"लेन्ज़ का नियम कहता है कि चुम्बकीय फ़्लक्स में परिवर्तन होने पर उत्पन्न ई.एम.एफ़.से प्रवाहित धारा की दिशा इस प्रकार क़ी होती है कि उससे उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र उस कारण का ही विरोध करता है ,जिससे वह उत्पन्न हुआ है ।"
संक्षेप में अथवा सरल भाषा में कह सकते है कि उत्पाद उत्पत्ति के कारण का ही विरोध करता है ।अब इस नियम को मनुष्य जीवन के परिप्रेक्ष्य में समझने की कोशिश करते हैं | प्रत्येक मनुष्य के मन में सतत विचार धाराओं का प्रवाह होता रहता है | जब वह अन्य किसी व्यक्ति के संपर्क में आता है तब उसकी विचारधारा उसके स्वयं के विचारधारा से यदि भिन्न कला में होती है तब एक नई प्रकार की विचारधारा का जन्म होता है,परन्तु वह नई धारा इस प्रकार का रूप लेने लगती है कि पश्चात में वह नई विचारधारा वाला व्यक्ति मूल व्यक्तियों का ही विरोध करने लगता है | हाँ ! यदि दोनों व्यक्तियों की विचारधाराएँ एक सी है तब न तो कोई नई विचार धारा जन्म लेती है न कोई विरोधी उत्पन्न होता है |
समाज में शनै शनै सामान विचारों वाले आपस में मिलकर एक बड़ा समूह अथवा दल बना लेते है ,फिर जब दो विपरीत विचार धाराओं वाले दल आपस में मिलते है पुनः एक नई विचारधारा वाले दल का जन्म होता है ,जो मूल दलों का ही विरोध करने लगता है | इसी प्रकार से नए घटकों का जन्म होता चला जाता है |
कुछ इसी प्रकार की बात परिवारों में भी देखने को मिलती है | पुत्र द्वारा पिता क़ी नीतियों का विरोध ,या नई पीढी द्वारा पुरानी पीढी के विरोध (जिसे हम कभी कभी 'जेनेरेशन गैप' भी कहते है ) को भी इसी नियम से समझा जा सकता है |
कभी कभी लोग स्वार्थ सिद्धि के लिए भी नई विचार धाराओं को जन्म देते है जो पश्चात में अपने कारक का ही घोर विरोध करता है | आतंक वाद क़ी अनेक घटनाओं और शीर्ष के अनेक नेताओं क़ी ह्त्या को भी इसी नियम से समझा जा सकता है | राजनैतिक दलों में अनेक नेता स्वयम को शीर्ष पर पहुंचाने वाले नेताओं और दलों का ही विरोध कर डालते है |
पौराणिक कहानियों में 'भस्मासुर' की कहानी भी लेन्ज के नियम का ही अनुसरण करती है | इसमें किसी का कोई दोष नहीं है |
"यह तो लेन्ज का नियम है बस |"
संक्षेप में अथवा सरल भाषा में कह सकते है कि उत्पाद उत्पत्ति के कारण का ही विरोध करता है ।अब इस नियम को मनुष्य जीवन के परिप्रेक्ष्य में समझने की कोशिश करते हैं | प्रत्येक मनुष्य के मन में सतत विचार धाराओं का प्रवाह होता रहता है | जब वह अन्य किसी व्यक्ति के संपर्क में आता है तब उसकी विचारधारा उसके स्वयं के विचारधारा से यदि भिन्न कला में होती है तब एक नई प्रकार की विचारधारा का जन्म होता है,परन्तु वह नई धारा इस प्रकार का रूप लेने लगती है कि पश्चात में वह नई विचारधारा वाला व्यक्ति मूल व्यक्तियों का ही विरोध करने लगता है | हाँ ! यदि दोनों व्यक्तियों की विचारधाराएँ एक सी है तब न तो कोई नई विचार धारा जन्म लेती है न कोई विरोधी उत्पन्न होता है |
समाज में शनै शनै सामान विचारों वाले आपस में मिलकर एक बड़ा समूह अथवा दल बना लेते है ,फिर जब दो विपरीत विचार धाराओं वाले दल आपस में मिलते है पुनः एक नई विचारधारा वाले दल का जन्म होता है ,जो मूल दलों का ही विरोध करने लगता है | इसी प्रकार से नए घटकों का जन्म होता चला जाता है |
कुछ इसी प्रकार की बात परिवारों में भी देखने को मिलती है | पुत्र द्वारा पिता क़ी नीतियों का विरोध ,या नई पीढी द्वारा पुरानी पीढी के विरोध (जिसे हम कभी कभी 'जेनेरेशन गैप' भी कहते है ) को भी इसी नियम से समझा जा सकता है |
कभी कभी लोग स्वार्थ सिद्धि के लिए भी नई विचार धाराओं को जन्म देते है जो पश्चात में अपने कारक का ही घोर विरोध करता है | आतंक वाद क़ी अनेक घटनाओं और शीर्ष के अनेक नेताओं क़ी ह्त्या को भी इसी नियम से समझा जा सकता है | राजनैतिक दलों में अनेक नेता स्वयम को शीर्ष पर पहुंचाने वाले नेताओं और दलों का ही विरोध कर डालते है |
पौराणिक कहानियों में 'भस्मासुर' की कहानी भी लेन्ज के नियम का ही अनुसरण करती है | इसमें किसी का कोई दोष नहीं है |
"यह तो लेन्ज का नियम है बस |"
बेहतरीन अभिवयक्ति...
जवाब देंहटाएंपरिवारों में यह नियम बड़ी सटीकता से प्रयुक्त होते देखा है।
जवाब देंहटाएंसही और सटीक बातें लिखी हैं आपने ....सहमत हूँ
जवाब देंहटाएंसही बात .
जवाब देंहटाएंVery very Nice post our team like it thanks for sharing
जवाब देंहटाएंयह तो लेन्ज का नियम है बस aur vicharon ka sangharsh
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar
बढ़िया व्याख्या
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