रविवार, 22 जनवरी 2012

" वो महकते रहें,हम बहकते रहें ...."



उनकी पसंद,
खुशबू,
सबेरे के अखबार की,
पहली बरसात की,
पिसी मेहंदी की,
जले दूध की,
भीगे कोहरे की, 
तिल के पुए की,
भीगी सड़क की,
सावन की रात की,
और नींबू के अचार की,
मेरी पसंद, 
खुशबू, 
उनके साथ की,
उनके जज़्बात की,
उनकी बात की,
उनके गेसू की,
उनके टेसू की,
उनके शिकवे की,
उनके शिकायत की,
उनके अंदाज़ की,
खुशबू,
"उनकी खुद की |"


                                "बस वो महकते रहें,हम बहकते रहें....|"

19 टिप्‍पणियां:

  1. वाह बहुत ख़ूबसूरती से खुशबु और जज्बात का चित्रण किया है ....सब कुछ अलग अंदाज में कह दिया .

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  2. क्या बात क्या बात क्या बात
    अमित जी जवाब नहीं आपका बेहतरीन

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  3. बहुत ही सुन्दर हैं दोनों नदियाँ, संगम बना रहे।

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  4. काश ऐसा बहकना हर किसी की किस्मत में हो ...
    गहरे भाव में डूब के लिखी मस्त रचना ...

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  5. excellent!!!!!!!!!!
    बहुत बहुत सुन्दर रचना..

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  6. खुशबू,
    उनके साथ की,
    उनके जज़्बात की,
    उनकी बात की,waah gajab ka expression amit jee.

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  7. अत्यधिक सुन्दर ..ये बताना मुश्किल है की किसकी पसंद ज्यादा अच्छी है ..
    शुभकामनायें..
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है
    kalamdaan.blogspot.com

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  8. लाजवाब रचना...बेहद खूबसूरत लफ्जों में आपने अपने एहसासों को दर्शाया है...

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  9. anokhi rachna ...kitni ala hai unki har baat se meri har baat ..fir bhi unki har baat se mere jajbaat jud jaate hain..wonderful creation!!!!

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