'पहिया' सीधा खडा करना हो ,बिना सहारे के यह संभव नहीं | तनिक उसे गति दे दो , बिना किसी सहारे के दौड़ता चला जाता है ,एकदम संतुलित रहते हुए ,न बाएं गिरेगा ,न दायें | दो पहिये की साइकिल ,बिना सहारे के नहीं खड़ी होती ,और जब चलती है तब मजे से १५० किलो से अधिक वजन ढ़ोते हुए एकदम संतुलित तरीके से गंतव्य की और दौड़ लेती है |
'मौत का कुआं' खेल में कार सवार और मोटर साईकिल सवार एकदम खडी दीवार पर अपना वाहन चलाते हैं ,उस समय गति कम हो जाए या शून्य हो जाए तब गति से सीधे सदगति को ही प्राप्त होने की संभावना बनती दिखती है | विमान में गति है तभी विमान में संतुलन है | वायु में गति है तभी पतंग में संतुलन है | जो गतिमान है वो संतुलित है | खगोलीय पिंड सभी गतिमान है ,तभी सदियों से संतुलित है |
मनुष्य जीवन में जिसका मस्तिष्क गतिशील है ,चिंतन मंथन करता रहता है वही विवेकशील होता है और अपने विचारों में संतुलित होता है |
साँसे जब तक गतिमान है तभी तक जीवन और मृत्यु के बीच संतुलन बना रहता है | साँसे रुकी ,संतुलन टूटा और मृत्यु का पलड़ा भारी हो जाता है |
"अतः गति ही जीवन है और संतुलन भी |"
(यह चित्र मेरे छोटे बेटे अभिषेक की और उसके दोस्तों की साइकिलों के हैं जो आई आई टी कानपुर से बिठूर पिकनिक मनाने गए थे )
'मौत का कुआं' खेल में कार सवार और मोटर साईकिल सवार एकदम खडी दीवार पर अपना वाहन चलाते हैं ,उस समय गति कम हो जाए या शून्य हो जाए तब गति से सीधे सदगति को ही प्राप्त होने की संभावना बनती दिखती है | विमान में गति है तभी विमान में संतुलन है | वायु में गति है तभी पतंग में संतुलन है | जो गतिमान है वो संतुलित है | खगोलीय पिंड सभी गतिमान है ,तभी सदियों से संतुलित है |
मनुष्य जीवन में जिसका मस्तिष्क गतिशील है ,चिंतन मंथन करता रहता है वही विवेकशील होता है और अपने विचारों में संतुलित होता है |
साँसे जब तक गतिमान है तभी तक जीवन और मृत्यु के बीच संतुलन बना रहता है | साँसे रुकी ,संतुलन टूटा और मृत्यु का पलड़ा भारी हो जाता है |
"अतः गति ही जीवन है और संतुलन भी |"
(यह चित्र मेरे छोटे बेटे अभिषेक की और उसके दोस्तों की साइकिलों के हैं जो आई आई टी कानपुर से बिठूर पिकनिक मनाने गए थे )
"अतः गति ही जीवन है और संतुलन भी |"
जवाब देंहटाएंबढ़िया सीख दी आपने ... आभार !
इसिलए हमेशा कोशिश रहती जीवन को गतिमान बनाये रखने की.....
जवाब देंहटाएंमन के साथ भी यही सत्य है, विचारों की गति कम होते ही असंतुलन आने लगता है।
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही बात, गति है तो जीवन्तता है ..नहीं तो अंत है !
जवाब देंहटाएंसत्य विचार।
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक वचन..
जवाब देंहटाएंबहुत सही "गति ही जीवन है और संतुलन भी" ...समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
जवाब देंहटाएंसत्य वचन..गतिमय होना आवश्यक है.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिखा है |
जवाब देंहटाएंगति ही जीवन है ...बिलकुल सही बात है
जवाब देंहटाएंsantulit gati hi jivan hai aur jivan ke liye aawashyak bhi. satya wachan.
जवाब देंहटाएंbahut hi gehre soch...nice thoughts.
जवाब देंहटाएंchalo mera project to ban gaya
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