रविवार, 24 अप्रैल 2011

T-39 / C, लोको कॉलोनी , फ़ैज़ाबाद (उ.प्र.)

इसी पते पर, 
जन्म हुआ था, 
एक दंपति   के, 
सपनों का |
संस्कारों और सरलता,
में लिपटे, 
बस सोचा,  
उन्होंने सदा,  
जीवन के मूल्यों को, 
और चाहा,
समाज में हो, 
स्तम्भ, 
सरीखे उनके, 
तीनों  बच्चे |
बेहद मामूली,
आय परन्तु,  
सोच एकदम दृढ | 
समय के साथ, 
उन बच्चों के, 
कान में घुलती रही थीं, 
कहानियाँ, 
महापुरुषों की,संतों की | 
कितने श्लोक ,मन्त्र, 
कंठस्थ हो गए थे, 
बालपन में ही, 
उन तीनो को | 
"अर्थ",
सब कुछ तो नहीं, 
फिर भी बहुत कुछ, 
कितनी वेदना सही होगी, 
उस दंपति ने, 
पर सदा, 
एक ही संकल्प, 
बच्चों को, 
उच्चतम शिक्षा | 
इस पते पर,
आज भी, 
शायद घर के आँगन में, 
दीवाल पर बना, 
ब्लैक बोर्ड, 
गवाह होगा, 
कि,
वह घर कम, 
शिक्षालय, 
अधिक हुआ करता था | 
उनकी माँ, 
की दिनचर्या, 
थी बस, 
बच्चों के इर्द गिर्द, 
नतीजा, 
बच्चों ने, 
स्थापित किया, 
स्वयं को, 
समाज में |
आज वह दंपति, 
माँ-बाप है,  
एक वरिष्ठ शल्य चिकित्सक, 
एक अभियंता और
एक  कानूनविद के | 
हाँ ! !  
मुझे गर्व है, 
वो दंपति, 
मेरे मम्मी पापा  हैं | 



31 टिप्‍पणियां:

  1. अपने माँ बाप के सपनों को लेकर प्रस्तुत किये गए शब्द चित्र सच में संवेदना का चरम सोपान हैं ...जहाँ व्यक्ति अपनी ख़ुशी को दुसरे की ख़ुशी में शामिल कर लेता है ..माँ बाप से बढ़कर कोई भी नहीं ..उनके सपने जीवन का श्रंगार हैं ...आपका आभार

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  2. माता पिता खुद दुःख सह कर अभाव में भी बच्चों को संस्कारित करते हैं ..आपकी कविता उनके प्रति आपके सम्मान और प्रेम को दिखाने में सफल रही है !

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  3. अतिउत्तम अभिव्यक्ति ,ये बहुत ही अच्छी बात है की वह सब तुम आज भी याद रखे हो ,निश्चित ही बच्चे भी इन्ही संवेदनाओं को याद रखेंगे .

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  4. पिता की दी हुई चाक-मिट्टी से माँ के हाथों गढी गई आकृति ही बच्चों का व्यक्तित्व व कृतित्व बनती है । आभार हमारे आपके सृजकों का...

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  5. अँत तक बाँधे रखने में सफल अति प्रभावशाली प्रस्तुति

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  6. bahut sunder bhavo kee bahut sunder abhivykti.

    inhee sanskaro kee parampara aap banae rakhe isee aasheesh ke sath....

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  7. असली पूंजी उन्‍होने जुटायी .. बधाई आपके माता पिता को !!

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  8. मुझे भी मान है कि मैं भी ऐसे परिवार का एक छोटा सा हिस्सा बन गयी हूं ......

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  9. आपने अपनी अभिव्यक्ति को बहुत अच्छे शब्द दिए हैं सर!

    सादर

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  10. .

    हाँ ! !
    मुझे गर्व है,
    वो दंपति,
    मेरे मम्मी पापा हैं |


    बहुत सुन्दर कविता ।.. हर संतान को अपने माता पिता पर गर्व होना ही चाहिए। उनसे बढ़कर शुभचिंतक और कोई नहीं होता हमारा।

    .

