सरल भाषा में eddy current को इस प्रकार परिभाषित कर सकते हैं कि जब किसी closed conducting system को varying magenetic flux से expose कराते हैं तब उस क्लोस्ड सिसटम में विरोधी धारायें पैदा हो जाती हैं जो अपने कारक का विरोध करती हैं। किसी सिसटम से अधिकतम आउटपुट लेने के लिये इन एडी करेंट को न्यूनतम करना आवश्यक होता है।
इसी प्रकार कोई भी व्यक्ति अपने में एक कम्पलीट सिस्टम है,वह जब दूसरों के सम्पर्क में आता है एवं परिवर्तनशील विचारों या different flux of thoughts से मुखातिब होता है ,तब उसके मन में भी एडी करेंट उतपन्न हो जाती हैं जो उन बाहरी विचारों का जबरदस्त विरोध करती हैं। विग्यान की दुनिया में इस समस्या से छुटकारा पाने के लिये system को भीतर से अनेक परतों का बना देते हैं जिससे उनमे विभिन्न परतों मे बनने वाली एडी करेंट एक दूसरे का विरोध कर परिणामी असर लगभग निष्प्राभावी कर देती हैं। इसी प्रकार मनुष्य को भी प्रयास करना चाहिये कि उसके मन में विरोधी धारायें(eddy current) कम से कम निर्मित हों,तभी वह अधिकतम एवं अच्छा परिणाम दे सकेगा।इसके लिये मन ,चित्त को एकदम शांत एवं स्वार्थ रहित होना चाहिये, तभी उसके मन मे कोई विकार (eddy current) उत्पन्न नही होगा। उसे भी अपने मन में सभी की बातों को ध्यान से सुनना एवं परखना चाहिये फ़िर उनमे आपस में यदि कोई विरोधाभास तथ्य होंगे तो स्वयं ही एक दूसरे को निष्प्राभ्वी कर देंगे।(lamination of thoughts as lamination of core in transformers)
एक अन्य उदाहरण से भी इसे इस प्रकार समझ सकते हैं ,जैसे किसी कक्षा में कोई अध्यापक पढा रहा हो और पूरी कक्षा में सभी बच्चे ४ -४ के झुंड मे गोल बनाकर आपस मे बात करने लगे तो एक प्रकार से कक्षा में eddy current का निर्माण होने लगता है जो पूरी कक्षा का आउटपुट लगभग शून्य सा करदेता है।इसका समाधान करने के लिये फ़िर अध्यापक बच्चों को उनके मित्र से अलग कर बैठा देता है जिससे फ़िर eddy current बनती ही नहीं,या बनती है तो स्वयं ही दूसरे विरोध करने लगते हैं।(layered arrangement of sitting)
किसी भी कार्य को लगन से करना,अपना दायित्व समझना,ईश्वर का ध्यान,स्मरण और सत्संग ,विवेक का उचित प्र्योग ,ये सब ही वे उपाय हैं,जिनसे हम अपने मन में बनने वाली eddy currents को न्यूनतर कर सकते है और अपना जीवन सार्थक कर सकते हैं।
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