मेरे एक कलीग बड़ी शान्ति से किसी सोच में डूबे थे,वैसे सोच में तो अक्सर वे डूबे रहते हैं ,मगर आज कुछ ज्यादा ही गंभीर से दिख रहे थे | मैंने पूछ ही लिया क्या बात है ,इतनी गंभीर मुद्रा में क्यों बैठे हैं | वे बोले, यार मुद्रा की स्थिति ही कुछ ऐसी हो गई है कि मुद्रा अपने आप गंभीर हो गई है | यहाँ बताता चलूँ कि,पिछले ७-८ माह से वो सम्बद्ध पद पर तैनात है | सो मनभावन मुद्रा के दर्शन नहीं हो पा रहें हैं ,स्वभाविक है कि फिर उनकी मुद्रा तो गंभीर होनी ही है |
कितनी हास्यास्पद सी बात है कि व्यक्ति की मुद्रा का सम्बन्ध सीधे सीधे उसकी मुद्रा से हो चला है | चेहरे के हावभाव से उसकी आंतरिक मुद्रा की स्थिति एकदम स्पष्ट दिखाई पड़ती है | अगर आप बहुत प्रसन्न मुद्रा में कार्यालय में कार्य करते हैं ,और आप ईमानदार भी हैं ,फिर भी आपकी प्रसन्न मुद्रा देख कोई कतई मानने को तैयार नहीं होता कि आप तो अपने कार्य से ही प्रसन्न हैं और सदैव प्रसन्न ही रहते हैं , और उस मुद्रा को मुद्रा-राक्षस ही मानते हैं |
" आकर्षक मुद्राएँ सदैव घातक ही होती हैं ,चाहे वो अनैतिक मुद्रा की हो ,या फिर अनैतिक मुद्रा वाली हो" |
दूसरा सच यह भी है कि मुद्रा की फिराक में लोग अपनी मुद्रा भी झट बदल लेते हैं | निरीह भाव से अपने को ऐसे प्रस्तुत करते हैं कि मुद्रा देने वाला दया खा के उन्हें दे ही देता है जैसे ,नहीं दिया तो कहीं यह मर ही न जाये | उसके बाद वो साहब ऐसी डींगे मारेंगे ,विभिन्न मुद्राओं में ,जैसे उनसे अधिक अक्लमंद और तीसमार खां कोई है ही नहीं | ऐसे ही लोगों की मुद्रा उनके खुद के घर में भी रोज़ बदलती रहती है | जिस दिन मुद्रा जेब में ,उस दिन बीबी की मुद्रा भी खुजाराहो की मूर्ति सी, और जिस दिन जेब मुद्रा-विहीन ,उस दिन उसी बीबी की मुद्रा राक्षस सी | ऐसे लोगों के बच्चें भी अपने बाप की मुद्रा की तारीफ़ करते नहीं थकते और बस मनाते रहते हैं कि, ऐसे ही मुद्रा की तह लगती रहे और वे जीवन भर आनंद की मुद्राओं में गोते लगाते रहें | लेकिन शायद उन्हें यह नहीं पता कि ऐसी मुद्रा जब करवट बदलती है तो मुद्रा का धारक भी सारी मुद्राएँ भूल जाता है और उसकी खुद की मुद्रा पर मुद्रा-स्फीति का संकट छाने लगता है |
मजे की बात यह है कि, ऐसे ही लोग जब अनैतिक धन या मुद्रा के विषय में चर्चा करते हैं या अपनी राय देते हैं तब उनकी खुद की मुद्रा स्वामी विवेकानन्द जैसी हो जाती है । और बेचारा सरल व्यक्ति ऐसे लोगों की मुद्रा से प्रभावित हो अपनी मुद्रा उन्हें सौंप आता है ।
" आकर्षक मुद्राएँ सदैव घातक ही होती हैं ,चाहे वो अनैतिक मुद्रा की हो ,या फिर अनैतिक मुद्रा वाली हो" |
बिल्कुल सही कहा आपने।
जवाब देंहटाएंमुद्रा मुद्रा फेर गयी सब।
जवाब देंहटाएंAchchhi tarah samjha diya .aabharAchchhi tarah samjha diya .aabhar
जवाब देंहटाएं" आकर्षक मुद्राएँ सदैव घातक ही होती हैं ,चाहे वो अनैतिक मुद्रा की हो ,या फिर अनैतिक मुद्रा वाली हो" |
जवाब देंहटाएंSab kah gayin ye panktiyan.... sunder post
सही आकलन किया है।
जवाब देंहटाएंhttp://vision2020rajeev.blogspot.com
जवाब देंहटाएंhttp://hindi.lokmanch.com/2011/07/02/aarakshan/