कविता लिखना शायद ,
होता है कीमोथीरेपी जैसा,
दर्द और बहुत दर्द के बीच,
झूलती ज़िन्दगी,
पर हाँ ! उम्र मिल जाती है,
थोड़ी साँसों को और,
साथ ही साथ,
उस "कैंसर" को भी ।
उनका मिलना,
न मिलना, बिछुड़ना,
रूठना, रुलाना,
कभी लबों पे तबस्सुम,
और कभी,
डबडबाई आँखें,
जिनमे कोई भी,
डूबना चाहे,
ना-उम्मीद उम्मीदों की,
फिर अचानक,
खुशबू मुठ्ठी भर,
और धूप में,
उनका साया,
क्या करूं,
कितना याद करूं,
सब यादें उलझ,
सी जाती हैं,
आपस में,
रूह में उनका आना,
फिर बिना आवाज,
चले जाना,
सब सोचता हूँ,
निचोड़ता हूँ,
निथारता हूँ,
सीने में दर्द,
बर्दाश्त करता हूँ,
तब कविता,
निकलती है,
और खुद को,
लिखती है,
मेरे सफे पे,
बहुत तकलीफ,
होती है,
तब बनती है कविता,
"क्यों लिखूँ कविता !!"
ओह ..तो फिर मैं अपना पिछला कमेन्ट वापस लेती हूँ :).
जवाब देंहटाएंअरे नहीं ,आप लोगों के कमेंट्स तो पेन-किलर होते हैं |
हटाएंऔर जब इतनी तकलीफ के बाद लिखी जाती है कविता तो अमर हो जाती है...इतनी निखर जाती है जैसे नयी -नयी कोपलें जो अभी फूटी हों...सुन्दर...
जवाब देंहटाएंआपकी किसी पोस्ट की चर्चा है नयी पुरानी हलचल पर कल शनिवार 21/1/2012 को। कृपया पधारें और अपने अनमोल विचार ज़रूर दें।
जवाब देंहटाएंगहरे भाव।
जवाब देंहटाएंकविताएं तो मन का आईना होती हैं।
हम ग़मज़दा हैं लायें कहाँ से खुशी के गीत
जवाब देंहटाएंदेंगे वही जो पायेंगे इस ज़िन्दगी से हम।
जितनी तकलीफ के बाद कविता आती है, उतना ही सुकून देती है बाद में पढ़ने से..
जवाब देंहटाएंगहरा विश्लेषण..
तकलीफ की बात ही न करे..हर बार प्रसव-वेदना..
जवाब देंहटाएंसटीक शब्द ,कविता के जन्म की 'प्रसव-वेदना'
हटाएंबहुत खूब सर!
जवाब देंहटाएंसादर
Bahut khoob ... kuch kavitaayen dard deti hain PRASAV peeda ki tarah ....
जवाब देंहटाएंवाकई, कविता लिखने के लिए सिर्फ पास मे कलम होना ही काफी नहीं है, बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंकविता यूँ ही नहीं बन जाती
इस में मन के सभी भाव
कुछ संवेदनाएं ,कुछ भावनाये
कुछ तेरी ,कुछ मेरी बाते
मिला करती हैं ....अनु
माफ़ कीजिएगा आज यहाँ में आपकी बातों से सहमत नहीं क्यूंकि यह ज़रूरी नहीं कि कविता में यदि दर्द न हो,तो वो प्रभावशाली नहीं बन सकती या लिखी ही नहीं जा सकती कविता लिखने के लिए दर्द नहीं एहसासों कि जरूरत होती है...
जवाब देंहटाएंशब्दों की अनवरत और गहन अभिवयक्ति....
जवाब देंहटाएंबहुत ही गहन भावाभिव्यक्ति....
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