गुरुवार, 5 जनवरी 2012

"......और पत्थर हो गए" |

         
              रात शोर मचा कि ,जो सोता रहेगा वो पत्थर का हो जाएगा | आधी से ज्यादा दुनिया में लोग इसी अफरा तफरी में जग गए | एक दूसरे को फोन से जगा जगा कर खुद को उनका शुभचिंतक साबित करने में लगे रहे | मेरी श्रीमती जी की सबसे बड़ी शुभचिंतक उनकी काम वाली बाई है | रात उसी का फ़ोन इनके पास आया कि ,आप लोग उठ जाइए ,ऐसी खबर है कि जो सोता रहेगा वो पत्थर का हो जाएगा | मै तो पहले से ही पत्थरवत बिस्तर पर पडा सो रहा था | मुझे जगाया गया ,पानी की छीटें डाल डाल कर ,खैर मैंने आधी नींद में ही सारी बात समझने की कोशिश की ( वैसे पत्नियों की बात लोग दिन में भी उनींदे ही सुनते है ),मुझे थोड़ी खीज हुई और हंसी भी आई | मैंने कहा अरे ,कुछ नहीं होगा ,"सो जाओ और सोने दो" (तुम मुझे चादर दो ,मै तुम्हे तकिया दूँगा ,की तर्ज़ पे) |
              नींद तो अब तक उड़ चुकी थी ,सो तनिक इस अफवाह पर सोचने लगा कि आखिर इसका मतलब क्या है ? यह अफवाह तो है ,पर इसमें कितना बड़ा "जीवन दर्शन" छुपा है | सोने से मतलब है कि अगर आप अपने जीवन में निष्क्रिय रहेंगे ,अपने आसपास की घटनाओं  के प्रति संवेदना शून्य होंगे ,चिंतन, मनन नहीं करेंगे और सदैव विश्राम की मुद्रा में ही रहेंगे ,फिर तो आपका अस्तित्व पत्थर सरीखा ही रहेगा ,क्योंकि फिर आपके होने या ना होने का कोई अर्थ नहीं होगा | विद्यार्थी जीवन में शिक्षा के प्रति ,लक्ष्य के प्रति सजग रहना आवश्यक है ,यदि आप सोते रह गए अर्थात उसके प्रति चिंतित न रहे ,फिर परिणाम देख आपको पत्थरवत ही होना पडेगा | मनुष्य को अपने समाज को विकसित और साथ साथ संस्कारित बनाये  रखने के लिए यह आवश्यक है कि इस समाज की इकाई प्रत्येक व्यक्ति अपने दायित्वों के प्रति सजग एवं जागरूक रहे ,नहीं तो कुरीतियाँ ,कुसंस्कार और दानवी प्रकृति के लोग आपको पत्थर मानते हुए अपने लाभ एवं स्वार्थानुसार आप जैसे  निष्क्रिय पत्थरों को अपने स्वार्थ के अनुसार काट छाँट कर नए रूप में गढ़ डालेंगे और आप सब अपना स्वरूप खो चुके होंगे |
             चुनाव घोषित हो चुके है | आप अब भी सोते रहे अगर ,(यदि मत का प्रयोग नहीं किया या किया भी तो अपने विवेकानुसार नहीं किया ),फिर तो ये राजनेता आपको पत्थर का बुत मान अपनी मनमानी ही करेंगे क्योंकि आपसे तो किसी प्रतिक्रया या विरोध की आशा होगी नहीं ,फिर भय किस बात का |
             इसे अफवाह न समझे ,इसमें तो जीवन का सिद्धांत निहित है | अब तक मेरी नींद पूरी तरह गायब हो चुकी है ,चाय की तलब लग रही है पर बगल में श्रीमती जी पत्थरवत, क्या एकदम लौहवत सोई पड़ी है,इन्हें सोता देख जैसे लगता है पूरा घर सो रहा है ,दीवारें ,फर्नीचर,किचेन सब सोया सोया सा लगता है और वो कहानी याद आती है  कि  कोई राजकुमार सौ दो सौ साल बाद आएगा और इनको छुयेगा और तब ये भी जाग जायेंगी और सारी दुनिया जाग उठेगी |
           


              "वैसे आधा लखनऊ तो पत्थर का हो चुका है ,लोग सोते रहे तो पूरा भी हो जाएगा "     

17 टिप्‍पणियां:

  1. अफवाह के सन्दर्भ में छुपा हुआ जीवन -दर्शन तो अलार्म है ही बशर्ते पत्थर भी सुने तो..

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  2. वो राजकुमार जल्दी ही आ जाए .....और आपको सुबह की चाय मिल जाय .

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  3. वाह...वाह...
    सोती सुंदरी वाली कहानी याद आगई...

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  4. सभी की तरह हमारी भी यही कामना है की वो राजकुमार जल्दी ही आए....

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  5. बहुत बढ़िया....रोचक एवं सार्थक लेखन..
    वैसे आधा लखनऊ तो पत्थर का हो चुका है ,लोग सोते रहे तो पूरा भी हो जाएगा "
    बहुत खूब.

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  6. वाह-वाह क्या बात है , मुझे बेहद आनंदमय और रोचक लगी |

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  7. बेहद रोचक प्रस्तुति,ऐसी अफवाहें अक्सर सुनाई पडती रहती है,
    सुंदर रचना......
    --जिन्दगीं--

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  8. अब सोये तो पत्थर बन जाओगे...बढ़िया सन्देश दिया...आपने...

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  9. "वैसे आधा लखनऊ तो पत्थर का हो चुका है ,लोग सोते रहे तो पूरा भी हो जाएगा " ..
    bahut badiya lok jagrti karati pratuti..

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  10. उफ़ ...अफवाह का बाजार अभी भी गरम हैं ....

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