शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

"मै मन हूं ’हजारे’ का"

हाँ ! मै मन हूँ,
हजारे का |
बस इतना ही,
तो चाहा मैंने,
कि लोकतंत्र में,
हो विश्वास,
लोक का तंत्र में |
हो एहसास, 
भरोसे का, 
जन को तंत्र में | 
मनुष्य से ऊपर, 
हो परिवार, 
परिवार से ऊपर समाज, 
और हो, 
सर्वोपरि अपना देश | 
तंत्र हो पारदर्शी, 
हो नेता समदर्शी, 
व्यापक हित की,
हो बात |
देश को न समझे, 
सौगात |
कानून से ऊपर, 
कोई क्यों हो, 
जन को मिले, 
अधिकार, 
चलने का, 
उनके साथ |
जो बने बैठे हैं, 
भाग्य विधाता, 
देश के, 
और करते हैं, 
केवल निज हित, 
की बात |
भयभीत हूँ मै, 
उनके (नेताओं ) भय से, 
क्यों करते वे, 
इनकार |
बस इतना ही,
चाहा मैंने, 
हो सभी का  अधिकार| 
हाँ ! अब मै मन हूँ 
हजारों का , हजारों हजारों का | | |
     

14 टिप्‍पणियां:

  1. तारीफ के लिए हर शब्द छोटा है अमित श्रीवास्तव जी - बेमिशाल प्रस्तुति - आभार

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  2. बस इतना ही,
    चाहा मैंने,
    हो सभी का अधिकार|
    हाँ ! अब मै मन हूँ
    हजारों का , हजारों हजारों का | | |

    बहुत सही कहा है..आज अन्ना जी की आवाज़ में जन जन की आवाज़ है..बहुत सार्थक प्रस्तुति..

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  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  4. बहुत बढ़िया लिखा है सर!

    अन्ना जी के साथ हर भारतवासी है.

    सादर

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  5. हाँ ! अब मै मन हूँ
    हजारों का , हजारों हजारों का | | |
    ... hum sab saath hain

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  6. हज़ारे ने हज़ारों का क्या अब तो लाखों करोडों का मन ले लिया है॥

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  7. anna hazare ji ke saath sabhi bhartiya hain aur desh videsh me bhi sabhi unke saath hain ..
    satya ke saath sab rahenge ...aur unki jeet hogi
    ham saath rahenge ....

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  8. हाँ ! अब मै मन हूँ
    हजारों का , हजारों हजारों का...

    awesome !...very motivating creation .

    .

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  9. हाँ ! अब मै मन हूँ
    हजारों का , हजारों हजारों का

    क्या बात है हजारे का हजारों में .....):

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