लाइटर से गैस जलाने के लिए पहले आप गैस को नॉब से खोल लेते हैं ,गैस निकलना शुरू हो जाती है ,फिर आप लाइटर से खट खट करना शुरू करते हैं | आदर्श परिस्थिति में लाइटर को एक ही बार यानी पहली बार में ही स्पार्क दे देना चाहिए ,जिससे गैस तुरंत जल जाये | पर होता क्या है ,अधिकतर लाइटर एक बार में स्पार्क नहीं देता ,आप बार बार खट खट करते हैं | इस बीच गैस तो निकल ही रही होती है,वह चूल्हे के बर्नर के ऊपर एकत्र होती रहती है | यदि लाइटर तनिक भी देर से स्पार्क देता है ,तब तक काफी अधिक गैस की मात्रा का एक प्रोफाइल सा बन चुका होता है ,जो स्पार्क मिलने पर आग चारों ओर फैला सकता है और काफी घातक हो सकता है ,विशेष कर बच्चे नुकसान उठा सकते हैं | अब देखिये माचिस से जब आप गैस जलाते हैं ,उस स्थिति में पहले आप माचिस की तीली जला लेते हैं ,अब चूँकि बर्नर के मुंह पर आग मौजूद है ,जैसे ही आप गैस खोलते है ,थोड़ी सी भी मात्रा होने पर गैस जलना शुरू कर देती है | गैस का एकत्र हो पाने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता | दुर्घटना की सम्भावना शून्य हो जाती है | हाँ ,माचिस का व्यय थोडा अवश्य बढ़ जाता है |
यह सिद्धांत जीवन के अनेक क्षेत्रों में लागू होता है | समस्याओं को एकत्र होने का मौका देकर ,फिर जब हम समाधान का लाइटर जलाते हैं ,तब तक समस्या विकराल रूप धारण कर चुकी होती है ,और ब्लास्ट हो जाता है | यदि हम ज्यों कोई समस्या आये तुरंत ही उसका समाधान शुरू कर दें, तब इस स्थिति से उबरा जा सकता है ।
जब कहीं धरना प्रदर्शन ,रैली इत्यादि होती है,शासन का रवैया रहता है कि उसे कोई तवज्जो मत दो । धीरे धीरे जब भीड़ विशाल रूप ले लेती है,तब प्रशासन का स्पार्क रूपी 'आपरेशन कन्ट्रोल' शुरु होता है और परिणति स्वरूप रामलीला मैदान या भट्टा-परसौल जैसी स्थिति हो जाती है । यदि प्रशासन या पब्लिक डीलिंग विभाग के लोग इस बात को गौर कर जनता के एकत्र होने से पहले ही उनकी समस्याओं के निदान की बात शुरु कर दें ,फ़िर तो विस्फ़ोटक स्थिति से बचा जा सकता है ।
यह सिद्धांत जीवन के अनेक क्षेत्रों में लागू होता है | समस्याओं को एकत्र होने का मौका देकर ,फिर जब हम समाधान का लाइटर जलाते हैं ,तब तक समस्या विकराल रूप धारण कर चुकी होती है ,और ब्लास्ट हो जाता है | यदि हम ज्यों कोई समस्या आये तुरंत ही उसका समाधान शुरू कर दें, तब इस स्थिति से उबरा जा सकता है ।
जब कहीं धरना प्रदर्शन ,रैली इत्यादि होती है,शासन का रवैया रहता है कि उसे कोई तवज्जो मत दो । धीरे धीरे जब भीड़ विशाल रूप ले लेती है,तब प्रशासन का स्पार्क रूपी 'आपरेशन कन्ट्रोल' शुरु होता है और परिणति स्वरूप रामलीला मैदान या भट्टा-परसौल जैसी स्थिति हो जाती है । यदि प्रशासन या पब्लिक डीलिंग विभाग के लोग इस बात को गौर कर जनता के एकत्र होने से पहले ही उनकी समस्याओं के निदान की बात शुरु कर दें ,फ़िर तो विस्फ़ोटक स्थिति से बचा जा सकता है ।
रेलवे की लाइन हो,गैस की लाइन हो,पासपोर्ट की हो,कहीं दाखिले की हो ,काउन्टर तब खुलते हैं ,जब भीड़ अनियंत्रित हो चुकी होती है । पहले आदमी के आने से पहले ही यदि काउन्टर खुला मिले ,तब ना कभी भगदड़ होगी ना कभी रोष होगा |
कैसा भी कार्य हो, या कितना भी कार्य हो ,बस करना शुरू कर दें ,बिना उसका परिमाण देखे ,समस्त कार्य धीरे धीरे सहजता से स्वयं पूर्ण हो जायेंगे और आपको अत्यंत आनंद की अनुभूति होगी | और यदि आपने कार्य को इकठ्ठा होने दिया फिर तो दिमाग का विस्फोट होना तय ही है |
"कार्य से पहले कर्ता हो ,बस इत्ती सी बात है |"
मान गये भाई, गज़ब का मौलिक चिन्तन !
