर तार्किक रचना| धन्यवाद|

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  4. सार्थक और सामयिक प्रस्तुति, आभार.

    पधारें मेरे ब्लॉग पर भी और अपने स्नेहाशीष से अभिसिंचित करें मेरी लेखनी को, आभारी होऊंगा /

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  5. "बात तो मामूली सी है,पर है समझ से परे "…………इसी मे सारा सार निहित है।

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  6. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति
    कल 18/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्‍वागत है, जिन्‍दगी की बातें ... !

    धन्यवाद!

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  7. साफ़ देखना है तो वाइपर चाहिए ही! वर्षा हो या मुद्दा :)

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  8. समयानुसार सबकी अपनी कीमत होती है , अपना अस्तित्व होता है

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  9. वाह ..बहुत सुन्दरता से आपने ज़िन्दगी की तुलना वाइपर से की है ..
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है..
    kalamdaan.blogspot.com

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  10. सही और सटीक बातें लिखी हैं आपने ...

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  11. बहुत ख़ूबसूरती से वाईप किया है आपने। बेहतरीन लेख।

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  12. विवेक रुपी वाईपर हों साथ तो बात ही क्या .. बहुत सार्थक लेख

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  13. सटीक विश्‍लेषण।
    कम शब्‍दों में जीवन का सार....

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  14. excellent...excellent...
    i like it very muchhhhh...
    बहुत बढ़िया एवं सार्थक लेखन...
    बधाई.

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