क्योंकि
१.दूसरों की भावनाओं को आहत करने में हमें आनंद मिलता है |
२."end justifies the means" को हम ही चरितार्थ करते हैं |
३.हमें सड़क पार करना नहीं आता ,जेब्रा लाइन का मतलब नहीं समझते |
४.रेलवे क्रासिंग बंद होने पर ,दोनों और कौरव -पांडव की सेना की तरह आमने सामने जम जाते हैं ,और 'किसमे कितना है दम' की तर्ज़ पर एक दूसरे को आजमा भी लेते हैं |
५.हम पान खा कर कहीं भी ऐसे थूक सकते हैं, कि उस चित्रकारी को देख एम.ऍफ़ .हुसैन साहब भी लोहा मान जाय|
६.बच्चे तो बस यूँ ही पैदा कर लेते हैं ,उनकी परवरिश या भविष्य की योजना से कोई लेना देना नहीं |"मुह तो एक है ,हाथ तो दो हैं" बस इसी के भरोसे वह जी लेगा ,यही मूल मन्त्र है |
७.अपने महापुरुषों ,अराध्य देवों की सहजता से ही निंदा कर डालते हैं |
८.बस या ट्रेन में चढ़ते समय पूरी कोशिश यह होती है कि उतरने वाला उतर ना पाए, जैसे बिना उसके यात्रा करने में कोई आनंद नहीं मिलेगा |
९.बैंक में या टिकट लेते समय या किसी भी काउंटर की लाइन में पीछे वाले का पूरा प्रयास यह होता है कि
वह आगे वाले की जेब में सशरीर प्रवेश पा जाय |
१०.पांच लाख की कार खरीदते समय उसकी टेक्निकल जानकारी से ज्यादा ,इस पर जोर देते हैं कि पांच सौ का सीट कवर मुफ्त मिल रहा है कि नहीं |
११.सफ़र में बगल में बैठे सज्जन का अखबार ,तिरछी निगाहों से उनसे पहले ही पढ़ डालते हैं |
१२.हमारे राजनेताओं में देश भक्ति कूट कूट कर व्याप्त है ,परन्तु उनके वंश अथवा परिवार से कोई भी बच्चा कभी देश की सेना में भर्ती नहीं होता है |
१३.किसी भी बहस -मुबाहिस में मुद्दा गायब हो जाता है ,उससे इतर एक दूसरे की निरर्थक कमियों पर भाषण छिड़ जाता है ,चाहे वह टेलिविज़न पर हो ,रेडियो पर हो या किसी मंच पर आमने सामने हो |
१४.औरतों की वकालत करने वाली औरतें ही समाज में अभी भी 'सास बहू ' के सम्बन्ध को 'माँ बेटी' की शक्ल में तब्दील नहीं होने देतीं |
१५.वोट देते समय 'जाति' को ही महत्त्व देते हैं ,'जातक' को नही |
१६.ब्लाग पर टिप्पणी देने की औपचारिकता ऐसे निभाते हैं,जैसे कि शादी-विवाह में न्योता दिया जाता है कि, भाई उनके यहाँ से लिफाफा आया था सो उन्हें लौटाना ज़रूरी है ,या लिफाफा देते रहो तभी तुम्हे लिफाफा मिलेगा | गुण दोष से कोई लेना देना नहीं |
"जय हिंद "
क्या टिप्पणी लिखूं?
जवाब देंहटाएंकाफी समय पहले एक पत्रिका में 'भदेस हिन्दुस्तानी' शीर्षक से एक आवरण कथा पढी थी। उसी की याद दिला दी आपने।
अच्छॆ विचार, ऊंचे आदर्श :)
जवाब देंहटाएंहर बिंदु विचारणीय है..... आखिरी बिंदु भी कहीं न कहीं ऊपर लिखी पंद्रह लाइनों से जुडी बातों के सार के रूप में सामने आता है..... हमारी पूरी विचारधारा को सामने रखता है.......
जवाब देंहटाएंsir ji sare vicchar hakikat he
जवाब देंहटाएंहम हिन्दुस्तानी...
जवाब देंहटाएंविचारणीय प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत सही हकीकत बयां की है...सच है हम हिन्दुस्तानी हैं
जवाब देंहटाएंइन सोहल संस्कारों में रचे बसे हमारे हिन्दुस्तानी।
जवाब देंहटाएं*सोलह
जवाब देंहटाएं१६.ब्लाग पर टिप्पणी देने की औपचारिकता ऐसे निभाते हैं,जैसे कि शादी-विवाह में न्योता दिया जाता है कि, भाई उनके यहाँ से लिफाफा आया था सो उन्हें लौटाना ज़रूरी है ,या लिफाफा देते रहो तभी तुम्हे लिफाफा मिलेगा | गुण दोष से कोई लेना देना नहीं |
जवाब देंहटाएंयूँ तो सभी उत्तम हैं .....
पर ये ब्लॉग से जुडा आये दिन साल जाता है .....
विचारणीय प्रस्तुति। धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंसत्य वचन.....
जवाब देंहटाएंफिर भी हम है हिन्दुस्तानी...!!
shandar.... sach mein ham indian aese hi hote hain..........
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