१०० करोड़ का अर्थ एक अरब और अरबों रूपए की संपत्ति के मालिक बाबा रामदेव २ रूपए की रोटी का त्याग कर जीवन -मृत्यु के बीच संघर्ष कर रहे हैं | पिछले ६-७ दिनों के अनशन के दौरान अगर उन्होंने कुल १००-१५० रूपए का भी भोजन कर लिया होता तो आज इस स्थिति में ना होते | अब ऐसी स्थिति में वो अरबों रूपए तो काम आने वाले रहेंगे नहीं| इससे बेहतर, उन्होंने २ रूपए की रोटी के त्याग के बजाय अरबों की संपत्ति का परित्याग किया होता , तो आज ये दिन ना देखने पड़ते और वे अपने मिशन में कामयाब भी रहते |
कोई व्यक्ति अपने ही जीवन काल में इतनी अकूत संपत्ति एकत्र कर ले तो इसमें कोई शक नहीं, बल्कि तय बात है कि, उसने कहीं न कहीं कोई गड़बड़ या घोटाला किया है ,या तो लागत से कहीं अधिक मुनाफ़ा कमाया है या सरकार से धोखा किया है |
योग निश्चित तौर पर एक अच्छी विधा है और निरोगी जीवन के लिए लगभग आवश्यक भी,परन्तु कैंसर,किडनी,लीवर,मधुमेह इससे ठीक होता हो, यह सब भ्रामक है | इसके अतिरिक्त पतांजलि का इलाज अत्यंत महंगा है ,जो आम आदमी (जिसकी लड़ाई की बात बाबा रामदेव जी करते हैं ) के बस का कतई नहीं है |
हम गिनती में बहुत अधिक हो गए हैं | संसाधनों का अभाव है | मीडिया से सबको सब कुछ देखने और सपने बुनने का अवसर मिल जाता है | प्रत्येक व्यक्ति न्यूनतम अवधि में अधिकतम धन दौलत बटोरने के फेर में पडा हुआ है ,और वो जब किसी को अल्प समय में ही इतनी दौलत का स्वामी बनते देखता है तो बिना कुछ सोचे समझे उससे प्रभावित हो जाता है ,चाहे वो चंद्रास्वामी हो.,साईं बाबा हो,धीरेन्द्र ब्रह्मचारी हो या बाबा रामदेव हो,और उनके कृत्यों को उचित मान लेता है |
आज देश में कदम कदम पे यदि भ्रष्टाचार व्याप्त है तो उसका निवारण लोकतंत्र में एक अच्छी चुनी हुई सरकार द्वारा ही हो सकता है | अधिक से अधिक ध्यान चुनावी प्रक्रिया ओर उम्मीदवार के चयन में दिया जाना चाहिए | "हल्ला बोल" थ्योरी से आप अपने बाहरी दुश्मन और विदेशियों से तो लड़ सकते हैं पर जब लड़ाई अपने घर में अपनों से लड़नी हो, तब यह कारगर नहीं हो सकती | भोले भाले लोगों को भड़का कर इतनी संख्या में कही एकत्र कर उनकी जान जोखिम में डलवा देना कतई उचित नहीं था |
अगर बाबा रामदेव की ही बात लोग इतना मानते है और उनके करोड़ों अनुयायी है तो कम से कम वही लोग प्रण ले कि स्वयं भ्रष्ट आचरण नहीं करेंगे और आय से अधिक संपत्ति के फेर में नहीं पड़ेंगे |जितने भी शिविर आयोजक होते है, सभी उद्योगपति और बड़े घरानों से होते है, जो अपना काला धन इसी की आड़ में सफ़ेद करते है | कब तक बेचारा आम आदमी इनके बंजर साए में कुम्हलाता रहेगा |
अपने देश में नट प्रजाति के लोग बाबा रामदेव की तरह सभी आसन बखूबी कर लेते हैं और वर्षों पहले से ही लखनऊ -बाराबंकी रेल लाइन के किनारे विभिन्न तरह के खेल कूद दिखा कर जीवन यापन करते आ रहें हैं |
अगर चिकित्सकों की माने तो प्रत्येक व्यक्ति (मरीज) की शारीरिक संरचना भिन्न भिन्न होती है और उसी के अनुसार उसको आसन और व्यायाम करने चाहिए | सबको एक ही प्रकार के आसन कतई नहीं करने चाहिए |
अन्ना हजारे का जीवन सदैव संघर्षपूर्ण रहा ,लोकपाल बिल की मांग उनकी उचित है | इस पर बहस-मुबाहिस होती रहनी चाहिए | परन्तु एक अच्छे उद्देश्य की पूर्ति के लिए किये जा रहे प्रयास पर लगता है बाबा रामदेव जी के कमंडल का पानी फिर जायेगा |
अनशन से इतना तो सभी को समझ लेना चाहिए की जीवित रहने के लिए केवल दो वक्त की रोटी ही बहुत है ,अकूत संपत्ति का कोई लाभ नहीं और भूखे पेट योग भी काम नहीं आता |
ईश्वर बाबा रामदेव जी को दीर्घायु करे और सदबुद्धि प्रदान करे | (नहीं तो बी.जे.पी. तो घात लगाए बैठी ही है )
अनशन से इतना तो सभी को समझ लेना चाहिए की जीवित रहने के लिए केवल दो वक्त की रोटी ही बहुत है ,अकूत संपत्ति का कोई लाभ नहीं और भूखे पेट योग भी काम नहीं आता |
ईश्वर बाबा रामदेव जी को दीर्घायु करे और सदबुद्धि प्रदान करे | (नहीं तो बी.जे.पी. तो घात लगाए बैठी ही है )
योगी को भोगी के रूप में अब देखा जा रहा है.....आपकी पोस्ट सार्थकता ब्यान करती है
जवाब देंहटाएंकितना सच कहा है आपने भ्रष्टाचार का निदान एक सही सरकार ही कर सकती है जिसे आप और हम ही चुन सकते हैं.बाकी ये सब आयोजन एक गन्दी राजनीति के अलावा कुछ नहीं.
