अजीब दुनिया हो गई है ये | जो उत्पत्ति का कारण है ,जिसके बिना शायद दुनिया में कदम भी ना रख पाते और जो हर पल, हर क्षण स्मरणीय है ,उन्हें याद करने के लिए एक दिन मुक़र्रर कर दिया गया 'फादर्स डे' के नाम पर | शायद लोग इतने ज्यादा मेकेनिकल होते जा रहे हैं, और इसी विज्ञानी शैली में जीते जीते भावना शून्य होते जा रहे हैं, इसी लिए इतने निकट संबंधों को याद करने के लिए तमाम तरह के दिन ईजाद कर लिए गए हैं, जैसे मदर्स डे ,ब्रदर्स डे,सिस्टर्स डे, और ना जाने क्या क्या |
मैं तो शायद ही कभी वो क्षण होगा जब उन्हें याद न करता हूँ | बहुत सारी पुरानी बात याद करूँ ,तो सब शीशे की तरह साफ़ साफ़ नज़र आता है ,कितने महत्वाकांक्षी रहे वे हमेशा | समाज में सदा सबसे अलग दिखने की चाह ,शिक्षा को बहुत अधिक महत्त्व देना ,सीमित आय में रहते हुए भी कभी संकुचित ना महसूस करना,और ना कभी हम लोगों को महसूस होने देना | सदा सपने देखे, अपनी क्षमता से बहुत बड़े बड़े ,और आश्चर्य ,कि वे पूरे भी हुए | कैसे होते गए ,सिर्फ ईश्वर ही जानते होंगे | quality of life को बहुत महत्त्व दिया और आज भी देते हैं ,जीवन शैली उच्च कोटि की रखते हुए समाज में स्वयं को स्तम्भ की तरह स्थापित किया | उनसे हजार गुना आर्थिक एवं समाजिक रूप से मै बेहतर होते हुए भी उनके सरीखे खुद को कहीं नहीं देख पा रहा हूँ | परिवार के रिश्ते निभाना हो ,या समाज में किसी की सहायता करनी हो ,आर्थिक ना सही ,परन्तु अपनी मौजूदगी से ही लगभग सभी की मदद की |
एक रोचक घटना याद आ रही है,वे मुझे अंग्रेजी पढ़ा रहे थे ,कक्षा 3 या ५ की बात होगी, (मैंने कक्षा ४ नहीं पढ़ा है,कहते हैं मै बहुत मेधावी था ,सीधे ३ से ५ में दाखिला हो गया था और उसी का परिणाम है कि, तभी से तीन - पांच के फेर में पड़ गया हूँ ,निकल ही नहीं पा रहा हूँ ) शब्दों के विलोम पूछ रहे थे ,मै भी फटाफट बताये जा रहा था ,अचानक उन्होंने कहा ugly ,मैने झट से बोला 'पिछली' | मैंने अपने अनुसार सही ही कहा था ,मुझे ugly का अर्थ पता ही नहीं था ,पर शायद वे समझे ,मै शैतानी कर रहा हूँ ,फिर क्या था ,जो जोर दार झन्नाटे वाला थप्पड़ पडा कि आज भी मुझे याद है ,पर मै आज भी कहूँगा ,वो मेरी गलती नहीं थी|
दूसरी घटना है , मुझे एकबार वो साईकिल पर आगे बिठा कर बाजार से घर लौट रहे थे ,जब मै घर पर उतरा तो एक पैर में बुरी तरह झुनझुनी चढ़ी हुई थी ,जब पाँव नीचे रखा तो देखा एक पैर की चप्पल गायब थी | झुनझुनी के कारण कब वह रास्ते में पाँव से गिर गई पता ही नहीं चला | पर दंड तो मुझे मिलना ही था ,सो एक पैर में चप्पल और दूसरा पैर बिना चप्पल के ही मुझे पैदल ही भेज दिया गया ,वो खोई हुई चप्पल ढूंढने | पर वो तो मिलने वाली थी नहीं | लौटकर पिटाई तो नहीं हुई पर ,नई चप्पल बहुत दिनों बाद ही नसीब हुई | पर चूँकि पढ़ाई में ठीक ठाक था ,सो धीरे धीरे बाकी शैतानियाँ नज़रंदाज़ की जाने लगी |
प्रेम विवाह दो प्रकार से होते हैं | एक तो आप किसी के प्यार में पड़ जाएँ और उसी से विवाह कर लें ,दूसरे आपको अपना जीवन स्वयं अपने दृष्टिकोण से जीना हो और फिर आप उस लिहाज से अपने लिए स्वयम कोई साथी चुन लें और फिर उसी से विवाह कर लें | मेरे पापा ने शायद अपना जीवन अपने लिहाज से जीने की खातिर ही मेरी मम्मी को ढूंढ़ लिया था ,फिर उनसे प्यार किया और कुछ दिनों बाद उन्ही से प्रेम विवाह कर लिया | और तभी से वे अपने आगे का मार्ग बनाते गए और उसी पर हम सभी को लेकर चलते गए |