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  11. धन्य हैं ऐसे रिश्ते जिनसे रिश्तों को बल मिलता है। हमारे घर की भी कुछ यही कहानी/कविता है।

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  12. Jeevan bhar bhulaana aasaan nahi hota aise vyaktitv ko ... aur agar vo apne mata pita hon to vo bhagwaan se kam nahi hote ..

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  13. आपने अपनी अभिव्यक्ति को बहुत अच्छे शब्द दिए हैं|धन्यवाद|

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  14. माता पिता खुद दुःख सह कर अभाव में भी बच्चों को संस्कारित करते हैं ..आपकी कविता उनके प्रति आपके सम्मान और प्रेम को दिखाने में सफल रही है

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  15. आज समय नहीं है मां-बाप के पास या फिर वे उन कहानियों को भूल गए :(

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  16. आज भी स्थायी सफलता का मूल मन्त्र शिक्षा और अच्छे संस्कार में ही निहित है

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  17. बहुत सुन्दर कविता ।
    हाँ ! !
    मुझे गर्व है,
    वो दंपति,
    मेरे मम्मी पापा हैं |
    माँ बाप से बढ़कर कोई भी नहीं

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  18. हाँ ! !
    मुझे गर्व है,
    वो दंपति,
    मेरे मम्मी पापा हैं |

    bahut achcha laga padhkar.....mujhe bhi apne maa-pitaji pe garv hai aur...mai bhi aisi hi maa banne ke prayas me hamesha lagi rahti hoon....bhagwan meri sahayta kare.......

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  19. बचपन में मातापिता के द्वारा दिए गये संस्कार ही भविष्य की मजबूत सीढ़ी होते हैं. आजकल माता पिता बच्चों को संस्कार के सिवाय सब कुछ दे देते हैं, जिसका परिणाम आज हमारे समक्ष है. बहुत भावपूर्ण रचना जो अंतिम पंक्ति तक बांधे रखती है.

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  20. हाँ ! !
    मुझे गर्व है,
    वो दंपति,
    मेरे मम्मी पापा हैं |
    बहुत ही संवेदनशील कविता ....माता पिता के लिये इससे उत्तम और कोई भेट हो नही सकती...

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  21. हर संतान को अपने माता पिता पर गर्व होना ही चाहिए। उनसे बढ़कर शुभचिंतक और कोई नहीं होता हमारा।
    आप में मुझमें एक समानता है कि मेरे पिता जी भी रेलवे में थे आपके पिता जी ट्राफिक में और मेरे पिता जी इंजीनियरिंग में लेकिन एक असमानता आप कहाँ और मै कहाँ ?

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  22. इनसे बड़ा कोई नहीं ....ईश्वर इन्हें चिरायु रखे !

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  23. एक बच्चे को उसके माता पिता पर गर्व होना ही चाहिए
    बहुत सुन्दर कविता लिखी है आपने .आपके माता पिता को भी आप पर गर्व होगा.

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  24. बहुत खूब!
    कुछ दिन बाद यही कविता तुम्हारे बच्चों के काम आयेगी।
    वे भी कुछ ऐसा ही लिखेंगे अपने मां-पिता के बारे में!

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  25. इस पते पर,
    आज भी,
    शायद घर के आँगन में,
    दीवाल पर बना,
    ब्लैक बोर्ड,
    गवाह होगा,
    कि,
    वह घर कम,
    शिक्षालय,
    अधिक हुआ करता था |
    उनकी माँ,
    की दिनचर्या,
    थी बस,
    बच्चों के इर्द गिर्द,
    नतीजा,
    बच्चों ने,
    स्थापित किया,
    स्वयं को, bahut hi sunder aur sikshapradaan karne waali.rachanaa.jaisaa mahole ghar main bachon ko milagaa.waise hi bachhon ka bhavisya banegaa.badhai aapk0.
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  26. अति प्रभावशाली प्रस्तुति..अपने माता पिता पर गर्व होना ही चाहिए
    जो बच्चों को एक मुकाम देते हैं ..

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