चाँद वही, बादल भी वही,हरे रंग सारे वही,तितलियाँ,कोयल की कूक, दूब की नरमी वही।
एक दूसरे से मिलने पर आँखों के इशारे वही, मुस्कुराते होंठ भी वही।
हवा सुकून देती वैसे ही,पसीने की बूंद का लुढ़कना भी वही।
देशों के बीच दूरी कुछ नही ,धरती की सतह पर महज फासला है कुछ आड़ी बेड़ी रेखाओं का।
"फासले फर्क नही करते, फर्क ही फासले कर देते हैं शायद।"
एक दूसरे से मिलने पर आँखों के इशारे वही, मुस्कुराते होंठ भी वही।
हवा सुकून देती वैसे ही,पसीने की बूंद का लुढ़कना भी वही।
देशों के बीच दूरी कुछ नही ,धरती की सतह पर महज फासला है कुछ आड़ी बेड़ी रेखाओं का।
"फासले फर्क नही करते, फर्क ही फासले कर देते हैं शायद।"
बहुत सुन्दर
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