लिख देता हूँ तुमको रोज़
खुद को पढ़ पाने के लिए
नींद में बो देता हूँ तुमको
कुछ ख्वाब उगाने के लिए
दर्द दर्द पे बिछाता हूँ तुमको
मरहम की ठंड पाने के लिए
पूछता जब कोई हासिल क्या ज़िन्दगी में
नाम लिख के तेरा बस बता जाता हूँ मैं।
खुद को पढ़ पाने के लिए
नींद में बो देता हूँ तुमको
कुछ ख्वाब उगाने के लिए
दर्द दर्द पे बिछाता हूँ तुमको
मरहम की ठंड पाने के लिए
पूछता जब कोई हासिल क्या ज़िन्दगी में
नाम लिख के तेरा बस बता जाता हूँ मैं।
सुन्दर रचना
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