जवाब देंहटाएंगडबड घुटाला करनेवाला छाती फुलाकर घोटालेबाज़ों से पंगा नहीं लेता। यदि हम उनकी भावना का सम्मान नहीं कर सकते तो अपमान करने का भी अधिकार हमें नहीं है। हां, उनसे इस आंदोलन में कुछ चूक हुई है तो उसके लिए उनकी राजनीतिक अपरिक्वता ही कही जाएगी॥
जवाब देंहटाएंगडबड घुटाला करनेवाला छाती फुलाकर घोटालेबाज़ों से पंगा नहीं लेता। यदि हम उनकी भावना का सम्मान नहीं कर सकते तो अपमान करने का भी अधिकार हमें नहीं है। हां, उनसे इस आंदोलन में कुछ चूक हुई है तो उसके लिए उनकी राजनीतिक अपरिक्वता ही कही जाएगी॥.....
जवाब देंहटाएंSahmat hun....
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रष्टाचार व्याप्त है तो उसका निवारण लोकतंत्र में एक अच्छी चुनी हुई सरकार द्वारा ही हो सकता है |
जवाब देंहटाएंThis is the core point which should be focused today.
Things can never change from outside. We need a good, effective and transparent government.
न जाने क्यों इस देश में सभी बुद्धिजीवियों को बाबा की संपत्ति में ही क्यों रूचि है...बाबा जी की संपत्ति को लेकर कितनो के ही भाषण निकल रहे हैं, कितनो की ही लेख्नियाँ चल रही हैं...कभी यहाँ से भ्रष्ट सरकार के पास जमा काले धन का हिसाब नहीं माँगा जाता|
जवाब देंहटाएंबाबा जी काला धन देश में लाना चाहते हैं, तो इसमें बाबाजी की संपत्ति के पीछे पड़ने का कोई औचित्य ही नहीं है|
देश को खतरा इस भ्रष्ट सरकार से कम, अपितु इस सेक्युलर सिविल सोसायटी से अधिक है...जो न खुद कुछ करते हैं और न ही बाबाजी को करने दे रहे हैं...
क्षमा चाहूँगा किन्तु सहमत नहीं हूँ...
सही कह रहे हैं आप । पिलहाल तो ये 2/- रु. की रोटी छोडकर बाबा स्वयं ही लीवर व किडनी जैसी समस्याओं की गिरफ्त में आते दिख रहे हैं ।
जवाब देंहटाएंभ्रष्टाचार के प्रति संघर्ष के निष्कर्ष सार्थक रहें, ईश्वर से यही प्रार्थना है।
जवाब देंहटाएंक्षमा चाहता हूँ आपकी बात से सहमत नही हूँ पूरी तरह ... अगर पैसा नही होगा तो कोई भी कार्य (चाहे योग का प्रचार प्रसार ही क्यों न हो) कभी नही हो सकता ... बाबा जिस बात का प्रसार करना चाहते हैं उसमें भी धन चाहिए ... धन का उपयोग निजी बातों के लिए न हो ये देखने वाली बात है ... न की बाबा ने धन क्यों इकट्ठा कर लिया ... ये सब नेताओं की चाल है .. इधर उधर जनता को भटका देते है हर बार ...
जवाब देंहटाएंमुझे नही लगता आपको इस बात से कोई गुरेज़ होगा की विदेशों में छिपा धन भारत आ जाए तो अच्छा ही होगा...
माफ़ कीजिये मुख्य मुद्दा काला धन (Rs 40000000000000000) है . यदि काले धन से जुडा कोई कानून बनता है तो बाबा भी फसेंगे . अभी कानून बनाकर काला धन लाने की बात कीजिये . ये सब मामले तो अपने आप निपट जायेंगे . इस विषय में मैंने भी कुछ लिखा है
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग भी देखे
http://achal-anupam.blogspot.com/
http://josochanahi.blogspot.com/
http://mainepadhihai.blogspot.com/
विदेशों में छिपा धन भारत आ जाए||
जवाब देंहटाएंईश्वर बाबा रामदेव जी को दीर्घायु करे ||
सहमत नही हूँ पूरी तरह ||
आपकी बात से सहमत हूँ पूरी तरह, मुद्दा काला धन नहीं है बल्कि राजनीति है,
जवाब देंहटाएं- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
सही कहा है ..ये तो वही सिद्धि हो गयी पानी पर चलना ..डेढ़ पैसे का ..
जवाब देंहटाएंबाबा का पैसा दिख रहा है , त्याग नहीं ? Intention नहीं ?...दो अरब जनता में से कोई विरला ही होगा जो दो जून की रोटी का मोह त्याग सकेगा । धन्य हैं वो मानव जन्म जो देश के लिए जान लड़ा रहा है।
जवाब देंहटाएंआपकी बात से सहमत हूँ पूरी तरह,
जवाब देंहटाएंआपकी की किसी एक पोस्ट की हलचल यहाँ भी है-
जवाब देंहटाएंनयी-पुरानी हलचल
Han...apni janmbhumi ka v kayakalp karte to...achchha post...
जवाब देंहटाएंविदेशों में छिपा धन भारत आ जाए....
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