तुम्हें तो अफसरी करना आता ही नहीं , एकदम चुगद हो क्या ,मेरे एक तथा कथित सफल माने जाने वाले दोस्त ने मुझसे कहा | मैंने कहा ,"क्यों क्या हो गया ? वे बोले तुम अपने ड्राईवर और चपरासी को भी 'थैंक्स' बोलते हो !मैंने पूछा ,इसमें कौन सा अपराध हो गया ? वे बोले ,कई दिनों से मै तुम्हारे संपर्क में हूँ, और देख रहा हूँ कि, तुम्हारे अन्दर अफसरी के एक भी गुण नहीं है ,तुम तो पूरे विभाग में सभी अफसरों की किरकिरी करा रहे हो | चलो अबसे बता दो ,क्या और कौन कौन सी कमी है ,मै अब से दुरुस्त करने की कोशिश करूंगा,मैंने कहा | उनके अनुसार मेरे अन्दर निम्न अवगुण काफी प्रचुर मात्र में व्याप्त हैं --
१.मै कभी किसी अधीनस्थ को डांटता नहीं , उनसे बात भी सम्मान पूर्वक ही करता हूँ |
२.कोई भी कर्मचारी मुझे पूर्णतया अनुपयोगी नहीं लगता | कभी किसी को स्थानांतरित करने की बात नहीं करता |
३.प्रत्येक कर्मचारी के पारिवारिक विन्यास से परिचित रहता हूँ, और प्रायः सभी सदस्यों के बारे में पूछता रहता हूँ |
४.अपनी निजी परेशानियों अथवा खराब स्वास्थ्य का ज़िक्र कभी नहीं करता |
५.चूँकि पब्लिक डीलिंग में हूँ ,प्रयास रहता है ,जनता को उचित और तथ्यपरक जानकारी कम से कम समय में मिल जाय , और उसे न्यूनतम असुविधा हो |
६.निजी कामों में सरकारी मशीनरी का उपयोग जहां तक हो सके ,बिलकुल ही न हो |
७.अपने विभाग की बुराई कभी नहीं करता |
८.अपनी काबिलियत का बखान नहीं करता कि मै तो यहाँ गलत फंस गया, नहीं तो मै कहीं और बेहतर पोजीशन में होता | जिस भी स्थिति में हूँ, उसे ही बेहतर करने की कोशिश रहती है |
९.ऑफिस का काम कभी घर नहीं ले जाता |
१०.मोबाइल फ़ोन किसी भी परिस्थिति में ऑफ नहीं करता |
११.अपना लक्ष्य स्वयं तय करता हूँ और प्रायः प्राप्त भी कर लेता हूँ |
१२.मेरे पद और पोजीशन से किसी की गरिमा को ठेस ना पहुंचे,इस बात का भी पूरा ख्याल रखता हूँ |
१३.दूसरे की कार्य सीमा में कभी ट्रेस पासिंग नहीं करता और यदि भूल वश दूसरा कोई कभी कर भी दे तो, आहत नहीं महसूस करता |
१४.हर अगला दिन बीते दिन से बेहतर हो ऐसा प्रयास स्वयं भी करता हूँ, और सभी से अपेक्षा भी करता हूँ |
१५.जिस सिस्टम में काम कर रहा हूँ, उसके विभिन्न पात्रों के स्थान पर स्वयं को रख के देखता हूँ और मन ही मन में प्रयोग करता रहता हूँ कि इन परिस्थितियों में दूसरों से किस प्रकार का परिणाम और व्यवहार अपेक्षित किया जाना चाहिए |
उपरोक्त आचरण का परिणाम यह होता है कि, मै सभी के लिए सरलता से उपलब्ध रहता हूँ और यहीं मात खा जाती है सरकारी अफसरी, क्योंकि सरकारी अफसर तो वो है,जो किसी को ढूंढे ना मिले ,सीधे मुंह किसी से बात ना करे ,मातहत को बात बात पे झिड़कता हो |
आपके द्वारा सुझाई गयी हर बात को गहनता से पढ़ा और सोचा ..काश हम इन बातों पर पूरी तरह से अमल कर पाते ..और जीवन को एक अनुकरणीय सांचे में ढाल पाते ...आपका आभार इन सब बातों को हम सभी से साँझा करने के लिए ......!
