शुक्रवार, 27 मार्च 2020

"लॉक डाउन....."

लॉक डाउन
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लॉक डाउन होंठों पे क्यों,
लबों पे हँसी आने दो,
लफ़्ज़ों को आपस मे,
 घुल जाने दो।

लॉक डाउन निगाहों में क्यों,
नज़रों में शोखी आने दो,
नज़र से नज़र मिलाने दो,
काजल को बादल में घुल जाने दो।

लॉक डाउन बातों में क्यों,
कुछ सुनो कुछ सुनाने दो,
कानों में मिश्री घुल जाने दो,
बातों को दिल तक जाने दो।

लॉक डाउन रिश्तों में क्यों,
जी को जी भर रो लेने दो,
रिश्तों को आंसुओं से धुल जाने दो,
रिश्ते ही जीवन है इन्हें जी जाने दो।


5 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    ३० मार्च २०२० के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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