हाँ ! मै मन हूँ,
हजारे का |
बस इतना ही,
तो चाहा मैंने,
कि लोकतंत्र में,
हो विश्वास,
लोक का तंत्र में |
हो एहसास,
भरोसे का,
जन को तंत्र में |
मनुष्य से ऊपर,
हो परिवार,
परिवार से ऊपर समाज,
और हो,
सर्वोपरि अपना देश |
तंत्र हो पारदर्शी,
हो नेता समदर्शी,
व्यापक हित की,
हो बात |
देश को न समझे,
सौगात |
कानून से ऊपर,
कोई क्यों हो,
जन को मिले,
अधिकार,
चलने का,
उनके साथ |
जो बने बैठे हैं,
भाग्य विधाता,
देश के,
और करते हैं,
केवल निज हित,
की बात |
भयभीत हूँ मै,
उनके (नेताओं ) भय से,
क्यों करते वे,
इनकार |
बस इतना ही,
चाहा मैंने,
हो सभी का अधिकार|
हाँ ! अब मै मन हूँ
हजारों का , हजारों हजारों का | | |
तारीफ के लिए हर शब्द छोटा है अमित श्रीवास्तव जी - बेमिशाल प्रस्तुति - आभार
जवाब देंहटाएंन जाने कितनी समानता है इस मन से।
जवाब देंहटाएंबस इतना ही,
जवाब देंहटाएंचाहा मैंने,
हो सभी का अधिकार|
हाँ ! अब मै मन हूँ
हजारों का , हजारों हजारों का | | |
बहुत सही कहा है..आज अन्ना जी की आवाज़ में जन जन की आवाज़ है..बहुत सार्थक प्रस्तुति..
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जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिखा है सर!
जवाब देंहटाएंअन्ना जी के साथ हर भारतवासी है.
सादर
हाँ ! अब मै मन हूँ
जवाब देंहटाएंहजारों का , हजारों हजारों का | | |
... hum sab saath hain
हज़ारे ने हज़ारों का क्या अब तो लाखों करोडों का मन ले लिया है॥
जवाब देंहटाएंanna hazare ji ke saath sabhi bhartiya hain aur desh videsh me bhi sabhi unke saath hain ..
जवाब देंहटाएंsatya ke saath sab rahenge ...aur unki jeet hogi
ham saath rahenge ....
हाँ ! अब मै मन हूँ
जवाब देंहटाएंहजारों का , हजारों हजारों का...
awesome !...very motivating creation .
.
लाख टके की बात कह दी आपने.
जवाब देंहटाएंहाँ ! अब मै मन हूँ
जवाब देंहटाएंहजारों का , हजारों हजारों का
क्या बात है हजारे का हजारों में .....):
बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंVery nice
जवाब देंहटाएंBahut khub
Excellent!!
जवाब देंहटाएंThis poem should be recited from a manch!!