करीब नहीं होते,
तब याद एक,
आस सी लगती है |
आस सी लगती है |
यादें भी वही,
जब करीब थे हम |
पास होते हो,
तो कोशिश करता हूँ,
पढने की,
चेहरा तुम्हारा |
कितना फर्क है अब,
इस चेहरे में और,
यादों के चेहरे में |
दरअसल,
जो कुछ भी,
सोचते हैं हम,
अकेले में,
या साथ रहने पे,
सब उभर आता है,
बन लकीरों में,
चेहरे पे |
क्योंकि प्यार,
है ही ऐसा,
जितना ज्यादा प्यार,
उतना ही,
महसूस करते हैं,
एक दूसरे की रूह को |
एक दूसरे की रूह को |
फिर कुछ भी छुपाना,
नामुमकिन सा,
और प्यार जताने के लिए,
कुछ तो छुपाना भी,
जरूरी होता है,
शायद |
और,
यही विरोधाभास,
ज़िन्दगी का |"अधिकतर लोग अपने जीवन में 'प्यार' जता नहीं पाते और 'आंसू ' छुपा नहीं पाते "
अच्छे लेखन के लिए आप बधाई के पात्र हैं.
जवाब देंहटाएंमेरा ब्लॉग भी देखें दुनाली
बहुत पसन्द आया
जवाब देंहटाएंहमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद
दुर्गाष्टमी और रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंLife is full of contradictions.
जवाब देंहटाएंविचित्र है ये विरोधाभास भी जीवन में.
जवाब देंहटाएंज़िन्दगी के विरोधाभास को बहुत खूबसूरत रूप दे दिया....
जवाब देंहटाएंखूब कहा आपने.... ज़िन्दगी का विरोधाभास .....
जवाब देंहटाएंबड़ा गूढ़ विषय निभाया है, बड़ी सरलता से।
जवाब देंहटाएंसही और आत्मीय शब्द |
जवाब देंहटाएंप्रिय बंधुवर अमित श्रीवास्तव जी
जवाब देंहटाएंसादर अभिवादन !
… प्यार जताने के लिए,
कुछ तो छिपाना भी,
जरूरी होता है,
शायद …
हां, शायद ज़रूरी होता है …
अच्छी मनोवैज्ञानिक रचना है , बधाई !
* श्रीरामनवमी की शुभकामनाएं ! *
- राजेन्द्र स्वर्णकार
विरोधाभास को शब्दों में पिरोया !
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना है.
जवाब देंहटाएंयही सचाई है.
इसी लिए प्रेम विवाह असफल हो जाते है कई बार.
और प्यार जताने के लिए,
जवाब देंहटाएंकुछ तो छुपाना भी,
जरूरी होता है,
कश्मकश की यह रचना .. बहुत सुन्दर
पूरी ज़िंदगी ही विरोधाभास के नियम पर टिकी हुई है...
जवाब देंहटाएंयही नियम हम सभी की ज़िंदगी में भी लागू होते हैं
असली विरोधाभास तब शुरू होता है
जब ये नियम हम अपने किये हुए कार्यों पर
और अपनी सोची हुई बातों पर तो लागू करते है
लेकिन जब हमारे सामने वाला भी वैसी ही बातें करता है
तो उसे सरासर नकार देते हैं....!!
जहाँ तक प्यार की बात है..
उसके लिए न छुपाना ज़रूरी है
न बताना!
बस प्यार करना ज़रूरी है,
और एक-दुसरे को समझना
और एक-दूसरे की बात को respect
करना ज़रूरी है...
और शायद यही बात हम सब आज-कल भूलते जा रहे हैं !!
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंतुम जब,
करीब नहीं होते,
तब याद एक,
आस सी लगती है |
संवेदनशीलता को नया आयाम देती है आपकी ये कविता.......!!!! पहली बार आपके ब्लॉग पर आया अब तो आते ही रहेंगे.
ज़िन्दगी के विरोधाभास को बड़ी सरलता से निभाया अपने , बधाई
जवाब देंहटाएंbahut achchi lagi.
जवाब देंहटाएंsundar bahut sundar rachna
जवाब देंहटाएंसही है!
जवाब देंहटाएंआओ लुका-छिपी खेलें भाई अपना गीत बना लिया जाये।
यही है लाइफ का सच............
जवाब देंहटाएंये सब बस भावनाओं के खेल है , जीवन अश्क और इश्क का मेल है। नमस्कार
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