मै अपने को धन्य समझता हूँ ,जो मुझे ऐसे पापा मिले | मै पूरी कोशिश करूँगा कि मै भी अपने बेटों के लिए ऐसा ही कुछ कर पाऊं और फिर शायद वे भी मुझ पर गर्व कर सकें |
बहुत ही भावुक कर देने वाली प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंzarur garv karenge bachche aise papa per , jinhone apne papa ko itni sukshmta se dekha ... wo papa to garv honge hi
जवाब देंहटाएंआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (20-6-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
ज्यादा कुछ क्या कहना.. बहुत ही सुन्दर ... मुझे उम्मीद है आप भी एक आदर्श पिता बनेंगे...:)
जवाब देंहटाएंbhut hi sarthak post...
जवाब देंहटाएंहमारे बच्चे हम पर गर्व कर सकें, इतना ही जीवन से चाहना है।
जवाब देंहटाएंहर पापा का सपना कि उनके बच्चे उन पर गर्व कर सके .
जवाब देंहटाएंभावुक कर देने वाली अभिव्यक्ति.
ज्यादातर अच्छे बेटे कुछ न कर पाने पर भी बापों पर गर्व किया करते हैं.
जवाब देंहटाएंसृष्टिकर्ता को इसलिए याद करने का दिन मुकर्रर कर दिया गया है उसे घर से ही बाहर जो कर दिया :(
जवाब देंहटाएंbhavuk abhivyakti
जवाब देंहटाएंAmit ji kabhi mere blog par bhi aayen ..mujhe khushi hogi...
http://www.sumanmeet.blogspot.com
http://www.arpitsuman.blogspot.com
bahut accha likha hai aapne or bahut kuch kaha hai aapne iske jariye aap log mere blog par bhi aaye mere blog par aane ke liye link- "samrat bundelkhand"
जवाब देंहटाएंमैं माफी चाहूंगा लेकिन आपने जो दो घटनायें बतायी हैं उसमें मैं पहली घटना पर जोर से हंसता और बताता कि यह हिन्दी का नहीं अंग्रेजी का शब्द है। दूसरी पर आपके साथ जा कर चप्पल ढूंढता। पैरों में झुनझुनी चढ़ना एक समान्य बात है।
जवाब देंहटाएंभावुक करती पोस्ट.........
जवाब देंहटाएंमार्मिक आलेख
जवाब देंहटाएंपितृ-दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ
बहुत ही भावुक आलेख ||
जवाब देंहटाएंबहुत ही भावमयी प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंसच है जिससे प्रेम मारो वो दिल में रहता है ... और फिर माता पिता तो हमेशा हर पल यद् आते हैं ... भाव मय प्रस्तुति ..
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लिखा है सर आपने.
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कल 21/06/2011को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की गयी है-
आपके विचारों का स्वागत है .
धन्यवाद
नयी-पुरानी हलचल
अमित जी साधुवाद - बहुत ही प्यारा आलेख काश सभी पुत्र अपने पिता के प्रति समर्पित रहें अंत तक उनके दिल में बसे प्यार दें और लें
जवाब देंहटाएंशुक्ल भ्रमर ५
पापा होते ही बहुत प्यारे हैं...... हैप्पी फादर्स डे....
जवाब देंहटाएंपिता के प्रति समर्पित फ़ादर्स डे पर अच्छा आलेख....
जवाब देंहटाएंअमित जी, मेरे पापा की छत्रछाया मेरे बचपन में ही मुझसे दूर हो गई थी.....और क्या कहूं.....
जानते हैं अमित जी, ऐसी पोस्टों को पढने के बाद मैं एकदम कमेंट करने के लायक ही नहीं रह जाती :( और शायद ऐसी पोस्ट कमेंट की मोहताज भी नहीं. ये तो आत्म-कथ्य सा है...स्वान्त:सुखाय...
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