जवाब देंहटाएंNice read..
जवाब देंहटाएंWell written and beautifully expressed !!
Sari baaten vicharniy
जवाब देंहटाएंbhut hi gahan baate...
जवाब देंहटाएंवाकई सरकारी अफसर का एक भी गुण नहीं आपमें :)
जवाब देंहटाएंआपके अफसर की बात में दम है , अफसरी वाले गुण नहीं हैं आपमें ...
जवाब देंहटाएंमगर जो गुण है वही बने रहे ...शुभकामनायें !
ishwar ki kripa aap par bani rahe....aap apne in avguno ko kabhi naa chhode...ye hi dua karugi
जवाब देंहटाएंकाश 1 लगायत 14 सभी अधिकारियों के विचार व आचरण हो जाते। यह भी सही कहा कि सरकारी अफसर ढूढे नहीं मिलते ।
जवाब देंहटाएंबंगले पर जाओ तो भूक रहा है कुत्ता
और दफतर में जाओ तो अफसर खुद है...।
कुछ भी हो अफसर में बताये गए गुण मजेदार हैं। दायें भी और थोडा बाएँ भी । थोडा oscillator की तरह हिलता हुआ। अफसर इसी को कहते हैं । और अफसरी सब के बस की बात नहीं। सरकारी अफसर तो ढूंढें न मिले। चौदहवीं का चाँद हैं।
जवाब देंहटाएंha ha ha.... he prabhu saare sarkaari afsaron mein ye avgun bhar do
जवाब देंहटाएंwarnaa agar sarkaari daftar graahak bankar jaana narak ke anubhav ke samaan hai
तब तो हम भी चुगद ही हैं।
जवाब देंहटाएंयही मानसिकता ही तो देश को खाए जा रही है॥
जवाब देंहटाएंसचमुच, तुम तो पूरे "चुगद" हो.......
जवाब देंहटाएंलेकिन फिर भी लगते गदगद हो ||
राज बता मत देना उनको--
जिससे उनकी bhi भद हो ||
मस्त रहिये-- बिंदास
MNNIT से विशेष लगाव है---
कारण है--मेरा बेटा
http://kushkikritiyan.blogspot.com/
ये फर्क करना ही तो बड़ा गुण है वर्ना यहाँ भी रौब जरुर चलाते...बढ़िया पोस्ट ..
जवाब देंहटाएंNice and beautifully....
जवाब देंहटाएंकुछ व्यक्तिगत कारणों से पिछले 15 दिनों से ब्लॉग से दूर था
जवाब देंहटाएंइसी कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका !
.भ्रष्ट और कामचोरों के बीच रह कर आप भली प्रकार दायित्व निर्वाह कर रहे हैं ।
जवाब देंहटाएंयह एक आदर्श स्थिति है... किन्तु इसका बखान करना आदर्श आचरण के मापदँड से छिट्क कर दँभ के आसपास जाकर ठहरता है । क्षमा करें, मुझे जैसा महसूस हुआ, वही लिखा है ।
शायद यही आपकी सफलता का राज है जो राह चुनीं उसी राह पे रही चलते जाना रे ..
जवाब देंहटाएंबखान करने में कोई बुराई तो
जवाब देंहटाएंनजर नहीं आती |
नजरिये का फर्क है ||
मरीज है बेचारे, मर्ज बता रहे हैं--
दवा बताइए ||
आखिरकार ब्लॉग है --
समाज की सोच सामने आनी ही चाहिए ||