शुक्रवार, 30 दिसंबर 2011

"माना कि मूल धन 'क' है"

      
            गणित के पाठ्यक्रम में प्रारम्भिक कक्षाओं में अज्ञात राशि की गणना करने में बहुधा पहले अज्ञात राशि को मान लेते है कि वह 'क' है | तत्पश्चात उस काल्पनिक राशि के अन्य विवरण अनुसार उसकी व्याख्या एवं वर्णन करते करते उस मूल 'क' की राशि की भी गणना कर लेते है | यही बीजगणित कहलाता है |
            सिद्धांत केवल इतना  सा है कि अज्ञात राशि को ,(चाहे वह धन हो, आकार प्रकार हो,आयतन क्षेत्रफल हो) ,प्रारम्भ में एक इच्छित राशि 'क' का रूप दे दे ,फिर सारे गुण दोष अनुसार उसकी व्याख्या करते जाए ,आप स्वयं ही उस अज्ञात राशि को पूर्णतया जान लेंगे |
             यह तो हुई गणित की बात ,यही सिद्धांत ईश्वर की सत्ता को समझने में भी लागू होता है | ईश्वर अज्ञात राशि के समान है | उसको कोई निश्चित राशि,मात्रा ,आकार ,प्रकार देना संभव नहीं है | परन्तु उसके विषय में अनेक कल्पनाये ,कहानियाँ प्रचलित है | ईश्वर को जानने के लिए  केवल प्रारम्भ में आप बस मान ले कि हाँ ईश्वर है ,फिर उसके बनाए साम्राज्य को धीरे धीरे देखने और समझने का प्रयत्न करे ,यथा तितली में रंग कहाँ से आये ,सूरज रोज़ निकलने में देरी क्यों नहीं करता ,चींटी में दिल,दिमाग,किडनी,लीवर ,हाथ पैर किसने बनाए ,चिड़ियों को रास्ता कौन याद कराता है  और न जाने क्या क्या |  
             बस इन्ही सारी बातों को सोचते जाए ,अंत में वह प्रारम्भिक अज्ञात राशि 'क' का अनुमान क्या एकदम सही मूल्य आपको ज्ञात हो जाएगा और आप ईश्वर को पा पायेंगे | आवश्यकता केवल प्रारम्भ में बस इतना कहने की  है कि माना कि ईश्वर है !!!

11 टिप्‍पणियां:

  1. ईश्वर रोज हमें अपने होने का प्रमाण देता है !

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  2. अहा,क्या बात है अमित जी.
    बीजगणित के ज़रिये ईश्वर की मौजूदगी समझाना बिलकुल नया और प्रभावी प्रयोग है.ये पोस्ट सब को पढ़नी चाहिए.

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  3. बहुत ही अच्छे ढंग से समझाया है आपने ...

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  4. ईश्वर को जानने के लिए केवल प्रारम्भ में आप बस मान ले कि हाँ ईश्वर है ,फिर उसके बनाए साम्राज्य को धीरे धीरे देखने और समझने का प्रयत्न करे ,यथा तितली में रंग कहाँ से आये ,सूरज रोज़ निकलने में देरी क्यों नहीं करता ,चींटी में दिल,दिमाग,किडनी,लीवर ,हाथ पैर किसने बनाए ,चिड़ियों को रास्ता कौन याद कराता है और न जाने क्या क्या |
    aur fir ekaek sab samjh mein aa jata hai....uska astitv bhi.....
    khobsoorat vyakhya...!!

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  5. बेहतरीन........आपको नववर्ष की शुभकामनायें

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  6. 'सत्ता में सम्पूर्ण प्रकृति' ---
    वाह क्या बात कही आपने ---- !
    गौर से जब जानना चाहा और पढने लगा...
    तो इश्वर को नहीं, हम अपने को लगे मापने -- !!

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  7. आस्तिकता का सरलतम और सर्वाधिक सुलझा तर्क। यही विधि है अज्ञात तथ्यों को समझने की। अद्भुत स्पष्ट चिन्तन।

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  8. निराकार निर्गुण कोइ माने कोइ माने सगुण साकार।
    परम सत्ता के अस्तित्व को नही कर सकते इंकार॥
    नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें…॥

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  9. नव-वर्ष 2012 की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !

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