जवाब देंहटाएंमैं तो पढ़ते ही मुरीद हुआ !
कसम से मान गये सरकार, बडी पते की बात कही।
जवाब देंहटाएंek taraf kavi man aur ek taraf maulik chintan.....kya baat hai Sir!.........kabil-e-taareef.
जवाब देंहटाएंकाश प्रशासन की सोच भी आपकी तरह हो जाती
जवाब देंहटाएंbahut accha chitan badi soch ke saath
जवाब देंहटाएं"samrat bundelkhand"
ऐसी विस्फोटक स्थितियां भी योजनात्मक ढंग से सरकारें ही पैदा करती है..... करवाती हैं.... सार्थक चिंतन
जवाब देंहटाएंगैस निकलते ही स्पार्क जले, सामाजिक दर्शन भरी पोस्ट।
जवाब देंहटाएंगैस लाईटर से शुरू होकर विचारों की श्रृंखला प्रशासन की लापरवाही तक जा पहुंची ...
जवाब देंहटाएंकाश प्रशासन समझ पाए !
फिर से पढ़कर अच्छा लगा!
हटाएंसुन्दर समन्वय और तारतम्य .यही तो टूटा हुआहै सामाजिक राजनीतिक और दफ्तरी जीवन का .चीज़ों के प्रति टालू रवैया ,डिनायल के मूड में रहना ,पलायन करते रहना समस्याओं से जीवन से जगत से बे -दिली लगाव -हीनता का प्रतीक है .यही इस दौर की सौगात है .हमारे वक्त की धड़कन है .
जवाब देंहटाएंबहुत उपयोगी सलाह ....शुभकामनायें आपको !
जवाब देंहटाएंकार्य से पहले कर्ता हो, सही सार !
जवाब देंहटाएंwah ye hui na engg,,,,dimag
जवाब देंहटाएंap bhi aaeye.... hamara bhi hausla badhaiye
यही तो दिक्कत है लोग प्यास लगने पर कुआं खोदते है जहां तक माचिस की बात है ये बरसात में बडा दुख देती है
जवाब देंहटाएंआपके मौलिक सोच की मैं ..कायल हूँ...
जवाब देंहटाएंwhat an observation,
जवाब देंहटाएंबधाई,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
आपका स्वागत है "नयी पुरानी हलचल" पर...यहाँ आपके पोस्ट की है हलचल...जानिये आपका कौन सा पुराना या नया पोस्ट कल होगा यहाँ...........
जवाब देंहटाएंनयी पुरानी हलचल
amit ji
जवाब देंहटाएंkya solah aane sach baat likhi hai aapne ,tabiyat khush ho gai.
machis ki teeli ka vikalp bahut hi achha laga.
maih aapki likhi hui har ek baat se shat -pratishat sahmat hun.
"कार्य से पहले कर्ता हो ,बस इत्ती सी बात है |"
aapne apne lekh ke dwara gagar me sagar wali
kahavat ko charitarth kar diya hai .
bahut khoob
isbadhiya se lekh ke liye
bahut bahut badhai
poonam
आपकी बात से सहमत ... समस्या को शुरुआत में ही पकड़ना अच्छा होता है ...
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक और सही सोच..
जवाब देंहटाएंsateek udaahran dekar apni baat kahi. vichaarneey vishay.
जवाब देंहटाएंकमाल है ..गज़ब का चिंतन है एकदम सटीक. शुक्रिया दुबारा शेयर करने का वर्ना हमारे पढ़ने से तो रह ही जाता.
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया जानकारी
जवाब देंहटाएंati uttam!!!
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी कोई रचना सोमवार 28 जून 2021 को साझा की गई है ,
जवाब देंहटाएंपांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
जवाब देंहटाएं"कार्य से पहले कर्ता हो ,बस इत्ती सी बात है |"…ये इत्ती सी नहीं बहुत बड़ी बात है . प्रत्येक व्यक्ति यदि इसका अभ्यास डाल ले तो सभी का कितना वक्त व ऊर्जा बच जाए.बढ़िया सुझाव देती पोस्ट.
उव्वाहहहह..
जवाब देंहटाएंमाचिस एक जरुरी
जली तीलियों का संकलन में
भी समझदारी है
सादर..
"समस्याओं को एकत्र होने का मौका देकर ,फिर जब हम समाधान का लाइटर जलाते हैं ,तब तक समस्या विकराल रूप धारण कर चुकी होती है ,और ब्लास्ट हो जाता है |"
जवाब देंहटाएंबात बहुत छोटी सी है लेकिन उसका महत्व कितना बड़ा..... जीवन उपयोगी सीख।
सादर नमस्कार आपको
बात दमदार है, उपमा घरेलू है। गृहकार्य और विचार साथ साथ चल रहे हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक... समस्या आने से पहले समाधान पर ध्यान दें तो समस्या घातक सिद्ध नहीं होगी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चिन्तनपरक लेख।
बहुत बढ़िया अमित जी। माचिस और लाइटर के बहाने, कहां कहां लगे निशाने 👌👌 हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं 🙏
जवाब देंहटाएं